पिंजड़ा ( भाग 30 से 36 )
पिंजड़ा ( भाग 30 से 36 )


भाग 30 :- उस औरत ने उन तीनों का बिल चुकाया इसलिए वो उस औरत से कहते हैं कि वो उसे कार में उसके घर छोड़ सकते हैं जिसपर वो औरत मान जाती है और वो तीनों उसके घर जाते हैं घर पहुंचकर वो औरत उन तीनों से घर में आने के लिए कहती है पहले तो वो मना करते हैं लेकिन उसके बहुत कहने पर मान जाते हैं उस औरत के पति दरवाज़ा खोलते हैं तो पता चलता है कि वो चल नहीं सकते और व्हीलचेयर पर रहते हैं मानसी उनसे पूछती है कि उन्हें क्या हुआ है तो वो बताते हैं कि काफ़ी पहले उनका एक्सीडेंट हो गया था जिसके बाद से वो चल नहीं पाते तभी वो लड़का धीरे से उस औरत के पति के पैर को हाथ लगाता है सबको लगता है कि वो उनके पैर छू रहा है और फिर वो अपने कमरे में चले जाते हैं उसके बाद वो औरत किचन में से एक डिब्बा लेकर आती है और उन तीनों को देती है और कहती है की इसमें ताज़ा मक्खन है जो घर पर ही बना है फिर वो तीनों उसका फिर से धन्यवाद करके चले जाते हैं उनके जाने के बाद वो औरत अपने कमरे में जाती है तो देखती है कि उनके पति चल रहे हैं वो ये देखकर हैरान हो जाती है और पूछती है की ये कैसे हुआ तो वो बोलते हैं कि जब उस लड़के ने मेरे पैर छुए उसके बाद इनमें दर्द होने लगा लेकिन थोड़ी देर में वो दर्द चला गया और मुझे लगा कि मेरे पैर ठीक हो गए हैं और मैं खड़ा हुआ तो देखा कि सच में पैर ठीक हो गए फिर वो औरत बोलती है लेकिन एक लड़के के हाथ लगाने भर से पैर ठीक कैसे हो सकते हैं। बाद में वो तीनों घर पर आते हैं और उस मक्खन के डिब्बे में से मक्खन निकालते हैं उसे खाने के बाद गौतम और मानसी को वो बहुत अच्छा लगता है लेकिन वो लड़का कहता है कि ये ठीक है लेकिन वो बात नहीं मक्खन तो मेरे गाँव में बनता है बहुत स्वादिष्ट तो गौतम उससे चिड़चिड़े अंदाज़ में कहता है कि तुम ही महान हो बस एक बाकी सब तो तुच्छ प्राणी हैं ना तो वो लड़का गौतम से कहता है कि देख भाई तू ना मुझसे अच्छे संबंध बनाकर रख आगे चलकर काम आएंगे तो गौतम पूछता है कि कैसे तो वो लड़का बोलता है " देख कल जाकर तेरी शादी होगी बच्चे होंगे अब उस मोहित का तो कोई ठिकाना नहीं है उसे तो पुलिस पकड़कर जेल में डाल देगी मानसी भी शादी करके चली जाएगी और मामा मामी नाना नानी तो गाँव में रहते हैं तो तेरे बच्चों को चिप्स और चॉकलेट कौन दिलाएगा और कहानियां कौन सुनाएगा ये महान इंसान ही ना इसलिए " तो गौतम भी थोड़े मज़ाकिया अंदाज़ में कहता है की अच्छा मतलब ये ग्रह दोष इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है जिंदगी से जिसपर मानसी भी हँसने लगती है और वो लड़का भी मुस्कुराने लगता है।
भाग 31 :- वो तीनों मिलकर वापस एनजीओ ऑफिस पहुँचते हैं लेकिन उन्हें वहाँ वो बच्चा नहीं दिखता जब वो वहाँ मौजूद हवलदार से पूछते हैं तो वो कहता है की उसे नहीं पता क्योंकि उसे एक केस की वजह से कमिशनर साहब ने बुला लिया था फिर वो अपने एक साथी मनन से पूछते हैं फिर उनके बीच में बातचीत होती है
मनन :- तुमने ही तो उसे बुलाया था
गौतम :- मैंने कब बुलाया ?
