काला सच
काला सच
हर टीवी चैनल और समाचार पत्र पर ये बात ज़ोर पकड़ रही थी कि दीप्ति नाम की एक लड़की का चार लड़कों ने मिलकर रेप कर दिया है और वो जख्मी हालत में एक सुनसान सड़क पर मिली है। सहारा की टीम ने उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया है, यहां उसकी हालत नाज़ुक बताई जा रही है।
देश का हर नेता और आम आदमी पूरी दुनिया में अपना नाम बनाने के लिए आगे आकर दीप्ति का साथ देने और उन चारों दरिंदों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की बात कर रहे हैं।
लोगों का इतना साथ मिलता देखकर दीप्ति अपनी मौत को मात देने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देती है और उसकी जान बच जाती है। कुछ दिनों के बाद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
घर पहुंचकर उसे इस बात की संतुष्टि थी कि आखिरकार देश की जनता उसके साथ है और सब उसे इंसाफ़ दिलवाएंगे। इसी उम्मीद के साथ वो घर से बाहर निकली और फिर से एक नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत करने का सोचने लगी।
जैसे ही वो अपने घर से बाहर निकली तो उसे हर गली और मोहल्ले में लोगों के तानों की ही आवाज़ सुनाई दी, "कैसी बेशर्म लड़की है ये.... अभी कुछ दिन पहले ही इसका रेप हुआ है और ये अभी भी खुले आम घूम रही है। मुझे तो लगता है कि इसी ने ही उन लड़कों को उकसाया होगा, वरना इतनी किसकी हिम्मत है कि किसी के साथ जबरदस्ती कर दे.... हमारे घर भी तो बहू-बेटियां हैं, उनके साथ तो कभी ऐसा नहीं हुआ। "
लोगों की दोगली सोच को देखकर दीप्ति बिना किसी भाव से हंसते हुए खुद से कहती है, "ये ही दुनिया का काला सच है.....ना तो किसी को जीने देती है और ना ही मरने। जब अस्पताल में पड़ी अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रही थी तो सबको मुझसे सहानुभूति हो रही थी और जब मैंने इस समाज का कचरा साफ़ करने की सोची, तो मैं ही दोषी हो गई। यहां गलती चाहे किसी की भी हो, पर दोषी हमेशा लड़की ही होती हैं। हां भई, लड़कियां ही इन दरिंदों को उकसाती हैं और कहती हैं कि आओ और मेरे शरीर के साथ-साथ मेरी आत्मा को भी नोच डालो। हे भगवान! तूने ये कैसी दुनिया बनाई है..... यहां लड़कियों की जिंदगी आज भी नर्क से बदतर है।"
दीप्ति अपने घर जाती है और लोगों के तानों से छलनी खुद को पंखे पर रस्सी डालकर अपनी जिंदगी को खुद का साथ छोड़ने के लिए मजबूर कर देती है। उसकी जिंदगी को भी लोगों के तानों के आगे दीप्ति का साथ छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
उसके मरने के बाद फिर से उसकी मौत की खबर फैल जाती है और लोग फिर से दिखावे के लिए आगे आकर उसे श्रद्धांजलि देने लगते हैं।
दीप्ति भगवान के पास बैठी इस समाज के काले सच को देखकर हंसते हुए कहती है, "भगवान अब और कोई दीप्ति का जन्म मत होने देना..... इससे तो अच्छा है कि आप लड़कियों को अपने नरक में ही जगह दे दो.....कम से कम आपके नरक में लड़कियों की इतनी बदतर हालत तो नहीं होती होगी।"