कर्मों के भागीदार (KKH 2)
कर्मों के भागीदार (KKH 2)


शुरुआत :- मेरे पापा पेपर पढ़ते हुए
पापा :- रात के अंधेरे में बढ़ी चोरी की वारदातें । पर्स गले की चेन लूटकर भाग जाता है चोर अब तक किसी ने नहीं देखा चेहरा। मोहिनी और नव्या तुम लोग बाहर जाओ तो संभल कर जाना।
नव्या :- पापा आप सिर्फ़ मुझे और मम्मी को ही क्यों बोल रहे हो आप और भैया भी तो रात में बाहर जाते हो ना।
पापा :- हम लोग तो आदमी हैं ना बेटा।
तभी मैं सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए
शिव :- पापा हम आदमी हैं इसका मतलब ये नहीं कि हमें संभल कर रहने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि औरत हो या आदमी चोर तो सभी को लूटेगा ना।
मम्मी :- हाँ शिव सही कह रहा है मैंने सुना है कि ये चोर आदमियों पर तो हमला भी कर देता है।
नव्या :- मम्मी फ़िर आज रात को हम चल रहे हैं ना ?
पापा :- क्या भाई दोनों माँ बेटी कहाँ जाने की बात कर रहे हो।
मम्मी :- मेरी एक सहेली है उसके घर किटी पार्टी है तो बस वहीं जाना है।
शिव :- रात में किटी पार्टी ?
नव्या :- भैया दुनिया की कौनसी किताब में ऐसा लिखा है कि रात में किटी पार्टी नहीं हो सकती।
शिव :- अरे पर अक़्सर लोग दिन में पार्टी रखते हैं ना।
पापा :- तो तुझे क्या करना कभी भी पार्टी रखी हो दिन में भी होती तब भी हमें तो घर पर ही रहना था।
शिव :- पापा रात में कहीं इन्हें वो चोर मिल गया तो, अच्छा एक काम करता हूँ मैं आप दोनों को कार से छोड़ दूँगा फ़िर जब पार्टी ख़त्म हो मुझे कॉल कर देना मैं लेने आ जाऊँगा।
मम्मी :- नहीं नहीं तुझे परेशान होने कि ज़रूरत नहीं है हम कैब बुलावा लेंगे जाते में भी और लौटते में भी।
शिव :- मतलब अपने हिसाब से देख लो जैसा ठीक लगे।
नव्या :- भैया डोंट वरी मैं हूँ ना मम्मी के साथ।
शिव(दबी आवाज़ में) :- उसी बात कि तो वरी है।
नव्या :- क्या ?
शिव :- कुछ नहीं।
रात में जब मम्मी और नव्या पार्टी से घर वापस आ रही होती हैं तो उनकी कैब ख़राब हो जाती है और कैब ऐप के सर्वर में प्रॉब्लम की वजह से दूसरी कैब भी बुक नहीं हो पाती तो वो दोनों फैसला करती हैं कि क्योंकि घर थोड़ा ही दूर है इसलिए चल कर चलते हैं
मम्मी :- ज़रा ध्यान रखना बेटा इसी रास्ते पर वो चोर घूमता है।
नव्या :- हाँ।
अचानक वहाँ से एक आदमी निकलता है जिसने अपने मुह पर कपड़ा बाँधा होता है वो उन दोनों के करीब आता है और झट से मम्मी के गले से मंगलसूत्र खींच कर भाग जाता है।
मम्मी :- अरे कोई पकड़ो उसे चोरी करके भाग रहा है।
लेकिन सुनसान सड़क पर कौन उनकी आवाज़ सुनता।
मम्मी(घबराते हुए) :- अब मैं इनसे क्या बोलूंगी इन्होंने कहा था संभल कर रहने को पर मैंने सुना नहीं।
नव्या :- मम्मी आप परेशान मत हो भैया हैं ना वो सब संभाल लेंगे अभी तक तो पापा सो गए होंगे हम घर जाकर भैया को सारी बात बता देंगे
दूसरी ओर वो चोर अपने घर पहुँचता है घर पर उसके माँ पिता जी पत्नी और 7 साल की बेटी रहते हैं वो अपनी पत्नी के हाथ में कुछ पैसे देता है पैसे देख कर उसकी पत्नी पूछती है।
उषा(चोर की पत्नी) :- इतने सारे पैसे कहाँ से आए।
छोटू(चोर) :- तुम्हारे लिए ये जानना ज़रूरी नहीं है कि पैसे कहाँ से आए तुम्हारा काम है घर चलाना और पैसे लाना मेरा काम है फ़िर मैं कहीं से भी लाऊं
बाबूजी(चोर के पिता) :- हाँ हमें इससे मतलब नहीं है कि तू पैसे कहाँ से ला रहा है पर इतनी उम्मीद ज़रूर है कि कुछ अच्छा करके ही ला रहा है