मनन :- अरे तुमने एक आदमी को भेजा था ना बच्चे को लेने के लिए
गौतम :- मैंने किसी को नहीं भेजा
मनन :- लेकिन वो आदमी तो कह रहा था कि उसे तुमने बच्चे को लेने भेजा है
गौतम (चिल्लाते हुए) :- अरे तो एक बार मुझे फोन करके पूछ तो लेता बेवकूफ़
वो लड़का :- अरे इसपर चिल्लाने से कुछ नहीं होगा हमें कमिशनर साहब को जाकर सब बताना चाहिए
मानसी :- भाई ठीक बोल रहे हैं यहाँ पर टाइम वेस्ट करने से कुछ नहीं होगा हमें कमिशनर साहब के पास जाना चाहिए
फिर वो तीनों कमिशनर साहब के पास जाते हैं मनन भी उनके साथ जाता है कमिशनर साहब मनन को उस आदमी का स्केच बनवाने को बोलते हैं मनन उसका स्केच बनवा देता है स्केच देखकर मानसी कहती है कि ये तो वही आदमी है जिसने मेरे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी ये भी उस गैंग का मेंबर है फिर कमिशनर साहब कहते हैं कि तुम लोग चिंता मत करो मैं इस आदमी का स्केच सारे थानों में भिजवा देता हूँ और सबको इसे ढूंढने का ऑर्डर देता हूँ फिर मनन वहाँ से वापस एनजीओ ऑफिस चला जाता है और बाकी तीनों घर जाने के लिए निकलते हैं रास्ते में उन्हें एक कार में वो बच्चा बैठा हुआ दिख जाता है वो उस कार का पीछा करने ही वाले होते हैं कि उनकी कार का पैट्रोल ख़त्म हो जाता है और फिर वो तीनों कार से उतरकर दौड़कर उस कार का पीछा करने लगते हैं उस कार की स्पीड बहुत ज़्यादा होती है लेकिन वो तीनों भागते रहते हैं जैसे तैसे वो उस कार के पास पहुँचने वाले होते हैं कि तभी कार में बैठा एक आदमी गोली चलाता है और गोली उस लड़के के हाथ पर लग जाती है गौतम और मानसी उस लड़के के पास रुक जाते हैं वो कार निकल जाती है फिर वो दोनों उस लड़के को अस्पताल ले जाते हैं अस्पताल में जब डॉक्टर पूछते हैं की बताओ कहाँ गोली लगी है तो लड़का उन्हें बताता है लेकिन उस जगह पर गोली लगने का कोई घाव नहीं रहता फिर वो लड़का बताता है कि उस आदमी ने मुझे रबर की गोली मारी थी जिससे बस थोड़ा दर्द हुआ था लेकिन तुम दोनों मुझे पकड़ कर यहाँ ले आए तो मैं कुछ बता नहीं पाया गौतम उसकी बात मान लेता है लेकिन मानसी को शक होता है कि गोली की आवाज़ तो ऐसी थी कि असली गोली चली हो और उस टाइम तो इनके हाथ में से खून भी आ रहा था तो इतनी जल्दी घाव भर कैसे गया और ये झूठ क्यों बोल रहे हैं।
भाग 32 :- वो गाड़ी तो निकल गयी और अब तीनों अस्पताल से घर आ जाते हैं अब रक्षाबंधन का दिन आ चुका था इस बार मानसी ने तीन राखियां बनाई इस बार उसने सोचा कि वो उस लड़के को राखी बाँधेगी और देखेगी क्या होता है रक्षाबंधन पर मामा मामी और नाना नानी भी शहर आ जाते हैं मानसी उस लड़के को भी फोन करके बुला लेती है फिर वो गौतम को अपने हाथ से बनाई राखी बाँधती है फिर वो उस लड़के को बोलती है वो भी उसका भाई है इसलिए आज वो उसे भी राखी बाँधना चाहती है फिर मानसी ठीक गौतम की