लव का ट्राइंगल
लव का ट्राइंगल
सुहानी अपने कमरे में बैठी आरती का इंतजार कर रही थी कि तभी आरती धीरे से आकर उसकी आंखों को अपने हाथों से बंद कर देती है।
सुहानी:- आरती आ गई तुम.... मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूं।
आरती:- साॅरी-साॅरी मैं थोड़ा लेट हो गई।
सुहानी:- तुम्हें पता है ना कि आज हमारा काॅलेज में पहला दिन है और तुम आज भी लेट हो गई। चलो अब।
दोनों काॅलेज के लिए निकल गई। काॅलेज पहुंचकर जैसे ही दोनों अपनी क्लासरूम की तरफ जाने लगी तभी अचानक काॅलेज के कुछ सीनियर लड़के उनका रास्ता रोक लेते हैं और उनकी रैगिंग शुरू कर देते हैं। यह देखकर सुहानी घबरा जाती है और रोने लगती है। पर आरती उनको यह कह कर डरा देती है कि मैं इस काॅलेज के प्रिंसिपल की भतीजी हूं। मैं उनसे तुम्हारी शिकायत कर दूंगी और जैसे ही वह अपना मोबाइल निकालती है... वह लड़के डर कर वहां से भाग जाते हैं। फिर दोनों अपने क्लासरूम में चली जाती हैं।
थोड़ी देर बाद क्लास में रोहन नाम के लड़के की एंट्री होती है। जैसे ही रोहन क्लास में आता है सब लडकियां उसके स्टाइल की फैन हो जाती है। कुछ समय बाद क्लास में टीचर आते है और वो विधार्थियों से उनकी इंट्रो लेते है। जैसे ही सुहानी अपनी इंट्रो देने आती है तो रोहन को उसकी सादगी बहुत पसंद आती है।वह उस से दोस्ती करना चाहता है, पर सुहानी उसे इग्नोर कर देती है, क्योंकि उसे लड़कों से बात करना पसंद नहीं। काॅलेज खत्म होते ही दोनों घर आ जाती है।
घर आकर आरती रोहन की बात ही करती जा रही थी कि इस पर सुहानी ने उसे रोकते हुए कहा कि अब बस भी कर.... जब से हम काॅलेज से आए हैं तब से तुम सिर्फ रोहन की बात ही किए जा रही हो उसकी बात सुनकर आरती चुप हो गई। कुछ समय बाद आरती घर चली गई और सुहानी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई।
अगले दिन रोहन कैंटीन में बैठा उनका इंतजार कर रहा होता है। जैसे ही वह दोनों कैंटीन में आकर बैठी तो रोहन भी उनके पास आकर बैठ गया और आरती से बातें करने लगा।
रोहन:- हेलो! मैं रोहन हूं और तुम्हारा नाम क्या है??
आरती:- मेरा नाम आरती है।
जैसे ही रोहन ने सुहानी से उसका नाम पूछा तो वह यह कह कर वहां से चली गई कि मैं आपको अपना नाम बताना जरूरी नहीं समझती। आरती रोहन से सुहानी के बर्ताव के लिए माफी मांगती है और सुहानी के पीछे-पीछे क्लास में जाकर वह रोहन के साथ ऐसे व्यवहार के लिए उस पर गुस्सा करती है।
आरती:- सुहानी तुम्हें रोहन से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी.... उसने सिर्फ तुमसे तुम्हारा नाम ही तो पूछा था।
सुहानी:- आरती मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी। तुम यह अच्छे से जानती हो कि मुझे लड़कों से बात करनी बिल्कुल भी पसंद नहीं है और कल जब हमारी इंट्रो हुई थी तब वह भी क्लास में ही था।
आरती इस बात को ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहती थी इसलिए उसने इस बात को यहीं बंद कर दिया। कुछ समय बाद एक-एक करके सभी प्रोफेसर क्लास लेने आए। क्लास पूरी होने के बाद सुहानी और आरती घर के लिए निकल गईं। कुछ महीनों तक यही सिलसिला चलता रहा, रोहन सुहानी से बात करने की कोशिश करता, पर वह उसे इग्नोर कर देती।
फिर एक दिन आरती को घर पर कुछ काम था इसलिए वह काॅलेज नहीं आई। उस दिन सुहानी को अकेले देखकर उन सीनियर लड़कों ने सुहानी से छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी। सुहानी रोने लग गई.... सुहानी की अच्छी किस्मत कि वहां रोहन आ गया और उसने उन लड़कों को भगा दिया। सुहानी ने रोहन का शुक्रिया अदा किया और घर चली गई।
अगले दिन काॅलेज पहुंचकर सुहानी रोहन का इंतजार करने लगी। रोहन के आते ही उसने रोहन से बात की और उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। रोहन ने भी सुहानी की दोस्ती को स्वीकार कर लिया। फिर तीनों एक साथ मिलकर बहुत मस्ती करने लगे। धीरे-धीरे आरती रोहन को तथा रोहन सुहानी को चाहने लगा। पर किसी ने भी एक दूसरे को अपने दिल की बात नहीं बताई। ऐसे ही हंसी मज़ाक में उनके काॅलेज के तीन वर्ष बीत गए तथा उनकी फेयरवेल पार्टी का दिन भी आ गया।
फेयरवेल पार्टी का दिन.......
