दहेज और झूठ ( KKH 9 )
दहेज और झूठ ( KKH 9 )


आज के समय में दहेज प्रथा बड़ी ही गलत मानी जाती है और यह गलत है भी क्योंकि दहेज के नाम पर लड़कियों के साथ बहुत ग़लत किया जाता है और उसके ऊपर से अगर झूठ भी बोला जाए तो रिश्ते टूटने में समय नहीं लगताआज हमारी कॉलोनी में रहने वाले खुराना साहब अपनी बेटी जानवी के साथ हमारे घर आए
खुराना ."ऐसा है भाईसाहब मैं अपनी बेटी को आपके पास इसलिए लेकर आया हूँ ताकी आप उसे समझा सकें।
पापा -."क्यों भाई ऐसा क्या है जो आप खुद उसे नहीं समझा पा रहे."
खुराना -."मैंने इसके लिए एक बहुत अच्छा लड़का देखा है लेकिन ये शादी करने से मना कर रही है."
जानवी -."क्योंकि मुझे अभी आगे की पढ़ाई करनी है."
खुराना -."तो लड़के वालों ने बोला तो है कि तुम पढ़ाई कर सकती हो शादी के बाद."
पापा -."हाँ बेटा अगर वो लोग इस बात के लिए राज़ी हैं तो तुम्हें भी हाँ कर देना चाहिए।
मम्मी -."देखो जानवी बेटा तुम भी जानती हो कि तुम्हारी मम्मी के जाने के बाद भी तुम्हारे पापा ने तुम्हें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी है तुम्हारी हर माँग पूरी की है तो क्या तुम उनकी खुशी के लिए इतना नहीं कर सकती।
जानवी -."ठीक है आँटी आप कह रही हैं तो मैं शादी के लिए तैयार हूँ."
ये सुनकर सब बहुत खुश हो जाते हैं."
तभी मैं भी वहाँ आ जाता हूँ."
शिव -."क्या हुआ आप सब इतने खुश क्यों हो."
पापा -."खुराना साहब ने जानवी की शादी तय करदी है."
शिव -."वाह बहुत अच्छी बात है."
मैं जब जानवी की तरफ़ देखता हूँ तो वो मुझे कुछ परेशान लगती है इसलिए मैं उससे बाद में अकेले में पूछता हूँ."
शिव -."क्या हुआ जानवी तू खुश नहीं है क्या शादी से."
जानवी -."नहीं क्योंकि मुझे अभी अपनी पढ़ाई जारी रखनी है."
शिव -."तो तू अपने पापा को बोल दे."
जानवी -."बोला था तो वो बोले कि लड़के वाले मुझे शादी के बाद पढ़ने देंगे।
शिव -."देख अगर ऐसा है तो फिर चिंता की बात क्या है तू अपनी पढ़ाई जारी रख सकती है ना."
जानवी -."हाँ लेकिन मेरी एक और प्रोब्लम है कि शादी के बाद मैं तो चली जाऊँगी फिर पापा अकेले रह जाएंगे।
शिव -."अकेले कहाँ रहेंगे मैं हूँ पापा हैं मम्मी हैं और कॉलोनी के बाकी लोग भी तो हैं हम सब उनका ख़याल रखेंगें।
जानवी मेरी बात मान जाती है और खुशी खुशी लड़के को हाँ बोल देती है उसके कुछ दिन बाद लड़के वाले खुराना अंकल के घर आते हैं शादी की बात करने
सिन्हा साहब -."खुराना साहब हमें तो आपकी बेटी पसंद है और उसे भी हमारा बेटा रोहन पसंद है तो अब ज़रा आगे की बात कर लेते हैं."
खुराना -."हाँ हाँ जल्द ही शादी का शुभ मूहर्त निकलवा लेते हैं."
सिन्हा -."अरे नहीं नहीं आप समझे नहीं मैं मूहर्त की बात नहीं कर रहा."
खुराना -."हाँ जी मूहर्त के अलावा भी और बातें होती हैं जैसे रस्में आप चिंता मत कीजिए मुझे शादी की सभी रस्में अच्छे से पता हैं."