ये सुनकर छोटू चोर अपनी नज़रें झुका लेता है और अपने कमरे में चला जाता है
यहाँ जब मेरी मम्मी और नव्या घर पहुँचते हैं और घँटी बजाते हैं तो मैं दरवाज़ा खोलता हूँ।
शिव :- अरे आ गए आप लोग, 1 बज गया यार बड़ी देर से पार्टी ख़त्म हुई।
मम्मी(मन में) :- लगता है ये सो गए।
शिव :- हाँ पापा तो एक घँटे पहले ही सो गए।
मम्मी :- तुझे कैसे पता मैं मन में क्या बोल रही हूँ।
नव्या :- मम्मी शायद आप भूल गई कि भैया मन की बात सुन लेते हैं।
मम्मी(गुस्से में) :- तू मेरी मन की बात क्यों सुन रहा था।
शिव :- आप कुछ टेंशन में लग रही हो इसलिए।
मम्मी :- देख टेंशन तो है पर प्लीज़ अपने पापा को मत बताना।
शिव :- यार ऐसा क्या हो गया कि पापा को नहीं बताना है और हाँ ये आपका मंगलसूत्र कहाँ गया।
नव्या :- चोरी हो गया।
शिव :- क्या ? चोरी हो गया पर कैसे।
नव्या :- रास्ते में एक चोर आया और मंगलसूत्र गले में से खींच कर भाग गया।
शिव :- और ये बात पापा को नहीं बतानी अरे उनको तो सबसे पहले बतानी पड़ेगी
पापा :- उसकी ज़रूरत नहीं है बेटा मैंने सब सुन लिया है।
मोहिनी तुम इतनी लापरवाह कैसे हो सकती हो अरे जब महँगी चीज़ें संभालनी नहीं आती तो पहनती क्यों हो।
शिव(तेज़ आवाज़ में) :- पहनेगी वो उनका बेटा इतना काबिल है कि उनको महँगी चीज़े लाकर दे सके और पापा आप प्लीज़ मम्मी से ऊँची आवाज़ में बात मत कीजिए।
नव्या :- और भैया आप पापा से तमीज़ से बात कीजिएय़
शिव :- अभी हम लोगों के झगड़े से ज़्यादा ज़रूरी है कि पुलिस के पास जाया जाए और रिपार्ट लिखवाई जाए।
अब हम सब पुलिस स्टेशन जाते हैं वहाँ के इंचार्ज सहदेव सिंह राठौड़ मेरे बचपन के दोस्त हैं।
राठौड़(अबराधि को पीटते हुए) :- मेरे रहते हुए तू मेरे इलाके में लड़कियों को छेड़ेगा तेरी इतनी हिम्मत अरे मेरे रहते हुए तो पूरी शहर में किसी की हिम्मत नहीं है लड़की छेड़ने की।
शिव :- हाँ लेकिन चोरी करने की हिम्मत तो है ना।
राठौड़ :- शिव ! तुम लोग इतनी रात को यहाँ कैसे।
शिव :- एक चोर मम्मी का मंगलसूत्र छीन कर भाग गया।
राठौड़ :- आंटी आपने देखा वो कौन था ?
मम्मी :- नहीं। उसने मुह पर कपड़ा बाँधा हुआ था।
राठौड़ :- तो कोई ऐसी निशानी जिससे उस चोर की पहचान हो सके मतलब शरीर से कैसा दिखता था या कुछ।
मम्मी :- मोटा सा था हाइट छोटी थी बस इतना ही पता है।
राठौड़ :- हम्म ! हम एक काम करते हैं कल रात एक लेडी कॉन्स्टेबल सादे कपड़ों में सोने का हार पहनकर उसी सड़क से गुज़रेगी हम भी वहाँ पर छुपकर इंतज़ार करेंगे जैसे ही वो चोर आएगा हम उसे पकड़ लेंगे।
इंस्पेक्टर राठौड़ का प्लान अच्छा था पर ये कामयाब होता है या नहीं ये देखना था अब अगली रात को वैसा ही किया गया जैसा प्लान बनाया था।
एक लेडी कॉन्स्टेबल उस सड़क से निकली हम लोग भी वहीं कहीं छुपे हुए थे और वैसा ही हुआ जैसा सोचा था। वो चोर आया उसने हार चुराने की कोशिश की और राठौड़ ने उसे पकड़ कर गिरफ़्तार कर लिया और थाने ले आया।
राठौड़ :- चल बता अब तूने आज तक कितनी चोरियां की हैं और चोरी का सामान कहाँ है।
चोर :- याद नहीं है यहीं कुछ 70-80 की होंगी और चोरी का सामान तो ख़र्च हो गया
राठौड़ :- कहाँ रहता है तू घर कहाँ है तेरा कौन कौन है घर में।
चोर :- पूरा परिवार है मेन रोड के पास जो छोटी सी चॉल है ना वहीं रहता हूँ।
राठौड़ :- वो लोग भी शामिल हैं इन सब में।