राखी जैसी ही राखी उस लड़के को बाँधती है लेकिन गौतम उसे रोक लेता है और पूछता है कि ये राखी तो उसके दूसरे भाई के लिए है तो ये राखी वो इसे क्यों बांध रही है तो मानसी कहती है कि इस बार उसने तीन राखियां बनाई हैं फिर वो उस लड़के को राखी बांध देती है उसके बाद वो अपने मामा को भी राखी बाँधती है फिर वो तीसरी राखी लेकर अपने दूसरे भाई के पास जाती तो देखती है कि उसके हाथ पर तो पहले से ही वैसी राखी बँधी होती है मानसी ये देखकर हैरान हो जाती है और गौतम को आवाज़ देकर बुलाती है आवाज़ सुनकर गौतम के साथ सारे घरवाले भी आ जाते हैं वो सबको बताती है कि मैंने अभी तक इनके हाथ पर राखी नहीं बाँधी फिर भी इनके हाथ में वैसी ही राखी है ये सुनकर गौतम और सभी लोग हँसने लगते हैं और कहते हैं कि क्यों मज़ाक कर रही हो तुमने ही तो इनको राखी बाँधी है मानसी कहती है की नहीं मैंने सिर्फ आपको और भाई को राखी बाँधी है इनको नहीं फिर गौतम कहता है की तो फिर थाली में से राखी कहाँ चली गई मानसी जब थाली में देखती है तो उसमें तीसरी राखी नहीं होती सब मानसी से कहते हैं की उसने अच्छा मज़ाक किया मानसी पूछती है कि भाई कहाँ हैं तो गौतम कहता है कि वो तो राखी बंधवाकर चला गया था कह रहा था उसे कुछ ज़रूरी काम है।
भाग 33 :- ये बात मानसी को बहुत परेशान करती है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ पर वो जानती थी की कोई भी उसकी बात पर यकीन नहीं करेगा उसके बाद गौतम को कमिशनर साहब का फोन आता है वो उसे बताते हैं कि अर्जुन उन्हें मिल गया गौतम उनसे पूछता है कि अर्जुन उन्हें कैसे मिला तो वो गौतम से कहते हैं कि तुम्हारा वो जो दोस्त है वो अर्जुन को लेकर आया है और मुझे लगता है कि वो उस बच्चे को जानता है लेकिन मेरे बहुत पूछने के बाद भी वो मुझे नहीं बता रहा, ये सुनकर गौतम मानसी के साथ कमिशनर साहब के पास पहुँचता है कमिशनर साहब बताते हैं कि ये बच्चा इसे देखकर बहुत देर से मुस्कुरा रहा है लेकिन ये लड़का मुझे कुछ नहीं बता रहा अगर ये तुम दोनों का दोस्त ना होता तो अभी तक डंडे मार मारकर उगलवा लिया होता मैंने तो वो लड़का कहता है कि हाँ ये सच है कि मैं इसे जानता हूँ लेकिन ये लड़का मुझे ठीक तरह से नहीं जानता और आप सब चिंता मत कीजिए मैंने इसके माता पिता को बुला लिया है वो आते ही होंगे थोड़ी देर बाद अर्जुन के माता पिता आ जाते हैं लेकिन वो उस लड़के को पहचानने से इंकार कर देते हैं तो फिर वो लड़का वही बात कहता है कि मैं आप लोगों को जानता हूँ आप सब मुझे नहीं जानते इस बात से परेशान होकर कमिशनर साहब उससे उसकी कोई आईडी माँगते हैं लेकिन उसके पास कुछ नहीं होता और वो मुस्कुराते हुए कहता है कि बच्चा अपने माँ बाप से मिल गया ना तो अब मैं कौन हूँ ये जानकर क्या करना है और जाते जाते वो अर्जुन के माता पिता से कहता है कि बच्चे को एक बार