सिन्हा -."नहीं असल में मैं बोल रहा था कि ज़रा लेन देन की बात कर लेते हैं."
खुराना -."ओ अच्छा तो बताइए आप अपने हिसाब से."
सिन्हा -."देखिए अब हम झूठ तो बोलेंगे नहीं हमारा बेटा सरकारी नौकरी में है और आपकी बेटी ज़्यादा पढ़ी लिखी नहीं है फिर भी हमारे बेटे ने हाँ कहा है तो 10 लाख कैश से नीचे हम क्या ही माँग सकते हैं."
खुराना -."10 लाख तो मेरे लिए बहुत ज़्यादा है साहब।
सिन्हा -."देखिए हमने तो आपसे बहुत कम माँगा है मेरे लड़के के लिए आपसे पहले और भी रिश्ते आए और वो तो हमें ज़्यादा ही दे रहे थे उसके आगे ये तो बहुत ही कम है."
खुराना -."जी ठीक है मैं करता हूँ इंतज़ाम लेकिन आप ये बात जानवी को मत बताइएगा।
दूसरी ओर कॉलोनी के गार्डन में जानवी रोहन से बात कर रही थी."
रोहन -."जानवी मैं नहीं चाहता कि शादी के बाद तुम्हें मेरे घर में कोई भी प्रॉब्लम हो इसलिए मैं तुम्हें हमारे घर की कुछ बातें और कुछ नियम पहले ही बता देता हूँ."
जानवी -."कैसे नियम ?
रोहन -."देखो हमारे घर का एक नियम है कि घर की बहू को सूरज निकलने से पहले उठना पड़ता है तो तुम्हें भी उठना पड़ेगा।
जानवी -."अरे वो तो मैं वैसे भी उठती हूँ जब कॉलेज जाना होता है वहाँ भी कॉलेज या जॉब पर जाउंगी तो उठना ही पड़ेगा।
रोहन -."हाँ लेकिन घर में सबको समय पर खाना खाने की आदत है तो उसका भी ध्यान रखना होगा।
जानवी -."डोंट वरि मैं सुबह घर से निकलने से पहले नाश्ता बना दिया करूँगी और दोपहर और रात के खाने के लिए हम किसी को रख लेंगे।
अब उनका जाने का समय हो जाता है जब वो लोग अपनी कार में बैठने वाले होते हैं तभी वहाँ लावण्या आ जाती है
जानवी -."रोहन इससे मिलो ये लावण्या है सामने वाले घर में रहती है."
रोहन -."हेलो।
लावण्या -."हेलो।
जब वो लोग जा रहे होते हैं तब लावण्या एक बहुत अजीब बात नोटिस करती है जो वो घर आकर मम्मी को बताती है."
लावण्या -."आँटी आज वो जानवी के घर लड़के वाले आए थे तो मैंने उनकी एक बड़ी ही अजीब बात नोटिस की."
मम्मी -."क्या ?
लावण्या -."वो जिस कार में आए थे उसके पीछे खालसा लिखा हुआ था और निशान साहिब बना हुआ था."
मम्मी -."तो."
लावण्या -."नहीं वो लोग सिन्हा हैं ना तो अपनी कार पे उन्होंने वो क्यों लिखवाया।
मम्मी -."अरे कोई बड़ी बात नहीं है बेटा हम भी तो गुरुद्वारे जाते हैं ना माथा टेकने दर्शन करने तो अगर वो भी वाहे गुरुजी को मानते हैं तो इसमें क्या बुराई है और वो सुखचैन भी तो मंदिर जाता है ना."
