अंश के सवाल
अंश के सवाल
"मम्मा, पंद्रह अगस्त आने वाला है, आपको याद है ना की मैने भी स्कूल के प्रोग्राम में पार्टिसिपेट किया है।"आठ साल के अंश ने अपनी मां रीमा से कहा।
"हां बेटा, मुझे याद है।"रीमा ने मुस्कुराकर कहा।
"मम्मा, हमारा देश अब आज़ाद हो चुका है ना पक्का?"अंश ने पूछा।
"हां, बेटा, पक्का; तुम्हें बताया तो था।"रीमा मुस्कुराकर बोली।
एक पल अंश कुछ सोचता है, उसे सोचता देख रीमा पूछती है"क्या सोच रहे हो बेटा, कोई कन्फ्यूजन है?
"येस, आई एम कन्फ्यूज्ड।"अंश ने कहा।
"कैसा कन्फ्यूजन, बताओ?"रीमा ने पूछा।
"पापा, कभी टेंशन की वजह से आंखों में आंसू ले आते हैं, तो सब कहते हैं; कि लड़के रोते नहीं, हमें रोने की आज़ादी नहीं मिली,बुआ की तबियत खराब थी, वो यहां आना चाहती थी, लेकिन उन्हें ससुराल से यहां कुछ दिन आने की आज़ादी नहीं मिली,आपको खिलखिलाकर हंसना बहुत पसंद है, पर आपको हंसने की आजादी नहीं मिली,मुझे बार्बी डॉल पसंद है, लेकिन मैं लड़का हूं, इसलिए मुझे डॉल नहीं मिली,आपको कुर्ती पसंद थी, पर वैसी कुर्ती पहनने की आपको आजादी नहीं मिली और भी बहुत कुछ तो सवाल ये है, की आज़ादी गई कहां?" वंश ने मासूमियत से पूछा,
रीमा हैरान रह गई अंश की बात सुनकर और कुछ बोल ही नहीं पाई,"चलो, आपको नहीं पता; मैं कल स्कूल में मैम से पूछूंगा।"अंश ने कहा और चला गया।
और रीमा जहां खड़ी थी, वहीं खड़ी रह गई।