कॉफ़ी बीन्स
कॉफ़ी बीन्स
आज फिर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगी 6,7 लड़कियों का समूह उस कॉफ़ी हाउस में इकठ्ठा था। कॉफ़ी का आर्डर दिया जा चुका था, और वो सब खिलखिलाते ,हंसते बातों में मशगूल थी। तभी
उस सांवले लड़के का वहां प्रवेश हुआ।
और तृप्ता ने शिल्पी को कोहनी मारते हुए कहा देख तेरा कॉफ़ी बीन आ गया, हाहा, हीही के समवेत स्वर वहां गूंज गए।
शिल्पी-' क्यों तुम लोग उस बेचारे का मजाक उड़ाती रहती हो '?
अच्छा खासा तो है।
ओहो ! अच्छा खासा ? जे बात !
यानी आग बराबर से लगी हुई है सब फिर हंस पड़ी। पता नहीं उस टोली की किस लड़की ने रोज आने वाले उस लड़के का जिस का नाम नही पता था उसका नाम कॉफी बीन रख दिया था, और मुस्कुरा कर सभी की मौन सहमति भी मिल गई थी ।
पढ़ाकू सा ही लगता था वो लड़का। अक्सर हंसने वाली उस लड़कियों की टोली के बारे में इतना तो जान चुका था कि बातचीत उसको लेकर ही हो रही है।
पर वो सर झुकाए कॉफ़ी पीता, कुछ स्नैक्स और सर झुकाए ही निकल जाता, एक दो बार शिल्पी की गर्दन जब घूमती तो उसे लगता
कॉफ़ी बीन उस की तरफ ही देख रहा था।
और वो झट से दूसरी ओर देखने लगता। शिल्पा की टोली भी ये बात पकड़ चुकी थी, और शिल्पा को अक्सर उसका नाम लेकर चिढ़ाया जाने लगा था।
ओफ्फो तुम लोग भी, न सूत न कपास-----
पर इधर 2,4 दिन से वो नदारद था, पूरी टोली उसकी कमी महसूस कर रही थी। और शिल्पा? वो शायद सबसे ज्यादा।
पर लो खत्म फ़साना हो गया के तर्ज पर अब कॉफी बीन उनकी बातों से निकल चुका था।
एक दिन बुक शॉप पर जब शिल्पा अपनी एक सहेली के साथ बुक्स
छांटने में लगी थी उसे लगा कोई उसके बिल्कुल बगल से उसके हाथ मे एक कागज का टुकड़ा थमा कर चला गया। वो फेंकने ही वाली थो कि उसे कॉफ़ी बीन जाते दिखा। इस बार वो मुस्कुरा दिया। हाये!
शिल्पा का दिल धड़क उठा रूम पर लौट कर जाने कितनी बार उस कागज को पढ़ चुकी थी।
हेलो ! चौंको मत मेरा आई ए एस में सिलेक्शन हो चुका है।
अब नहीं दिखूंगा पर इंतज़ार करना मेरा, सिर्फ तुम्हारा ही कॉफ़ी बीन।