मम्मी की बात से लावण्या को लगा कि वो बेकार में ही शक कर रही हैअब खुराना अंकल टेंशन में थे कि वो दस लाख जैसी बड़ी रक़म कैसे जुटाएंगे इसलिए उन्होंने तय किया कि वो उनके पास रखा हुआ कुछ सोना गिरवी रख देंगेवो अपना सोना लेकर एक दुकान पर जाते हैं और वहाँ सोना गिरवी रख कर 10 लाख रुपय उधार ले लेते हैं
कुछ दिनों बाद रोके की रस्म का दिन आता है और लड़के वाले रस्म के लिए खुराना अंकल के घर ही आते हैं और उन्होंने कॉलोनी के बाकी परिवारों को भी बुलाया होता है तो हम भी वहाँ जाते हैं तभी लावण्या मेरे करीब आकर खड़ी हो जाती है और मुझसे कुछ कहती है
लावण्या -."शिव मुझे तुमसे कुछ बात करनी है."
शिव -."अरे अभी यहाँ इतना अच्छा कार्यक्रम चल रहा है अभी नहीं बाद में."
लावण्या -."ये बात बहुत ज़रूरी है यार."
शिव -."तुमको भी चैन नहीं है यार बोलो क्या है."
लावण्या -."यहाँ नहीं बाहर चलो."
शिव -."ठीक है चलो."
लावण्या -."ज़रा ये कार देखो।
शिव -."हाँ ये लड़के वालों की कार है ना तुम्हें पता है मुझे ये मॉडल बहुत पसंद है मैं भी सोच रहा हूँ यही कार मैं भी ले लूँ हाँ कलर दूसरा लूँगा कलर पसंद नहीं है मुझे ये."
लावण्या -."अरे वो नहीं इडियट।
शिव -."ऐ इडियट मत बोलना और ये नहीं तो क्या।
लावण्या -."ज़रा ये स्टीकर देखो निशान साहिब का स्टिकर।
शिव -."हाँ वो तो दिख रहा है तो."
लावण्या -."वो लोग पंजाबी नहीं हैं तो ये स्टीकर क्यों है उनकी कार पर."
शिव -."तो उसमें क्या यार हम लोग भी तो वाहेगुरुजी को मानते हैं ना तो वो भी मानते होंगे।
लावण्या -."नहीं यार मुझे कुछ तो गड़बड़ लग रही है."
शिव -."ऐसी कौनसी चीज़ है जिसमें तुम्हें गड़बड़ नहीं लगती अब चलो अंदर गर्मी हो रही है यहाँ।
लावण्या परेशान थी कि कोई उसकी बात नहीं समझ रहा वो यह सोच रही होती है कि आख़िर वो किसे बताए लेकिन वो फिर भी कोशिश करती है कि किसी को बता सके."वो मेरे पास फिरसे आती है
लावण्या -."शिव एक बहुत ज़रूरी बात करनी है."
शिव -."यार सुनो तुम्हें अगर वो लड़के वालों के बारे में बात करनी है तो मुझसे मत करो तुम्हें कोई शक है तो खुराना अंकल को जाकर बताओ।
लावण्या -."पागल हो क्या इतनी बड़ी बात सीधा उन्हें कैसे बताऊँ।
शिव -."जो करना है करो मुझसे मत बात करो यार."
थोड़ी देर बाद मनन घर पर आता है और हॉल में बैठा रहता है वो देखता है कि लावण्या परेशान है और सभी से कुछ बोलने की कोशिश कर रही है."
मनन -."ऐ लावण्या तू बहुत परेशान लग रही है तेरी बात कोई सुन नहीं रहा तू मुझे बता दे मैं सुनूँगा।
लावण्या -."तुमसे ?."
मनन -."अरे चिंता मत कर मेरा दिमाग कमज़ोर ज़रूर है लेकिन मैं सब समझ सकता हूँ."
लावण्या -."नहीं तुम गलत मत समझो मेरे कहने का वो मतलब नहीं था असल में जब घर में ही मेरी बात कोई नहीं समझ रहा है तो तुम कैसे समझोगे।
मनन -."हाँ लेकिन बता तो."
लावण्या मनन को सब बता देती है."
मनन -."तो तू क्या चाहती है."
लावण्या -."मैं बस ये चाहती हूँ कि जानवी की ज़िंदगी बर्बाद न हो इसलिए मुझे सच पता करना है तुम सुख के साथ मिलकर पता कर सकते हो
मनन -."यार सुख तो अपनी फैमिली के साथ अपने गाँव गया है लेकिन मैं देखता हूँ कुछ."