अस्पताल ले जाइएगा हो सकता है उन लोगों ने इसे कुछ नुकसान पहुँचाया हो ये कहकर वो लड़का चला जाता है जब वो सब लोग कमिशनर ऑफिस से बाहर आते हैं तो मानसी के फोन पर एक मैसेज आने की वजह से उसके फोन की स्क्रीन ऑन हो जाती है और वो बच्चा स्क्रीन पर वॉलपेपर देखकर मुस्कुराने लगता है तो उसकी माँ बोलती है कि ये हमेशा इनकी फ़ोटो देखकर मुस्कुराने लगता है ये सुनकर मानसी को बड़ी हैरानी होती है तभी अर्जुन के पेट में दर्द शुरू हो जाता है जब उसे अस्पताल ले जाते हैं तो पता चलता है कि इसके पेट को काटा गया है क्योंकि उसमें टांके लगे होते हैं।
भाग 34 :- डॉक्टर अर्जुन के माता पिता को बताते हैं की इस बच्चे के पेट को कुछ दिन पहले ही काटा गया है इस बात से गौतम को शक होता है कि कहीं इसका कोई ऑर्गन तो नहीं निकाल लिया गया। दूसरी ओर मोहित और संस्कार अपने उस आदमी पर बहुत गुस्सा होते हैं क्योंकि अर्जुन उसके पास ही था वो आदमी बताता है कि मैं अर्जुन को तुम लोगों के पास लेकर आ ही रहा था कि तभी एक लड़के ने मेरा रास्ता रोक लिया और मुझे मारकर अर्जुन को लेकर चला गया फिर संस्कार कहता है कि उस बच्चे के पेट में हमने एक करोड़ के ड्रग्स छुपाए थे इसलिए उस बच्चे को हमें वापस लेकर आना ही होगा । जब डॉक्टर अर्जुन के पेट को चेक करते हैं तो उन्हें अर्जुन के पेट में कई सारे छोटे छोटे पैकेट दिखते हैं बाद में वो अर्जुन का ऑपरेशन करके उन पैकेट्स को निकाल लेते हैं और फिर वो पुलिस को बुलाने के लिए कहते हैं जब पुलिस आती है तो वो पुलिस को बताते हैं कि इस बच्चे के पेट में ड्रग्स के पैकेट मिले हैं फिर पुलिस अर्जुन से पूछने की कोशिश करती है कि उसे कौन लेकर गया था लेकिन अर्जुन कुछ नहीं बताता पुलिस गौतम से पूछती कि तुम लोगों के साथ जो लड़का था जो इस बच्चे को बचाकर लाया था वो कहाँ है तो गौतम कहता है कि वो तो कमिशनर साहब के ऑफिस से ही चला गया था फिर पुलिस उसका नंबर मांगती है तो गौतम कहता है कि वो हमेशा प्राइवेट नंबर से फोन करता है इसलिए उसका नंबर नहीं है पुलिस उसका ऐड्रेस मांगती है तो गौतम कहता है कि उसे नहीं पता वो कहाँ रहता है जिससे पुलिस उसे डांटती है कि एक लड़का तुम्हारे साथ इतने दिन से घूम रहा है और तुम्हें उसका नाम नंबर ऐड्रेस कुछ नहीं पता तो मानसी बोलती है कि उसे पता है वो कहाँ रहता है पुलिस के पूछने पर मानसी बताती है कि वो द्वारिकाधीश सोसाइटी में रहता है लेकिन फ्लैट नंबर नहीं पता पुलिस उनसे उस लड़के का स्कैच बनवाती है ताकि उसको ढूंढ़कर पूछताछ कर सकें द्वारिकाधीश सोसाइटी जाकर पुलिस उसके बारे में पूछती है तो लोग बताते हैं कि ये सोसाइटी में नहीं रहता यहाँ किसी ने इसे नहीं देखा है फिर पुलिस मानसी से पूछती है कि उसे किसने बताया कि वो यहाँ रहता है तो मानसी कहती है कि उसी ने मुझे बताया था तो पुलिस वाले कहते हैं कि उसने तुमसे झूठ बोला होगा फिर गौतम को भी लगता है कि वो लड़का झूठ बोल रहा है और सोचता है कि कहीं वो भी उस गैंग का मेंबर ही तो नहीं इसलिए उसने अर्जुन को देखकर चेहरा छुपा लिया ताकि वो उसे ना पहचान सके।
