Rajeev Rawat

Romance

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Rajeev Rawat

Romance

लाल रंग

लाल रंग

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कल फिर होली है, करवटें बदलते पल्लवी ने खिड़की के बाहर की ओर देखा, आकाश में कहीं कहीं तारे नजर आ रहे थे, घंटा घर की घड़ी ने दो बजे का घंटा बजाया। आज फिर उसकी आंखो से नींद उड़ गयी थी। ऐसी ही होली कुछ दिनों बाद थी जब तीन साल पहले रवि से शादी के सात दिन बाद ही सेना का एमजेंसी बुलाबा आने पर वापस चला गया था और वायदा कर गया था कि होली तक वापस आकर उसे रंगो से सारावोर कर देगा लेकिन होली के दिन कैप्टन रवि लाल रंग से नहाया और तीन रंग के झंडे में ढक कर युद्ध भूमि शौर्य दिखा कर घर आया था। उसके सारे सपने टूट गये। सात जन्मों का साथ मात्र सात दिनों में समाप्त कर वह हमेशा के लिए चला गया था। घर में होली के रंग फीके हो गये थे।

पिछले दो वर्षों में किसी का मन होली खेलने का नहीं हुआ, वह भी चुपचाप कमरे में ही कैद थी। लेकिन तभी कोरियर वाले की आवाज आई थी, मन मार कर दरवाजा खोला तो वह एक कार्टून दे कर चला गया। घर में सभी ने आश्चर्य से एक दूसरे की ओर देखा और जब कार्टून खोला तो उसमें होली के रंगो के पैकेट थे। कार्टून पर किसी का नाम नहीं था। ऐसा लगातार दो वर्षों से हो रहा था। उसने निश्चित कर लिया कि इस बार सभी को होली खेलने के लिए कह देगी, कब तक सभी बच्चों और घरवालों की हसरतों को दबाया जायेगा। मन में जाने क्यों एक अजीब सा इंतजार था कि क्या इस बार भी रंगो का पैकेट आयेगा? 

  सुबह हो गयी थी, उसने नाश्ता बनाना शुरू ही किया था कि बाहर किसी कार के रूकने की आवाज आई,वह समझ पाती कि उसकी सास ने दरवाजा खोल दिया और थोड़ी देर में उनकी आवाज आई

पल्लवी बेटा, तीन चाय और लेती आना, मेहमान आये हैं। 

वह नाश्ता और चाय ट्रे रख कर ड्राइंग रूम की ओर चल दी, उसे भी आश्चर्य हो रहा था कि होली के दिन अचानक कौन आ गया। ड्राइंग रूम में उसे आते देख वहां बैठा एक युवक खड़ा हो गया

आपने पहचाना? मैं कैप्टन रंजीतआपकी शादी में आया था। रवि मेरा सैनिक स्कूल से क्लास मेट था और हम दोनों ने साथ साथ सेना में ज्वाइन किया था और एक ही रेजीमेंट में थे। ये मेरी मम्मी है। 

पल्लवी के चैहरे पर फीकी हंसी आ गयी, उसने आंटी को नमस्कार किया और झुक कर चाय बनाने लगी। 

पल्लवी की सास ने चाय पीते हुए पूंछा

बहिन जी आज होली के दिन कैसे अचानक आना हुआ? 

उन्होंने एक लंबी श्वांस छोड़ते हुए कहा आज हम आपके साथ होली खेलने के इच्छा लेकर आये हैं। 

सभी आश्चर्य से उनकी ओर देख रहे थे। 

होली के दिन ही पल्लवी बेटा बेरंग हो गयी थी, तब से रंजीत ही आपको रंग का पैकेट भेजता रहा लेकिन कभी हिम्मत न कर सका था लेकिन जब इस बार मैंने शादि के लिए जोर दिया तो बोलामां मैं पल्लवी की जिंदगी में रंग घोलना चाहता हूं, अपनी पत्नी बना कर फिर से उसकी आकस्मिक बेरंग हुए जिंदगी का कलंक मिटाना चाहता हूं। बहिन जी पहले तो मैं आश्चर्य में थी लेकिन रंजीत के पापा ने समझाया कि जो भी हुआ उसमें पल्लवी कोई दोष नहीं है बल्कि भाग्य ने उसे बेरंग कर दिया है और यदि हमारा बेटा उसको अपनाना चाहता है तो यह तो अच्छी बात है और एक बात समझ लो प्रकृति भी पतझड़ के बाद नये रंगो में सजती है। अब हम बहुत बड़ी आस लेकर आये हैं। 

पल्लवी अचानक आये इस प्रस्ताव से चौक गयी और हड़बड़ाहट कर वहां से चली गयी, उसे कुछ नहीं सूझ रहा था। 

चारों ओर शांति छा गयी थी। अचानक पल्लवी की सास बोली  

चाहते तो हम भी यही हैं कि उसे बेटी की तरह विदा करें लेकिन पल्लवी की इच्छा भी जानना जरूरी है। 

रंजीत ने हां में सर हिलाया और बोलाआंटी क्या एक बार मैं पल्लवी जी से बात कर सकता हूं? 

मां के इशारे पर पल्लवी के देवर ने कैप्टन रंजीत को अंदर की ओर इशारा किया और साथ में चल दिया। 

पल्लवी चुपचाप खिड़की से बाहर देख रही थी। 

पल्लवी जी

पल्लवी ने चौंक कर उसकी ओर देखा और फिर बाहर देखने लगी। 

पल्लवी जी, यह मत सोचियेगा कि मैं किसी दया भावना से यह प्रस्ताव रख रहा हूं बल्कि जब शादि में आया था तो आपको देख कर यही चाह उठी थी कि काश! आपकी जैसी कोई आपकी बहिन हो तो मैं उससे शादि करूंगा। किंतु आपकी कोई बहिन थी नहीं और भाग्य को कुछ ओर ही मंजूर था। इसलिए आप कोई दबाव नहीं रखियेगा, आपका जो मन करे वही जबाव दीजिएगा। 

वह जैसे आया था वैसे ही वापस चला गया। 

तभी बाबूजी अंदर आये और उसके सर पर हाथ रखते हुए बोले  

बेटा, हम भी यही चाहते हैं कि मेरी बेटी की विदा हो और उसे संपूर्ण जिंदगी मिले, लड़का औय परिवार अच्छा है लेकिन तभी निर्णय होगा जब तुम हां करोगी। 

उसकी आंखो में आंसू थे। धीरे से उसने यही कहा

बाबा, मेरे लिए तो अब आप लोग ही मेरे मांबाबा हैं, जैसा आप चाहें

थोड़ी देर बाद देवर ने आकर कहाहोली की बधाई हो भाभी, मांबाबूजी प्रस्ताव को मान गये हैं। उसने खिड़की से बाहर देखा, सूखे हुए पलास पर लाल लाल रंग के फूल मुस्करा रहे थे। 


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