लावण्या -."पर तुम अकेले क्या और कैसे करोगे।
मनन -."तू चिंता मत कर मैं अपने हिसाब से कर लूंगा।
मनन चला जाता है
शिव -."अभी मनन आया था ना मैं नीचे आने में थोड़ा लेट हो गया तो चला गया मिला भी नहीं
लावण्या -."जब तुम्हारे पास किसी की बात सुनने का टाइम ही नहीं है तो कोई क्यों रुकेगा तुम्हारे लिए
शिव -."तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है यार एक स्टीकर देखकर क्यों इतना परेशान हो रही हो
लावण्या -."तुम्हें ना मैं समझदार समझती थी लेकिन तुम्हें दिख नहीं रहा कि एक सीधी सादी लड़की की लाइफ़ खराब होने वाली है वैसे तो अपने पूर्वाभास का ढिंढोरा पीटते रहते हो
शिव -."एक मिनट तुम्हें कैसे पता कि मुझे पूर्वाभास हो जाता है
लावण्या -."नव्या ने बताया मुझे
शिव ( मन में ) -."नव्या भी कोई बात सीक्रेट नहीं रख सकती यार
अब सगाई का दिन आता है और सगाई भी खुराना अंकल के घर पर ही हो रही होती है और मम्मी और कॉलोनी की बाकी औरतें जानवी को तैयार करने उसके घर जाती हैं
थोड़ी देर बाद लड़के वाले भी आ जाते हैं और कहते हैं
सिन्हा साहब -."हम चाहते हैं कि जानवी सगाई के वक्त कोई अच्छा सा हार पहने
मम्मी -."हाँ हाँ क्यों नहीं
जानवी -."लेकिन मेरे पास कोई हार नहीं है
मम्मी -."तेरी मम्मी का कोई पुराना हार तो होगा ना
जानवी -."पापा को पता होगा
मम्मी -."भाईसाहब अगर जानवी की मम्मी का कोई हार हो तो दे दीजिए
खुराना -."सॉरी भाभी लेकिन नहीं है
पापा -."लेकिन ये कैसे हो सकता है मुझे याद है एक बार आपने मुझे बताया था कि वो हर आपने इसकी शादी के लिए रखा हुआ है
खुराना -."लेकिन अब नहीं है
पापा -."लेकिन गया कहाँ
तभी वहाँ मनन आ जाता है
मनन -."मैं बताता हूँ अंकल कि वो हार कहाँ है
पापा -."तुझे कैसे पता
मनन -."क्योंकि वो हार मेरे पास ही है
शिव -."तेरे पास कैसे आया
मनन -."एक बात बताइए खुराना अंकल ये हार घर पर क्यों नहीं था
ये सुनकर खुराना अंकल टेंशन में आ जाते हैं
मनन -."ज़रा आप सब अंदर चलिए मैं बताता हूँ
शिव -."हाँ अब बोल
मनन -."खुराना अंकल ने ये हार और अपना बाकी सोना गिरवी रखकर 10 लाख रुपय कर्ज़ लिया है
मम्मी -."ये तुझे कैसे पता
मनन -."क्योंकि जिस दुकान पर इन्होंने वो सब गिरवी रखा है वो तो मेरे पापा की ही दुकान है
शिव -."क्या ? लेकिन अंकल आपने ये सब गिरवी क्यों रखा
खुराना -."दहेज में उन्होंने 10 लाख रुपय माँगे हैं इसलिए
पापा -."और आप तैयार भी हो गए अरे उसी वक़्त मना कर देना चाहिए था जानवी के लिए कोई और अच्छा रिश्ता आ जाता
खुराना -."देखिए इस लड़के के पास सरकारी नौकरी है और ये लड़का जानवी को भी पसंद है तो मुझे दहेज से कोई प्रॉब्लम नहीं है
मनन -."नहीं अंकल उसके पास कोई सरकारी नौकरी नहीं है अरे सरकारी छोड़िए नौकरी ही नहीं है बेरोज़गार है वो