सुबह से ही पूरे काॅलेज में विधार्थियों का रौनक मेला लगा हुआ था। सभी पार्टी की तैयारियों में लगे हुए थे। रोहन वाइट शर्ट विद ग्रे ब्लैज़र में किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था। काॅलेज की लगभग सभी लड़कियां सिर्फ रोहन को ही देख रही थी... पर रोहन की नज़रे तो सिर्फ सुहानी को ही ढूंढ रही थी, क्योंकि आज रोहन ने सुहानी को अपने दिल की बात बताने का सोचा था।
जैसे ही सुहानी पार्टी में आई तो रोहन उसे देखता ही रह गया। सुहानी खुलें बालों और हल्के गुलाबी गाउन में बहुत प्यारी लग रही थी। उधर आरती भी पीली साड़ी में कहर ढाह रही थी। रोहन ने जब सुहानी को अकेले खड़ा देखा तो मौका देखकर वह उसके पास आया और उसे कहा कि मुझे तुमसे अकेले में बहुत जरूरी बात करनी है वह दोनों बाहर आ गए।
रोहन ने बड़ी हिम्मत करके सुहानी को अपने दिल की बात बताई कि वह उससे कितना प्यार करता है। यह सुनते ही सुहानी ने गुस्से में उसे थप्पड़ लगा दिया और उससे कहा कि मैंने तुम्हें सिर्फ अपना अच्छा दोस्त माना है..... इससे ज्यादा कुछ नहीं। यदि तुम मुझे सच में प्यार करते हो तो तुम आरती से शादी कर लो, क्योंकि वह तुमसे बहुत प्यार करती है। यह कह कर वह वहां से अंदर पार्टी में आ गई। थोड़ी देर बाद रोहन भी पार्टी में आ गया। वह इस बात से अनजान था कि आज आरती भी उसे प्रपोज करने वाली है।
आरती ने जैसे ही रोहन को प्रपोज किया तो उसने सुहानी की खुशी के लिए आरती का प्रपोजल स्वीकार कर लिया। दोनों के परिवारों की सहमति से एक महीने बाद उनकी शादी तय हो गई। उधर सुहानी भी अपनी हाइयर स्टडी के लिए लंदन जाने का फैसला करती है। जब रोहन को सुहानी के इस फैसले के बारे में पता चलता है तो वह एक पल के लिए दुःखी हो जाता है, पर सुहानी की खुशी के लिए वह अपनी शादी की तैयारियों में जुट जाता है। देखते ही देखते एक महीना भी गुजर गया और शादी का दिन आ गया।
शादी का दिन.....
आज सुबह से ही आरती के घर पर चहल-पहल हो रही थी। सब मेहमान आ गए थे। आरती भी तैयार हो गई थी... पर सुहानी का कुछ पता नहीं था। फिर आरती ने सुहानी को काॅल की...
आरती:- हैलो सुहानी कहां है तूं?? मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूं।
सुहानी:- आरती प्लीज़ तुम गुस्सा मत करना मैं तुम्हारी शादी में नहीं आ पाऊंगी।
आरती:- पर क्यों.... तुम मेरी बचपन की सहेली हो और आज मेरे इस खास दिन पर मेरे साथ नहीं होगी। क्या तुम मेरी शादी से खुश नहीं हो
सुहानी:- ऐसा कुछ नहीं है... पहले मेरी बात तो सुन लो।
आरती:- मुझे कुछ नहीं सुनना अगर तुम मेरी शादी में नहीं आई तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करुंगी।
सुहानी:- प्लीज़ आरती गुस्सा मत करो ... तुम्हें तो पता ही है कि मैं अपनी आगे की स्टडी के लिए लंदन जा रही हूं और आज मेरी लंदन की फ्लाइट है।
पहले तो आरती सुहानी पर गुस्सा करती है फिर मान जाती है। फिर उन दोनों की बात के बाद सुहानी लंदन के लिए निकल जाती है।
३ साल बाद.....
आज सुहानी पूरे तीन साल बाद इंडिया वापिस लौटी है। इन तीन सालों में वह बिल्कुल भी नहीं बदली। उसके मम्मी, पापा, और भाई उसको देखकर बहुत खुश हुए। कुछ समय बाद आरती और रोहन भी उससे मिलने आए। आरती ने पहले तो सुहानी के ऐसे चले जाने के लिए उस पर गुस्सा किया, फिर उसको गले लगा लिया। थोड़ी देर बातें करने के बाद वो दोनों घर वापिस चले गए। सुहानी भी खाना खा कर आराम करने के लिए रूम में चली गई।
अगले दिन.........
सुबह का नाश्ता करने के बाद सुहानी अपने कमरे में बैठी थी,तभी उसकी मां वहां आ गई।
मां:- क्या कर रही हो सुहानी??