भाग 35 :- पुलिस उस लड़के को बहुत खोजती है लेकिन वो लड़का कहीं नहीं मिलता और पुलिस कुछ दिन में उसे ढूंढना बंद कर देती है दूसरी तरफ राणा मोहित से आकर मिलता है और कहता है कि उस बच्चे ने पुलिस को कुछ ना बताया हो तो अच्छा है तो मोहित कहता है कि वो बच्चा ठीक से बोल भी नहीं पाता वो किसी को क्या बताएगा लेकिन एक बात मेरे समझ नहीं आती कि उस बच्चे को वहाँ गाँव में लेकर कौन गया था तभी मोहित के पास फोन आता है जो उस ही लड़के का होता है मोहित सबसे थोड़ा दूर जाकर उससे बात करता है वो लड़का मोहित को एक सुनसान जगह पर आकर मिलने के लिए कहता है जब मोहित वहाँ पहुँचता है तो वो लड़का उससे कहता है कि उन लोगों के साथ रहकर तुम भी पूरे माफ़िया बन चुके हो तो मोहित उससे गुस्से में पूछता है कि तुम हो कौन यार आख़िर तुमने जो गलतफहमी पैदा की है उसकी वजह से मुझे इन जैसे बुरे लोगों के साथ रहना पड़ रहा है तो वो लड़का कहता है कि अगर मैं ऐसा नहीं करता तो तुम अपने दोस्त को छोड़कर कभी नहीं जाते और जब तक तुम उसके साथ रहते उसे मेरी ज़रूरत नहीं पड़ती तो मोहित कहता है कि उसे तुम्हारी ज़रूरत क्यों पड़नी चाहिए यार तुम्हारे बिना भी हम उन बच्चों को ढूंढ सकते थे तो वो लड़का कहता है कि अच्छा एक बात बताओ तुम्हारे एनजीओ ने आज तक कितने बच्चों को बचाया है इस सवाल पर मोहित कोई जवाब नहीं दे पाया तो वो लड़का बोलता है कि मैं बताता हूँ ज़ीरो और ये जो दो बच्चे हैं ना इन्हें भी तुम ढूंढ नहीं पा रहे थे इसका भी हिंट मैंने ही दिया था तुमको इसलिए तुम दोनों को मेरी ज़रूरत है इसलिए अब मेरी एक बात ध्यान से सुनो फिर वो लड़का मोहित को कोई बात बताता है और कहता है कि अब यही बात जाकर राणा को बोलो सेम तू सेम ठीक है जाते जाते मोहित बोलता है कि वैसे तुम बताओगे नहीं लेकिन फिर भी पूछता हूँ कि तुम्हारा नाम क्या है तो वो लड़का कहता है कि जब तुम्हें पता है मैं नहीं बताऊंगा तो क्यों टाइम वेस्ट करना यार और ऐसा बोल के वो दोनों अपने अपने रास्ते चले जाते हैं
भाग 36 :- अगले दिन गौतम के घर की घन्टी बजती है जब वो दरवाज़ा खोलता है तो वो लड़का सामने खड़ा होता है गौतम उसे देखकर बहुत गुस्सा होता है और बोलता है कि तुम 2 दिन से कहाँ थे पुलिस ढूंढ रही है तुम्हें तो वो लड़का बोलता है की ये सब बातें तो होती रहेंगी फ़िलहाल मुझे बहुत भूख लगी है खाना लगाओ तो गौतम बोलता है कि यहाँ शादी नहीं है मेरी जो खाना लगाओ तो वो लड़का बोलता है कि अभी मुझे इतनी भूख लगी है ना कि उसके लिए तुम्हारी शादी भी करवानी पड़े तो करवा दूँगा इसपर गौतम मुस्कुरा कर बोलता है कि यार इतना सब कुछ हो गया है फिर भी तुम इतने पोसिटिव कैसे रह रहे हो पर इसका वो लड़का कोई जवाब नहीं देता फिर उन दोनों में बातचीत शुरू हो जाती है