शिव -."यार तू ये सब कहाँ से पता कर लाया
मनन -."चलिए बाहर बताता हूँ
हम सब बाहर आते हैं
मनन -."अंकल ये जो बाहर कार खड़ी है ये आपकी है
सिन्हा -."हाँ हाँ हमारी ही है
मनन -."पेपर दिखा सकते हैं इसके
सिन्हा -."व्हाट नॉनसेंस
लावण्या -."हाँ अंकल अगर कार आपकी है तो पेपर दिखाने में क्या प्रॉब्लम है
सिन्हा -."असल में हमारी कार खराब है इसलिए हम अपने पड़ोसी की कार लेकर आएं हैं
मनन -."अच्छा रोहन तुम जॉब कहाँ करते हो
रोहन -."इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में
मनन -."झूठ मत बोलो सच्चाई ये है कि तुम बेरोज़गार हो। खैर छोड़िये आप लोगों का खुद का घर है ना
सिन्हा -."हाँ
मनन -."तो पिछले 10 साल से आप लोग किराए के मकान में क्यों रहते हैं
शिव -."मनन तू जो बोल रहा है उसका सबूत है कुछ
मनन -."तू चुप रह अरे लावण्या ने तुझे कितना समझाया कि कुछ गड़बड़ है लेकिन तूने नहीं सुना
शिव -."मनन तू अपने सबसे अच्छे दोस्त पर गुस्सा कर रहा है
मनन -."करूँगा क्योंकि सच तेरे सामने था लेकिन तू देख ही नहीं पाया
शिव -."सच मेरे सामने था मतलब
मनन -."वो कार तूने पहले कभी नहीं देखी क्या
शिव -."नहीं
मनन -."तू शायद भूल गया है कि वो कार सुख के ताऊजी की है
शिव -."अरे यार मैं कितना बड़ा गधा हूँ पहचान ही नहीं पाया
मनन -."और सुख के ताऊजी इनके पड़ोसी हैं जब मैं यहाँ आया तो बाहर कार खड़ी दिखी तो मुझे लावण्या की बताई बातें ध्यान आई और मैंने सुख के ताऊजी को फ़ोन करके इनके बारे में सब पता कर लिया
शिव -."लावण्या ने तुझे सब बता दिया था
मनन -."हाँ
खुराना -."लेकिन बेटा तुम्हें ये कैसे पता चला कि मैंने गहने गिरवी रखें हैं
मनन -."कल मेरे पापा ने मुझसे बोला कि शिव से पूछकर बताना कि उसकी कॉलोनी में कोई खुराना साहब रहते हैं क्या क्योंकि उन्होंने दुकान पर सोना गिरवी रखकर पैसे लिए हैं तो मैंने तुंरत पापा से वो हार और बाकी सोना वापस ले लिया और कहा कि खुराना साहब आपके पैसे लौटा देंगे
सिन्हा -."देखिए मुझे माफ़ कर दीजिए हमनें सोचा कि दहेज के पैसों से अपने बेटे का व्यपार शुरू करवा देंगे इसलिए दहेज माँगा
खुराना -."इससे पहले मैं पुलिस को फ़ोन करूँ निकल जाओ तुम सब यहाँ से
वो लोग वहाँ से चले जाते हैं
खुराना -."मनन बेटा मैं तुम्हारा धन्यवाद कैसे करूँ
मनन -."अरे अंकल थैंक यू बोलना है तो लावण्या को बोलिए जिसने मुझे सब बता दिया
लावण्या -."हाँ और तुमने सुन लिया वरना कुछ लोगों के पास तो टाइम ही नहीं है
शिव -."सॉरी अब एक ग़लती के लिए कितनी बार सुनाओगे
अंत -."देहज एक ऐसी आग है जो रिश्तों को जला कर राख कर सकती है और यहाँ तो दहेज के साथ साथ झूठ भी था इस कहानी में खुद को आगे न रखकर मनन को आगे रखने का मकसद सिर्फ़ ये बताना था कि आपकी शारीरिक या दिमागी कमज़ोरी आपको कमज़ोर नहीं बना सकती।