बच्चों में भेदभाव(KKH 1)
बच्चों में भेदभाव(KKH 1)
नई कहानी जिसका नाम है कृष्ण कहते हैं (KKH)
शुरुआत "शिवशक्ति कॉलोनी(मेरा घर)
(मेरे पिता कन्हैया लाल श्रीवास्तव और मेरी छोटी बहन नव्या मेरे पापा का मोबाइल ढूँढ़ते हुए)
नव्या "पापा मोबाइल नहीं मिल रहा आपका।
पापा (गुस्से में) "ऐसे कैसे नहीं मिल रहा ठीक से देख.
मोहिनी(मेरी माँ) "अरे आप दोनों भी कितना चिल्ला रहे हो सुबह सुबह अरे अपने फ़ोन पर फ़ोन कीजिए पता चल जाएगा।
पापा(मुस्कुराते हुए)"अरे हाँ ये तो मैंने सोचा ही नहीं।
फ़िर पापा नव्या के फ़ोन से अपने फ़ोन पर रिंग करते हैं और फ़ोन मिल जाता है
पापा"वैसे शिव कहाँ है?
नव्या "वो तो होंगे अपने रूम में
पापा "दिन भर सोता रहता है कोई काम नहीं करता अरे भविष्य की चिंता है कि नहीं।
अचानक मेरी बात करते करते मेरे मम्मी पापा और नव्या हँसने लगे
पापा "अरे हम बहुत भाग्यशाली हैं जो हमें हमारे शिव के लिए ये सब बोलने की ज़रूरत नहीं पड़ती मैं तो भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि ऐसा बेटा सबको मिले। जा नव्या भैया को नाश्ते के लिए बुला ला.मेरे कमरे में मैं कागज़ और पेन लेकर कविता लिख रहा था तभी मुझे दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई.
नव्या "भैया चलो नीचे नाश्ते के लिए बुला रहे हैं"
शिव "हाँ आ रहा हूँ.
नाश्ते के बाद
मम्मी "बेटा सुबह सुबह तैयार होकर कहाँ जा रहा है?"
शिव "मम्मी वो डिसेंट स्कूल है ना कल वहाँ से फ़ोन आया था वो अपने स्कूल के लिए नया म्यूज़िक टीचर ढूँढ रहें हैं तो वहाँ के प्रिंसिपल मुझे जानते हैं तो उन्होंने कहा कि जबतक नया टीचर नहीं मिल जाता तब तक तुम ही आ जाओ तो मैंने हाँ बोल दिया"
पापा "ठीक है लेकिन आराम से कार चलाना उस रास्ते में ट्रैफिक होता है."
शिव "चल नव्या मैं तुझे भी कॉलेज छोड़ देता हूँ."
स्कूल पहुँचने के बाद मैं क्लास में जाता हूँ
बच्चे "गुड मॉर्निंग सर."
शिव "गुड मॉर्निंग बैठ जाइए तो मेरा नाम शिव कन्हैया लाल श्रीवास्तव है और मैं कुछ दिनों के लिए आपका नया म्यूज़िक टीचर हूँ."
जैसे ही पीरियड ख़त्म होने का समय होता है क्लास के कुछ बच्चे बहुत टेंशन में आ जाते हैं
शिव "क्या बात है यार तुम लोगों के चेहरे का रंग क्यों उतर गया"
बच्चे "सर इसके बाद मैथ्स का पीरियड है और आज सर यूनिट टेस्ट के नंबर बताने वाले हैं"
शिव "हाँ मैं भी इसी तरह घबराया करता था जब नंबर पता चलने वाले होते थे."
पीरियड ख़त्म होता है और मैथ्स वाले सर क्लास में आते हैं उनके हाथ में एक मोटी सी छड़ी होती है वो मुझे देखकर पूछते हैं
मैथ्स वाले सर "तुम कौन हो?'
शिव "जी मैं इस स्कूल का नया टेंपररी म्यूज़िक टीचर?"
मैथ्स वाले सर "ठीक है लेकिन म्यूज़िक से ज़्यादा ज़रूरी लाइफ में मैथ्स होता है अब जाओ यहाँ से."
क्या आदमी है यार कितना अकड़ कर बात करता है लेकिन मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और क्लास से बाहर आ गया
थोड़ी देर बाद मैं उस ही क्लास के सामने से गुज़रा तो मैंने देखा कि वो सर उन बच्चों को छड़ी से मार रहे हैं जिनके नंबर अच्छे नहीं आए हैं चाहे लड़का हो या लड़की सभी को मार रहे हैं मुझे थोड़ा अजीब लगा इसलिए मैंने उस क्लास के क्लास टीचर से उनका रजिस्टर मांगा और सभी बच्चों के पिछले कुछ महीनों के टेस्ट के नंबर देखे
मैंने देखा कि बाकी सब्जेक्ट्स में तो सबके ठीक ठाक नंबर आए हैं लेकिन मैथ्स में कई बच्चों के 50 में से 49 या 48 और कई बच्चों के बहुत कम लेकिन जिन बच्चों के अच्छे नंबर आए थे उनके बाकी सब्जेक्ट्स में एवरेज नंबर आए थे तो मैथ्स में इतने ज़्यादा कैसे फ़िर मैंने तय किया कि जिनके ज़्यादा नंबर आए हैं मैं उन बच्चों से लंच टाइम में अकेले में बात करूंगा
लंच टाइम में मैंने दो बच्चों को अकेले में बुलाया
शिव "यार मुझे तुम लोगों की एक हेल्प चाहिए
बच्चे "कैसी हेल्प सर
शिव "क्या है कि मैं एक एग्ज़ाम की तैयारी कर रहा हूँ जिसके लिए मुझे 8th क्लास की मैथ्स पढ़नी है तो मुझे एक सम में डाउट है तो तुम लोग बता दो मैथ्स वाले सर तो बिज़ी हैं
बच्चे(घबराते हुए) "सॉरी सर हमें नहीं आता
शिव "अरे झूठ मत बोलो यार मैंने तुम्हारे मैथ्स के नंबर देखे कितने अच्छे नंबर आए हैं प्लीज़ बता दो यार."