( लड़का :- मानसी कहाँ है
गौतम :- वो अभी ऑफिस गई है
लड़का :- तुम क्यों नहीं गए
गौतम :- वो क्या है ना कि आपकी कृपा से मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है
लड़का :- हाँ मैंने ही तो कहा था कि नौकरी छोड़कर एनजीओ खोलकर बैठ जाओ
गौतम :- खैर वो सब छोड़ो तुम एक बात बताओ कि तुम भगवान पर विश्वास करते हो ना और करते हो तो कितना
लड़का :- जितना मैं खुद पर विश्वास करता हूँ उतना ही
गौतम :- तो एक बात बताओ अगर भगवान सच में होते हैं तो उन्होंने मेरे माँ बाप को क्यों नहीं बचाया वो चाहते तो उनकी मौत टाल सकते थे
लड़का :- (गंभीर होकर) यार देखो भगवान मौत नहीं टाल सकते
गौतम :- क्यों वो तो भगवान हैं सब कर सकते हैं ना
लड़का :- एक बात बताओ अगर इस देश का प्रधानमंत्री ही नियम तोड़ने लगे तो क्या जनता नियमों को मानेगी
गौतम :- नहीं
लड़का :- तो अगर भगवान ही सृष्टि के नियमों के साथ छेड़छाड़ करने लगें तो इंसान भी चाहेगा कि अगर भगवान अपने लिए कर सकते हैं तो हमारे लिए क्यों नहीं और ऐसा होता तो भगवान अपने पिता राजा दशरथ और अपने भांजे अभिमन्यु की मृत्यु को टाल देते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि ये दुनिया के नियमों के ख़िलाफ़ है
गौतम :- पर भगवान को कुछ ऐसा करना चाहिए कि अगर कुछ छीन रहा है तो कुछ देना भी चाहिए
लड़का :- दिया है ना तुम्हें इतनी अच्छी बहन दी है नाना नानी मामा मामी दीए है जो तुमसे इतना प्यार करते हैं और मेरी भी वाइल्ड कार्ड एंट्री करवा दी तुम्हारी लाइफ़ में अब
गौतम :- भगवान तो ख़ुद कहते हैं कि जब भी बुराई बढ़ेगी मैं जन्म लूंगा तो अभी तक जन्म क्यों नहीं लिया
लड़का :- भगवान तो जन्म ले चुके हैं हाँ उन्हें कैसे देखा जाए ये सबका अपना नज़रिया है
गौतम :- तुम्हारा नज़रिया क्या है
लड़का :- अब देखो ना सरहद पर भगवान वर्दी में खड़े हैं अस्पताल में सफेद कपड़ों में स्कूल में टीचर बनकर और जीवन में माँ बाप बनकर भगवान जन्म लेते रहे हैं और लेते रहेंगे
गौतम :- तो उन्हें मंदिर में मूर्तियों में क्यों देखा जाता है
लड़का :- वही सबका अपना नज़रिया है मानो तो भगवान ना मानो तो पत्थर
गौतम :- तुम्हें क्या लगता है हमारी लाइफ़ में जो चल रहा है उससे निकालने भगवान आएंगे
लड़का :- भगवान आते हैं यहाँ भी आएंगे या शायद आ चुके हों लेकिन तुम उन्हें देख नहीं पा रहे भगवान कहते हैं कि
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
गौतम :- मतलब?
लड़का :- जब भी धर्म की हानि होगी बुराई अपने शीर्ष पर होगी तब तब हर युग में साधुओं का कल्याण करने अधर्म का विनाश करने मैं आऊंगा और हो सकता है कि इस पिंजड़े को तोड़ने भी वो आएं)