लोग क्या कहेंगे!!
लोग क्या कहेंगे!!




"अरे बहू, कितनी बार कहा है सिर पर पल्ला रखा करो" गुस्से में तमतमाते हुए शोभा जी बोलीं।
पीहू सकपकायी हुई सिर पर पल्ला रखते हुए बोलती है "जी मम्मी जी आगे से ध्यान रखूंगी।"
शोभा जी का बरेली शहर में एक बहुत बड़ा मकान है। शोभा जी व अनिल जी का एक बेटा मानव है जो कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। अभी पिछले महीने ही उसकी शादी पीहू से हुई है। शोभा जी की बहू पीहू बहुत ही सुंदर, तीखे नाक नक्श वाली है।
अनिल जी एक सरकारी कर्मचारी हैं। शोभा जी के घर के पास पटिदारों का भी घर है। मानव और उसके चाचा, ताऊ के घर का आंगन कॉमन है। बंटवारे के बाद आंगन में दीवार हैं, पर एक दूसरे का घर अच्छे से दिखता है। यहां तक कि सबके किचन की खिड़की भी आंगन में ही खुलती है। मानव की चाची दिन भर आंखें गड़ाए बैठी रहती हैं। चाची का भी एक बेटा है, पर अभी उसकी शादी नहीं हुई और ताई के बच्चे बाहर रहकर पढ़़ रहे हैं।
परिवार में यह पहली बहू आई है। शोभा जी के परिवार की परंपरा है कि बहुओं को साड़ी पहनना है और सिर ढकना है। उनके परिवार की यह सोच भी है कि साड़ी में ही बहुए अच्छी लगती हैं। शोभा जी को डर रहता है कि, बहू की नई- नई शादी हुई है। सिर का पल्ला खुलते ही चाची, ताई आसपास व परिवार में बताकर उनके घर की जग हँसायी करा देंगी, कि फलाने की बहू ऐसी है? दो मिनट भी सर पर पल्लू नहीं टिकता। ससुर जी के सामने मुहँ उघाडे धूमती रहतीं है।
शोभा जी वैसे बहुत अच्छी हैं। पीहू से बहुत खुश रहती हैं। बस इसी बात को लेकर उनको पीहू को हमेशा टोकना पड़ता है व उन्हे कई बार गुस्सा भी आ जाता है। उनको पल्ला न करने से कोई दिक्कत नहीं है, पर उन्हें लगता है कि लोग क्या कहेंगे? यह भी सोचती हैं कि अभी बच्ची है और धीमे-धीमे सब सीख जाएगी।
धीरे-धीरे अब तो 6 महीने बीत गए हैं। पीहू की आदत पल्ला लेने व साड़ी पहनने की हो गई है। उसको उलझन तो होती है पर उसके साथ उसने समझौता कर लिया है और जीना सीख लिया है। 8 महीने बाद पीहू गर्भवती होती है। घर में सब बहुत खुश हैं। जब समय पूरा हो जाता है। पीहू एक बहुत सुंदर, प्यारे, स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। पीहू 2 महीने में बिल्कुल स्वस्थ हो जाती है ।घर में बच्चे के आने से एक रौनक सी आ गई है। सब दिन भर उसी में लगे रहते और बहुत खुश रहते हैं।
अब पीहू बच्चे और अपनी साड़ी व पल्ले के साथ काम करना सीख रही है। पर अब बच्चा होने से कुछ कुछ कामों में उसे सिर का पल्लू संभालने में दिक्कत आती है पर मम्मी जी की बाद उसे याद आ जाती है कि लोग क्या कहेंगे? वह बच्चे के साथ- साथ साड़ी के पल्ले को भी संभाले रहती है।
बच्चा अब 1 साल का हो गया। 1 दिन बच्चा दूध के लिए बहुत रो रहा था। पीहू तेज कदमों से रसोई में दूध बनाने जाती है। जैसे ही वह दूध गर्म कर रही थी। बच्चा भी रोते-रोते वहां आ जाता है और उसके पैर को पकड़कर खड़ा हो गया।
जैसी ही पीहू पीछे मुड़ी, उसका पल्ला गैस पर चला गया और आग पकड़ लेता है तभी इत्तफाक से मानव उधर से गुजरता है और उसकी नजर इस ओर पड़ी। वो हड़बड़ाहट मे वहां दौड़कर पहुचा व आग को बुझाते हुये जोर से चिल्लाया "क्या कर रही हो पीहू? अपना ध्यान रखा करो। आज एक बड़ा हादसा होते-होते बचा।"
मानव की आवाज सुनकर शोभा जी भी भागते हुए आती हैं। मानव पीहू से कह रहा था "पीहू, आज तो तुम अपने को जला ही लेती।"
शोभा जी देखती हैं कि पीहू कि साड़ी का कोना थोड़ा जल गया है। वह भी बहुत घबरा जाती हैं। मानव क्रोध में कहता है "क्यों मां, आप हमेशा पीहू को पल्ला करने को बोलती हैं। आप देखो इतना बड़ा हादसा अभी हो जाता।"
शोभा जी कहती हैं "अरे पल्ला ना करने से मुझे कोई दिक्कत नहीं है, पर लोग क्या कहेंगे?"
"मां आप लोगों को क्यों देखती हो? आप अपना देखो। लोग कुछ ना कुछ तो हमेशा कहेंगे।"
शोभा जी को भी मानव की बात सही लगती है। वो लंबी सांस लेते हुए हामी भरती हैं और कहती हैं "पीहू बेटा आज से तू पल्ला नहीं करेगी। चाहे तो तुम साड़ी भी न पहनो। मैं कल ही जाकर तेरे लिए सूट लेकर आती हूं। अब से तुम सूट पहन कर रहा करो।"
उनकी इस समझदारी भरी बात सुनकर पीहू मुस्कुरा दी और शोभा जी के गले लग गई।