सुहानी:- कुछ नहीं मां....आओ बैठो।
मां:- मैं चाहती हूं,अब तुम भी शादी कर लो। ताकि मेरी तुम्हें दुल्हन बने देखने की इच्छा पूरी हो सके।
सुहानी:- इतनी जल्दी क्या है मां?? अभी तो मैं वापिस आईं हूं और अभी आप मुझे खुद से दूर भेज रहे हो।
मां:- ऐसी कोई बात नहीं है बेटा.... बस मैं चाहती हूं कि मैं तुम्हें अपने हाथों से दुल्हन बनाऊं।
सुहानी:- ठीक है मां जैसा आप ठीक समझें।
मां:- ये हुई ना बात.... हमने तुम्हारे लिए एक लड़का देखा है। उसका नाम राहुल है। उसने एमबीए किया है और खुद का बिजनेस है। बहुत ही संस्कारी लड़का है। तुम्हें हमेशा खुश रखेगा। मैं कल ही उन लोगों को बुला लेती हूं।
सुहानी:- जैसे आपको ठीक लगे मां।
अगले दिन राहुल के माता-पिता सुहानी के घर आए। उन्हें भी सुहानी बहुत पसंद आई और दोनों परिवारों ने शादी के लिए हां कर दी। शादी का मुहूर्त १५ दिन बाद का निकला। यह सुनकर सुहानी की मां बोली कि इतनी जल्दी तैयारियां कैसे होंगी?? इतने में दरवाजे से आते हुए आरती और रोहन बोले.... आंटी आप फ़िक्र मत कीजिए हम हैं ना... सब हो जाएगा। कुछ समय बाद लड़के वाले चले गए। आरती और सुहानी अंदर रुम में आ गए।
आरती:- क्या हुआ सुहानी तुम कुछ उदास लग रही हो.... क्या तुम इस रिश्ते से खुश नहीं हो??
सुहानी:- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.... सब कुछ इतनी जल्दी हो गया कि कुछ समझ नहीं आ रहा। मैं तो उसको जानती तक नहीं।
आरती:- कोई बात नहीं सुहानी, सब कुछ ठीक हो जाएगा।
फिर सुहानी की शादी की तैयारियां शुरू हो गई। एक-एक करके हल्दी, मेंहदी, संगीत सभी रस्में हुई और आखिरकार शादी का दिन आ गया।
शादी का दिन.......
सुहानी पिंक कलर का लहंगा डाल कर दुल्हन बन चुकी थी और बहुत सुंदर लग रही थी। बारात भी दरवाजे पर आ चुकी थी। सबने बारात का स्वागत किया। कुछ समय बाद पंडित जी के कहने पर सुहानी को मंड़प में लाया गया। जैसे ही सुहानी मंड़प में पहुंचीं तो रोहन को सामने दूल्हे के रूप में खड़े देखकर हैरान हो गई और गुस्से में बोली यह क्या मजाक है?? इतने में आरती वहां आ गई।
आरती:- सुहानी तुम ही बोल रही थी कि तुम राहुल को जानती नहीं, पर तुम रोहन को तो अच्छे से जानती हो.... इसलिए तुम्हारी टेंशन को दूर करने के लिए हमने रोहन को ही तुम्हारा दूल्हा बना कर मंड़प में बैठा दिया।
सुहानी:- ये क्या बोल रही हो तुम.... कहीं तुम पागल तो नहीं हो गई जो तुम अपने ही पति की शादी मुझसे करवा रही हो।
आरती:- पर मेरे पति का नाम तो राहुल है।
यह सुनकर सुहानी हैरान हो गई और आरती से कहा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।इस पर आरती ने कहा कि मैं समझाती हूं तुम्हें....
आरती:- ३ साल पहले जब मेरी तुमसे बात हुई थी तो उसके बाद मैं तुमसे मिलने तुम्हारे घर आई थी लेकिन तुम वहां से चली गई थी।पर अच्छा हुआ कि मुझे वहां से तुम्हारी डायरी मिल गई। जिसे पढ़कर मुझे पता चला कि तुम रोहन से प्यार करती हो और मेरी खुशी के लिए तुमने रोहन को झूठ बोल दिया कि तुम उससे प्यार नहीं करती। यह पढ़ कर मैंने रोहन से बात की और उसे सब बता दिया।
सुहानी:- मुझे माफ़ कर दो आरती। मैंने ये सब इसलिए किया क्योंकि मैं तुम्हें दुःखी नहीं देख सकती।
आरती:- और तुझे क्या लगता है तुझे दुःखी करके मैं खुश रह पाती।
इसके बाद सुहानी ने रोहन से माफी मांगी।
रोहन:- तुम्हें माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है.... मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूं। बल्कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए प्यार और भी बढ़ गया, क्योंकि जो लड़की अपनी सहेली के लिए इतना कुछ कर सकती है.... वो मेरा कितना ख्याल रखेगी।
उन दोनों की बातें अभी चल ही रही थी कि इतने में आरती बोल पड़ी," तुम दोनों का शादी का भी इरादा है या फिर बातों में ही रात गुजारनी है।" यह सुनकर सब हंस पड़े और फिर खुशी-खुशी दोनों की शादी संपन्न हुई।