Ruchi Singh

Abstract Inspirational

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Ruchi Singh

Abstract Inspirational

जिंदगी बार-बार मौका नहीं देती

जिंदगी बार-बार मौका नहीं देती

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5 साल से सरकारी जॉब में लगी जूही को आज सरकारी जॉब में सिलेक्शन हो गया। पूरे परिवार में खुशियों की एक लहर सी आ गई है। जूही और उसका पति प्रमोद दोनों बहुत ही खुश हैं।

जूही पिछले 15 सालों से छोटे से प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाती है। अपने घर का ध्यान रखने के साथ-साथ वह बच्चों को स्कूल में पढ़ाती है । साथ ही घर में ट्यूशन भी लेती है।

 प्रमोद एक छोटा बिजनेस मैन है। घर में ही कोने में एक परचून की दुकान है उसी को चलाता है। दोनों की कमाई मिलकर किसी तरह घर के खर्चे चलते हैं।

 जूही और प्रमोद की दो बेटे हैं, जो कि स्कूल जाते हैं। बच्चों के बड़े होने के साथ-साथ घर खर्च भी बढ़ रहा है। और उस हिसाब से आमदनी कम हो रही है‌। दोनों ही जी जान से कड़ी मेहनत करते हैं ताकि घर का भरण -पोषण अच्छे से हो सके। किसी तरह से घर चल जाता है पर बच्चों के भविष्य के लिए पैसा नहीं जोड़ पाते । इसी का दोनों को दुख है और साथी चिंता भी।

 जूही का सपना है कि बच्चों को पढ़ा लिखा कर काबिल इंसान बनाए। उन्हें इस तरह से परचून की दुकान पर नहीं बैठाना चाहती वह। वह चाहती है वह भी अच्छी कंपनियों में काम करें और खूब पैसा कमाए। और ऐसो आराम से इज्जत की जिंदगी जीए।

जूही रोज सुबह उठकर घर के सारे काम करके, स्कूल चली जाती। और दोपहर में आकर खाना खा, थोड़ा आराम कर शाम को बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती। समय उसका कहा चला जाता पता ही नहीं चलता। 

सब अपनी छोटी सी दुनिया में बहुत ही खुश है। पर भविष्य को लेकर कभी -कभी दोनों पति पत्नी को बहुत चिंता होती है।इसी के चलते वह सरकारी नौकरी की तलाश में हमेशा लगी रहती है।

कई साल से सरकारी नौकरी की तलाश करते- करते जूही का आज गवर्नमेंट स्कूल में सिलेक्शन हो गया। पहले तो वह बहुत ही खुशी हुई। पर बच्चों को छोड़कर जाने की हिम्मत वो जुटा नहीं पा रही थी।

उसने सोचा वह जॉब ज्वाइन नहीं करेगी। जैसे- तैसे उसकी घर गृहस्थी चल रही है वैसे ही चलेगी। लेकिन इतना अच्छा सैलरी पैकेज वह प्राइवेट स्कूल में कई साल काम करेगी तो भी वहां इतना ना हो पायेगा। 

यही सब सोच प्रमोद और जूही एक तरफ तो खुश थे और दूसरी तरफ चिंता से ग्रसित भी।  

प्रमोद जूही की मनोदशा को अच्छे से समझ रहा था। उसने जूही को हिम्मत बंधाते हुए बोला कि मैं बच्चों को देख लूंगा। तुम चली जाओ। इतना अच्छा मौका बार-बार नहीं मिलता। और सबके किस्मत में भी सरकारी नौकरी नहीं आती। समय तो बीत जाता है। बच्चे बड़े भी हो जाते हैं। पर जो तुम्हें रुतबा, पैसा और पहचान मिलेगी । वह यह छोटी सी प्राइवेट नौकरी में नहीं मिलेगी।

 "पर प्रमोद मै बच्चों को नहीं छोड़ पा रही। बच्चे अभी ज्यादा बड़े भी नहीं हुए। उनको मां की भी तो जरूरत है। और इनकी दादी भी नहीं कि वह आकर कुछ मदद कर सके।"जूही चिंता करते हुए बोली।

"अरे ! तुम्हें ऐसे ही लग रहा है बड़ा बेटा सार्थक 10th में आ चुका है। वह अपने को संभाल लेता है। तथा घर के कुछ काम भी कर लेता है। और छोटा सोहम भी आठवीं में है, कोई छोटा तो नहीं। हम तीनों मिलकर एक दूसरे को संभाल लेंगे। तुम हम लोग की चिंता मत करो।"प्रमोद ने कहा।

तभी सार्थक कमरे में आ गया। उसने मां-बाप की बातें सुन ली। उसने मां को ढांढस बंधाते हुए बोला "मां आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए। हम लोग एक दूसरे को संभाल लेंगे।मैं छोटे सोहम का भी खूब ख्याल रखूंगा। स्कूल साथ ले जाऊंगा और हम दोनों साथ ही आएंगे। टाइम मिलने पर मैं उसको पढ़ा भी दिया करूंगा। आप बेफिक्र होकर अपनी नई जॉब शुरू कीजिए।"छोटे व समझदार सार्थक की बात सुनकर जूही की आंखों में खुशी के आंसू थे।

 तभी जूही की मां का फोन आया जूही की आवाज सुन मां ने पूछा 

"क्या हुआ जूही?"

जूही ने अपने सिलेक्शन के बारे में बताया।

 उन्होंने बोला "यह तो बहुत बड़ी खुशी की बात है। इस पर तुम परेशान क्यों हो"

" मां हां ...खुशी की तो बात है।" कह जूही हंसी। 

"लेकिन बेटा तू दुखी लग रही है।"

" हां... मां बच्चों की चिंता हो रही है। यह कैसे रहेंगे। प्रमोद और सार्थक तो कह रहे हैं हम सब मैनेज कर लेंगे। पर मां.... मैं मां हूं ना इसलिए दिल थोड़ा परेशान है।"

 "अरे बेटा तू चली जा। मैं बीच- बीच में आकर देख लिया करूंगी। 2 साल यूं ही निकल जाएंगे और फिर तो तुम्हारा ट्रांसफर यहीं हो ही जाएगा। बेटा जिंदगी बार-बार मौका नहीं देती। एक बार यदि मौका मिला है तो हिम्मत करके आगे बढ़ो। ना तो कुछ सालों में तुम अपने लिए फैसले पर पछताओगी। यह छोटे-मोटे स्कूल वाले ज्यादा पैसा नहीं देते और मेहनत करा कराकर खून भी चूस लेते हैं अलग। इसलिए अच्छा मौका मिला है इसको गवाओ नहीं।" मां ने समझाते हुए बोला।

" हां... मां शायद आप सही कह रही हैं। मुझे एक बार तो हिम्मत जुटानी ही पड़ेगी।" भारी मन से यह कहकर जूही ने फोन रख दिया। 

थोड़ी देर सोचने के बाद जूहीको लगा प्रमोद और अम्मा सही कह रहे हैं। इतनी बड़ा अवसर सबको हमेशा नहीं मिलता। जूही ने अपनी जॉब ज्वाइन करने का फैसला लिया।


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