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Meera Ramnivas

Abstract

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Meera Ramnivas

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कसूरवार

कसूरवार

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जया घर देर से पहुंची। "मम्मी आज बड़ी देर करदी। बहुत थकी हुई भी लग रही हैं।लीजिए पानी पीजिये", बेटे ने मां की तरफ पानी का ग्लास बढ़ाते हुए कहा।हां बेटा!आज काम थोड़ा ज्यादा था, पास वाली टेबल के सहकर्मी छुट्टी पर थे, उनका काम भी मुझे ही देखना था।


"अच्छा ये बताओ खाने के लिए क्या बनाऊं , क्या खाओगे'।

"माँ ऐसा करते हैं,आज दाल चावल बना लेते हैं। आप हाथ मुंह धोइये, कपड़े बदल लीजिए।मैं दाल चावल भिगो देता हूं। प्याज हरी मिर्च आदि काट पीट देता हूँ। आप थोड़ा आराम कर लीजिए फिर बना लीजिए ।"

"ठीक है बेटा ।"

जैसे ही जया अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ती हैं, मोबाइल बज उठता है,।हैलो के साथ ही उनकी बेटी श्रिया की सिसकियों की आवाज़ सुनाई देती है। सिसकियां जया के दिल में गर्म शीशे की तरह उतर जाती है।

 "क्या हुआ बेटा!क्यों रो रही हो? वह और भी जोर से रोने लगती है, तुम दोनों का झगड़ा हुआ है क्या?आखिर बात क्या है?"

श्रिया सिसकते हुए बोली "माँ ईश ने मेरी उंगली तोड़ दी"।

इतना सब कैसे हो गया?"मां ने पूछा।

"मां आज वो ऑफिस से ही गुस्से में आये थे।मैंने चाय दी। थोड़ी प्लेट में गिर गई नाराज हो गये।, घूंट भर कर बोले चाय में शक्कर ज्यादा है, मैंने कहा रोज डालती हूँ उतनी ही डाली है, तो झगड़ने लगे ,क्या मैं झूँठ बोल रहा हूँ।फिर फ्रस्ट्रेशन में आपके लिए अनाप शनाप बोलने लगे,तुम्हारे पापा ने तुम्हारी माँ को छोड़ दिया।मैने कहा किसी ने किसी को नहीं छोड़ा है ,अपनी मर्जी से दोनों अलग रहते हैं, तो कहने लगे जरूर तुम्हारी माँ का कोई कसूर होगा।" मैने कहा

"ईश चुप कर जाओ, , तुम कुछ नहीं जानते, माँ के लिए कुछ भी मत बोलो,तो गुस्से मैं हाथापाई पर उतर आए।"

"बेटा मैने तुम्हें कितनी बार समझाया है। लोग जो भी सोचें, सोचने दो।,सच्चाई क्या है, कसूरवार कौन है। तेरे पापा जानते हैं। हम सब जानते हैं। ईश्वर जानते हैं।"

" माँ ईश लोगों में नहीं आते, वो मेरे पति हैं ।उन्हें सच्चाई का पता होना चाहिये। मैने आज ईश को सच बता ही दिया है। परिवार की जिम्मेदारी से पापा भागे हैं मां नहीं। बच्चों के लालन-पालन की जगह,अपना दैहिक सुख पापा ने ढूंढा है मां ने नहीं। दूसरी औरत के साथ पापा रह रहे हैं। कसूरवार कौन है, खुद ही तय कर लो।"


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