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Rajeev Rawat

Tragedy Inspirational

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Rajeev Rawat

Tragedy Inspirational

वह भी बारिश - - एक लघु कथा

वह भी बारिश - - एक लघु कथा

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वह भी बारिश - - एक लघु कहानी 

                सारी हवेली में हड़कंप मच गया।

बारिश के मौसम मे जब हवेली का इकलौता चिराग अंशुल दर्द से चीख रहा था, एक काले जहरीले बिच्छु ने उसे डंक मार दिया था। शहर बीस किलोमीटर दूर था और इस भयंकर बारिश में गांव के ऊबड़खाबड़ रास्ते ले जाना बहुत कठिन काम था।  

             तभी हवेली के मालिक जमींदार को याद आया कि गांव का रमुआ कोई जड़ी-बूटी लगाता है और मंत्र पढ़कर कई लोंगों की जान बचा चुका है लेकिन वह आयेगा नहीं क्योंकि पिछले वर्ष ही तेज बारिश में जब उनकी खड़ी फसल में पानी भर गया हथा तो उनके कहने पर मेड़ तोड़ दी गयी थी और रमुआ की फसल, घर बह गया था और उसका बीमार बेटा पानी में भींगकर मुश्किल से बचा था। तब से वह पूरा एरिया जमीदार से दुश्मनी पाल कर बैठा था।

             वैद्य ने साफ साफ कह दिया कि तुरंत शहर ले जायें, शायद--

              अचानक बाहर से पानी मे छपछप की आवाज़ आई, सबने दरवाजे की ओर देखा। टूटे छाते में भींगता रमुआ खड़ा था। वह बिना कुछ बोले अंशुल की ओर बढ़ गया। शायद किसी ने उसे खबर दे दी थी। 

             चारों ओर सब स्तब्ध खड़े थे और रमुआ जड़ी-बूटी निकालकर अंशुल को बचाने में लगा था। शायद मानवता किसी कोने बची हुई थी। 

          सारी रात रमुआ बचाने की कोशिश मे लगा रहा, सुबह सूरज नयी रोशनी लेकर आया था, जमींदार का लड़का बच गया था। सभी रमुआ को ढूंढ रहे थे लेकिन रमुआ जा चुका था। मानवता की इस वारिश में खेत - मकान नहीं बल्कि जमीदार का गुरूर बह गया था।

              राजीव रावत 


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