चोर :- नहीं वो लोग तो बेकुसूर हैं उन्हें तो पता भी नहीं मैं क्या करता हूँ।
राठौड़ :- अब पता चलेगा क्योंकि अब मैं उनको यहाँ बुलाऊँगा और उनको तेरी हरक़तें बताऊंगा।
चोर :- बुला लो मेरे बाबूजी मेरी ज़मानत करवा के मुझे यहाँ से ले जायेंगे।
थोड़ी देर बाद छोटू चोर के माता पिता पत्नी और बेटी को थाने लाया जाता है उसके पिता उसे लॉकअप में देखकर हैरान रह जाते हैं और गुस्से में उससे पूछते हैं।
बाबूजी :- तू लॉकअप में क्या कर रहा है क्यों लाए हैं तुझे यहाँ।
राठौड़ :- मैं बताता हूँ असल में आपका बेटा एक चोर है और अभी तक 70 से ज़्यादा चोरियां कर चुका है हमने थोड़ी देर पहले ही इसे पकड़ा है।
चोर :- हाँ तो क्या ग़लत किया अपने परिवार को पालने के लिए ही तो चोरी की है ना।
शिव :- हाँ तो ठीक है इनसे ही पूछ लेते हैं कि इनको इनके बेटे का चोरी करना अच्छा लगता है कि नहीं।
चोर :- हाँ पूछ लो अरे मेरी चोरियों से ही घर में खाना बनता है और मेरी बेटी स्कूल जा पाती है तो इन्हें क्यों पसंद नहीं होगा।
बाबूजी :- नहीं! एक चोर तो मेरा बेटा हो ही नहीं सकता।
चोर की माँ :- अगर हमें पता होता तू पैसा चोरी करके ला रहा है तो हम भूखे मर जाते लेकिन एक निवाला भी ना खाते।
उषा :- मुझे लग रहा था कि कहीं आप कोई ग़लत काम तो नहीं कर रहे लेकिन कभी पूछने की हिम्मत नहीं हुई।
ये सुनकर छोटू चोर की आँखों में आँसू आने लगते हैं
शिव :- नहीं अंकल जी आपने चोरी के पैसे से अपना पेट भरके कुछ ग़लत नहीं किया ये आपके बेटे की ज़िम्मेदारी है कि वो आप सब का ख़याल रखे इसलिए चिंता मत करिए इसके बुरे कर्मों का भागीदार आपको नहीं बनना पड़ेगा।
और बेटा तुम्हें भी अपने पापा के बुरे कर्मों का फ़ल नहीं मिलेगा ये अकेला ही अपने कर्मों का फ़ल भोगेगा।
पापा :- देखा तुमने आज तुम्हारे पिता माँ पत्नी बच्ची कोई तुम्हारे साथ नहीं है क्योंकि तुमने ग़लत काम किया है।
चोर :- मुझे लगा कि मेरा परिवार मेरा साथ देगा इसलिए मैं बेझिझक चोरियां करता रहा मुझे लगा मेरा परिवार इसी में खुश रहेगा कि मैं घर में पैसा ला रहा हूँ लेकिन मैं गलत था इसलिए आज से मैं कसम खाता हूँ कि बुरे काम नहीं करूंगा और मेहनत से पैसा कमाऊँगा बाकी सारा सामान तो मेरे पास नहीं है लेकिन इनका मंगलसूत्र मेरे घर पर ही है जो इन्हें मिल जाएगा।
राठौड़ :- तुमने इतनी सारी चोरियां करी हैं इसलिए तुम्हें एक महीने की जेल होगी उसके बाद बाहर निकलकर एक नई ज़िंदगी शुरू करना।
पापा :- हाँ अपनी सज़ा पूरी करो फ़िर उसके बाद हम तुम्हें एक दुकान खोलकर दे देंगे उसे चलाना और शिव अगर तुम इस बच्ची की एक साल की स्कूल फ़ीस भर सको तो।
शिव :- पापा यूँ समझो आपने कह दिया मैंने कर दिया। तो तुम्हारी बेटी की एक साल की स्कूल फ़ीस मैं भरूँगा ठीक है तो चलो अब सब घर चलते हैं
अंत :- मैं ये तो मानता हूँ कि परिवार के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है लेकिन ग़लत रास्ते पर चले जाने से वो इंसान एक ऐसी जगह पर पहुँच जाता है जहाँ सिर्फ़ गहरी खाई होती है और वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं होता ।
कृष्ण कहते हैं कि यदि आप बुरा कर्म करेंगे ग़लत मार्ग पर जाने लगेंगे तो आपके अपने भी आपसे दूर होने लगेंगे और आपके अपने आपके अच्छे कर्मों के भागीदार तो हैं लेकिन बुरे कर्मों का फ़ल सिर्फ़ आपको भोगना है।
तो चलिए अब मैं मिलता हूँ आपसे अगले एपिसोड में तब तक के लिए जय श्री कृष्ण।