Twinckle Adwani

Abstract Inspirational Thriller

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Twinckle Adwani

Abstract Inspirational Thriller

लालच ......

लालच ......

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मीना बचपन से ही लालची स्वभाव की थी उसे यह बात कई बार घरवालों ने समझाई की लालच करने से ही हमारा ज्यादा नुकसान होता है मगर वह इसे अनसुना करती,बढ़ती उम्र के साथ उसके स्वभाव के अवगुण कई परेशानियों का कारण बनते जाते हैं कई बार लोग उसे कुछ कहते तो कभी घर में झगड़े होते मगर फिर भी मां पिताजी उससे बदल ना सके जिसके चलते भाई अलग हो गया कुछ महीनों बाद पिताजी ,मां भी नहीं रहे 

उसकी सुंदरता पर कायल होकर दूसरे गांव के धनी व्यक्ति जो उसके भाई का मित्र था ,उससे शादी करने की इच्छा रखी , उसकी शादी भाई ने करा दी

उसकी शादी बड़े परिवार में हुई बड़े परिवार की जिम्मेदारियां बड़ी होती थी और आमदनी भी बढ़ी थी उसे ज्यादा पैसों का लालच हमेशा से ही रहा जिसके चलते और कई बार छोटी मोटी घर मे ही चोरियां करती मगर फिर भी उसकी इस आदत को परिवार वालों ने अनदेखा किया जिसके चलते उसके गलत हौसले बढ़ने लगे 

घर की पूरी जमीन जायदाद पर सभी भाइयों का हिस्सा था मगर इस बात को वो नहीं समझती

 क्योंकि उसने अपने ही परिवार से जमीन हड़पने के लिए लालच में आकर अपने ही घर के जमीन के कागज किसी और को दे दे और उस मुनीम सुरेंद्र ने भी सब कुछ हड़प लिया मीना को धोखा दे दिया घर वाले पति पुलिस के पास जा रहे थे मीना कहती है ,सिर्फ मैं और मैं दोषी हूं क्योंकि मैंने लालच

 की ,सच कहते हैं लालच करना बुरी बला है हम ज्यादा लालच करके अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारते हैं । उसे आज  मां पिताजी की बहुत याद आने लगी उनकी कही गई एक एक बात आज उसे सच लग रही थी

जिस तरह मीना ने अपनी ही जमीन खो दी उसे

 अपनी गलती का एहसास हो चुका था  

मगर पति ने बडी मेहनत करके सब वापस प्राप्त कर लिया मगर अपनी पत्नी का साथ न छोड़ा सबके बीच उसका मान रखा, सबसे ज्यादा बदलाव मीना के अंदर आया और उसका लालची स्वभाव उसे.....

 मीना आज मंदिर में केवल प्रसाद ही नहीं प्रतिदिन लोगों को भोजन कराने की बात कहते हुए सुबह से ही खाना बनाने में व्यस्त थी और रोज कई गरीबों को , जानवर को भोजन देने लगी यह वही मीना थी जो किसी को एक फलभी दान नहीं करती थी।

और इसलिए जब उसे पता चला कि भाई काफी आर्थिक रूप से परेशान है ,भाभी बीमार है तो उनकी मदद के लिए वह सालों बाद उनके पास गई बल्कि उनकी आथिर्क मदद व सेवा भी की

उसके अंदर आए इस बदलाव से सब हैरान थे और खुश भी,

सच ही कहते हैं व्यक्ति अपनी ठोकरो से और अपनी उम्र से धीरे-धीरे समझदार बनता है।


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