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Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

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Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

कुसंस्कारी लड़की

कुसंस्कारी लड़की

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आज रितिका की शादी का दिन था। रितिका बहुत ही खुश थी।हो भी क्यों न ? जिस लड़के को पसंद करती थी, उसी से उसकी शादी हो रही थी। उसकी ख़ुशी दुगुनी हो गयी थी,उसकी पसंद में घरवालों की पसंद भी शामिल हो गयी थी। वह उन बहुत कम खुशनसीब लड़कियों में शामिल थी, जो अपना जीवन साथी खुद चुनती हैं।वहअपने नये सफर की शुरुआत को लेकर बहुत उत्साहित थी।

विदाई के बाद, उसका ससुराल में गृहप्रवेश हुआ । विवाह की रस्मों को निभाते निभाते वह थक गयी थी । उसने सोचा क्यों न एक छोटी सी झपकी ले ली जाई। ताकि शाम तक वह तरोताज़ा हो जाए। वह अपने कमरे में आराम करने चली गयी।

शाम को उसकी भाभी निशी दी, उसके पति के बड़े भाई की पत्नी उसे जगाने के लिए उसके कमरे में आई।

निशी दी ने रितिका से कहा, "तैयार हो जाओ। आज तो तुम्हारी इस घर में पहली रात है। शादी के बाद की पहली रात कितनी खास होती है, यह तो तुम भी जानती ही होगी। आओ तैयार होने में तुम्हारी मदद कर दूँ।"

रितिका के चेहरे की मंद मंद मुस्कान और सुर्ख लाल कपोल उसके दिल का हाल बयां करने को काफी थे। तो रितिका तैयार होने लगी। निशि दी उसकी आंखों पर आई लाइनर लगा रही थी और अचानक उन्होंने रितिका से कहा, "वैसे भी तुम दोनों के बीच तो पहले ही सब कुछ हो चुका होगा। "

रितिका समझ तो गई थी कि वह क्या कहना चाहती है।उसने सुन रखा था कि कई परिवारों में लड़की कुँवारी है या नहीं यह जाँच करने के लिए सुहाग रात के दिन दुल्हा दुल्हन के बिस्तर पर सफ़ेद चद्दर बिछाई जाती है । शादी से पहले किसी से अंतरंग सम्बन्ध रखना नैतिक है या अनैतिक, रितिका कभी इस बहस में नहीं पड़ना चाहती । लेकिन केवल लड़की के कुंवारेपन के बारे में मालूम करने की कोशिश करना और लड़के के कुंवारेपन पर कोई सवाल नहीं करना, जरूर उसे अखरता था।

लड़के -लड़की दोनों के लिए नैतिकता के अलग -अलग मानदंड क्यों रखते हैं ? माना केवल अंतरंग होना ही प्यार नहीं है, लेकिन अंतरंग होना भी तो एक -दूसरे के प्रति प्यार दिखाने का जरिया है ।

इसलिए निशि दी द्वारा उसे जज करना उसे बिलकुल पसंद नहीं आया। रितिका को निशि दी से कोई चरित्र प्रमाण पत्र भी नहीं चाहिए था। विश्व में आबादी की दृष्टि से हम नंबर २ पर हैं, लेकिन इंटरकोर्स हमारे लिए अभी भी एक हौवा है। रितिका निशि दी को उन्ही की भाषा में जवाब देना चाहती थी, इसलिए उसने ऐसे दिखाया कि मानो उसे तो कुछ समझ ही नहीं आया।

उसने कहा, "हर चीज़ से आपका क्या मतलब है दी ?"

अब निशी दी ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा, "तुम इतनी भी भोली नहीं हो। नौकरी करती हो, अपनी मर्ज़ी से शादी के लिए देवर जी को चुना। वही चीज़ जो शादी के बाद पति पत्नी के बीच में होती है। "

अचानक से रितिका को 'पी के ' फिल्म का संवाद याद आ गया कि हम सेक्स, कंडोम आदि जैसे शब्दों का उपयोग करते हुए हद दर्जे तक झिझकते हैं। लेकिन धूमधाम से शादी करके, जिसमें कई बार हज़ारों लोगों को आमंत्रित करते हैं और उन्हें पता होता है कि आज हम सेक्स करने वाले हैं, हमें कोई झिझक नहीं होती । निशि दी के लिए भी शायद शादी का अर्थ सेक्स करने के लिए लाइसेंस मिलना मात्र था।

निशी दी घुमा -फिराकर यह पूछने की कोशिश कर रही थी कि हम शादी से पहले एक दूसरे के कितने करीब थे, हमारी अंतरंगता कितनी थी। यह बहुत ही व्यक्तिगत सवाल था। और रितिका उनको इसका जवाब देना जरूरी नहीं समझती थी । रितिका बहुत गुस्से में थी, लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

रितिका ने निशि दी से कहा, "ओह, आपका मतलब एक दुसरे से बातचीत, एक ही कमरे को शेयर करना, एक-दूसरे की मदद करना और एक-दूसरे की देखभाल करना है न दी ।यह सब तो पति और पत्नी के बीच होना ही चाहिए।"

अब निशी दी बहुत चिढ़ गई थी। उन्होंने कहा, "अब तुम तैयार हो जाओ। मुझे जाना होगा। तुम्हारे भैया मुझे बुला रहे हैं ।"

रितिका ने कहा, "दी, कृपया लिपस्टिक लगाने में मेरी थोड़ी मदद तो कर दो । मुझे तो भैया की आवाज़ भी सुनाई नहीं दी। इसलिए आप थोड़ी देर और रुक जाओ।"

निशि दी ने कहा, "लिपस्टिक तुम खुद ही लगा लो ।तुम तो वैसे भी इतनी स्मार्ट हो ।" और निशि दी वहां से चली गयी थी ।

रितिका निशि दी की सोच के बारे में सोच रही थी। वह रितिका से मज़ाक तो बिलकुल नहीं कर रही थी।अगर ऐसा होता तो वह चिढ़कर नहीं जाती। वह भी अन्य लोगों की तरह अपने फैसले स्वयं लेने वाली लड़की को बिगड़ी हुई कुसंस्कारी लड़की साबित करना चाहती थी। वैसे वह अगर इसे कुसंस्कारी होना मानती है तो यह उनकी समस्या थी, रितिका की नहीं।


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