चिंता!!
चिंता!!
"कहां जा रहे हो रोहित ?"
"कहीं नहीं मम्मा ....आप सोइए... मैं अभी आता हूं।"
तभी धड़ाम की आवाज आई और शीला दौड़ते हुए गई। देखा रोहित बालकनी में खड़ा है। शीला जाते हैं रोहित को गले से चिपका के रोने लगी।
" क्या हुआ मां ? परेशान क्यों हो? बेटा तेरी परेशानी देख मुझे भी हमेशा ही चिंता रहती है कि कहीं तू भी पड़ोस के राहुल की तरह कोई गलत कदम ना उठा ले।"ना चाहते हुए भी शीला ने अपने मन की बात कह दी।
" नहीं मां मैं इतना कायर नहीं हूं... की जिंदगी से हार मान लू। मैं फिर प्रयास करूंगा मैं अपने जीवन का सपना जरूर पूरा करूंगा।"परेशान मां आपको देख रोहित ने बोला।
4 साल से रोहित आई. आई. टी की कोचिंग ले रहा था। पढ़ने में बहुत होनहार था। रोहित बचपन से ही हमेशा फर्स्ट आया था। तो लोगों की उससे उम्मीद थी कि वह आईआईटी 12th के साथ ही क्लियर कर लेगा ।
रोहित भी अपना पूरा प्रयास करता था पर 3 साल तक सक्सेस उसके हाथ ना लगी। और वह डिप्रेशन भी होने लगा। उसने कोई भी एनआईटी और प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेना उचित ना समझा। उसे अपनी मेहनत पर भरोसा था....पर कहते हैं ना कभी कभी चीजें भगवान के हाथ में ही होती है। एग्जाम के समय रोहित अक्सर बीमार हो जाता। यह घर में कुछ और दिक्कते आ जाती।जिससे उसकी तैयारी में कुछ कमियां रह जाती। तथा किस्मत साथ ना देती। जिससे रोहित को सफलता हाथ नहीं लगती।
रोहित की मां रोहित की परेशानी देख बहुत परेशान थी इसलिए रोहित को अकेला नहीं छोड़ती थी। अब की साल उसका छोटा भाई का भी एमबीबीएस मे सेलेक्शन हो गया और वह दूसरे शहर में पढ़ने चला गया।
रोहित भी डिप्रैस रहता था। पर मन की बातें अपनी किसी से शेयर नहीं करता था। कहीं ना कहीं अंदर- अंदर वह भी घुटता था। और उसका मनोबल टूट रहा था। पर सामने से रोहित अपने को बिल्कुल मजबूत दिखाने की कोशिश करता। मां उसकी मनोदशा को अच्छे से समझती थी।
रोहित के पापा अपने ऑफिस के काम से हमेशा बाहर ही रहते थे। इन दिनों पापा भी आए हुए थे। मां बेटे की बातों की आवाज सुनते ही सोए हुए पापा भी उठकर बालकनी में गये।
"क्या हुआ मां... बेटा.. इतनी रात में क्यों जग रहे हो"
" नहीं कुछ नहीं पापा ...नींद नहीं आ रही थी । इसलिए मैं यहां आ गया।"
" और शीला तुम ??"
"बस यूं ही मैं भी आ गई"
" आवाज कैसी आई थी अभी? "
"हां लग रहा है किचन में कुछ गिर गया। चूहा शायद डिब्बा गिरा दिया होगा।"
"चलो सब सो जाओ"
" हां पापा चलता हूं अभी...बस यूं ही नींद नहीं आ रही।
" बेटा मैं समझता हूं ।तुम परेशान बिल्कुल मत हो। जिंदगी को एक बार और मौका दो। तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी।"
पापा की इतनी विश्वास पूर्वक और मनोबल बढ़ाने वाली बातें सुन रोहित सिसकने लगा।
" नहीं पापा मुझे लगता है मैं सफल नहीं होगा।"
" क्यों बेटा ...तुम ऐसे हार क्यों मान रहे हो। जिंदगी में हमेशा प्रयत्न करते रहना चाहिए। सफलता अपने से ही तुम्हारे कदम चूमेगी। और यदि यह नहीं हुआ तो कोई बात नहीं... तुम कुछ और करना ....और भी तो इंजीनियरिंग कॉलेज है। उससे भी लोग अच्छे जॉब में सेलेक्ट हो जाते हैं। जिंदगी में कभी हारना नहीं। जिंदगी को हमेशा एक दूसरा मौका देना... यही जीवन की सबसे बड़ी सीख और सच्चाई है। जो लोग हार के रुक जाते हैं उनको ना सफलता हाथ लगती है ना वो खुश रहते हैं। बेटा खुशी का मूल मंत्र है जिंदगी में हमेशा आगे बढ़ते जाओ। और जो चीज आपके हाथ लगे उसमें ही आप खुश रहो।"रोहित को समझाते हुए पापा ने बोला।
" जी पापा आप सही कह रहे हैं। मेरा एक फ्रेंड अब बिजनेस करने को सोच रहा है। उसका भी 3 साल से आई.आई.टी में सेलेक्शन नहीं हुआ।"
" हां बेटा ...उसने देखो सही फैसला किया। उसने अपनी जिंदगी को दूसरा मौका दिया। ठीक है तुम मेहनत तो कर रहे हो ।दूसरे क्षेत्र में मेहनत करो। क्या पता तुम्हारी सफलता वहीं पर हो।"
"जी पापा "कहकर रोहित मुस्कुरा दिया और सब लोग साथ में सोने के लिए चले गए।