बच्चे(एक दूसरे से बात करते हुए)"सर को सच बता देते हैं वरना वो हमको जाने नहीं देंगे
बच्चे "सर हम आपको एक बात बताते हैं प्लीज़ बताना मत किसी को.
शिव"क्या ?
बच्चे "असल में हमारे मैथ्स में ऐसे नंबर इसलिए आए हैं क्योंकि हमें क्वेश्चन पेपर 3 दिन पहले ही मिल जाता था.
शिव "पहले मिल जाता था कैसे ?
बच्चे "सर हम और वलास के कई बच्चे मैथ्स वाले सर से ट्यूशन पढ़ते हैं इसलिए वो हमें पेपर पहले ही दे देते हैं और हम उन सभी क्वेश्चन को रट लेते हैं और स्टेप बाई स्टेप वैसा ही लिख देते हैं.
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शिव "तो सिर्फ़ कुछ बच्चे ही जाते हो ट्यूशन।
बच्चे "हाँ सर क्या है हमारे पापा पॉलिटिक्स में हैं और बाकी बच्चों में से किसी के पापा बड़े ऑफिसर किसी के बड़े बिज़नेसमैन हैं तो मैथ्स वाले सर उन ही बच्चों को पढ़ाते हैं ताकि ज़रूरत आने पर इनके पापा मम्मी से काम निकलवा सकें।
बच्चे "सर प्लीज़ आप किसी और को मत बताना क्योंकि इस स्कूल के टीचर्स को ट्यूशन पढ़ाना मना है.
शिव "हाँ मैं नहीं बताऊंगा किसी को.
बच्चों से तो कह दिया लेकिन बताना तो ज़रूरी था क्योंकि बच्चे अपनी मेहनत से पास नहीं हो रहे उन्हें पास किया जा रहा है वो भी स्वार्थ के लिए और बाकी बच्चों के साथ तो ग़लत हो रहा है इसलिए मैं प्रिंसिपल सर के पास गया और उन्हें सारी बातें बता दीं उसके बाद प्रिंसिपल सर ने मैथ्स वाले सर को बुलाया।
प्रिंसिपल "सर ये शिव सर कह रहे हैं कि आप बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं जबकी आपको पता है कि ये स्कूल के रूल्स के खिलाफ़ है.
ये सुनकर मैथ्स वाले सर के चेहरे पर पसीना आने लगता है और वो कहते हैं
मैथ्स वाले सर "अरे सर ये कल का आया हुआ नया लड़का है इसे क्या पता.
शिव "मुझे नहीं पता लेकिन आपके स्टूडेंट्स को तो पता है ना.
प्रिंसीपल "तो ठीक है शिव सर को जिन दो स्टूडेंट्स ने ये बताया। है उनको बुलाते हैं.
उन बच्चों को बुलाया जाता है.प्रिंसीपल "बच्चों क्या तुम लोग मैथ्स वाले सर से ट्यूशन पढ़ते हो"
इस सवाल को सुनते ही बच्चे घबरा जाते हैं और मैंने ये भी देखा कि मैथ्स वाले सर उनको घूर कर देख रहें हैं
शिव "देखो आज तुम डर के मारे बोलोगे नहीं उससे मेरा कोई नुकसान नहीं होगा नुकसान तुम्हारा ही होगा अभी तो तुम इनकी मदद से पास हो जाओगे लेकिन कल जब स्कूल से बाहर निकलोगे तो बिल्कुल खाली दिमाग के साथ निकलोगे और वो बच्चे जो इनसे ट्यूशन नहीं पढ़ते वो भी तो तुम्हारे दोस्त हैं ना चालाकी करके तुम लोग अच्छे नंबर ले आते हो पर वो लोग तो मेहनत करते हैं ना। मेरा काम समझाना था आगे तुम लोग जानो।
बच्चे "हाँ सर ये हमें ट्यूशन पढ़ाते हैं और टेस्ट पेपर भी पहले ही दे देते थे जिसकी वजह से हम अच्छे नंबर ले आते थे
ये सुनकर प्रिंसीपल सर मैथ्स वाले सर को बहुत डांटते हैं और नौकरी से निकालने की बात कहते हैं लेकिन बच्चों के बोलने पर वो ऐसा नहीं करते
शिव "बहुत अच्छे बच्चों आज तुमने सच बोला अब देखना आगे चलकर ये सच तुम्हारी किसी ना किसी तरह से मदद करेगा।और सर आप प्लीज़ बच्चों में ये भेदभाव करना बंद कर दीजिए एक शिक्षक के लिए उसके सारे बच्चे एक समान होने चाहिए।"
मैथ्स वाले सर "हाँ शिव सर अब से मैं बच्चों में कोई भेदभाव नहीं करूंगा और अब बच्चे पेपर में पास तो होंगे पर अपनी मेहनत से।"
अंत :- तो देखा आपने कैसे सर को अपनी ग़लती का एहसास हुआ। कृष्ण कहते हैं कि जो गुरु अपने शिष्यों में भेदभाव करे या शिक्षा को अपना स्वार्थ पूरा करने का ज़रिया बना ले वो शिक्षक नहीं होता
तो चलिए अब मैं मिलता हूँ आपसे अगले एपिसोड में तब तक के लिए जय श्री कृष्ण।