Seema Singh

Tragedy

4  

Seema Singh

Tragedy

कमी औरत में नही समाज की सोच मे

कमी औरत में नही समाज की सोच मे

5 mins
350


जिंदगी भी क्या क्या दिन दिखाती है।जब तक प्यार शब्द का मतलब समझ में आया बहुत देर हो चुकी थी।सच कहीए तो यह गलती मेरी थी या उसकी???।हम इसे एक गलती नही बल्कि एक बहुत ही खूबसूरत धोखे भरे रिश्ते का नाम कह सकते हैं।


जब तक समझती बहुत देर हो चुकी थी। मुझे क्या पता था जो इंसान अपने काम और रिश्ते को लेकर इतना ईमानदार हैं वो मुझे इस कद्र जीवन के सफ़र में अकेला छोड़ देगा।जब पहली बार आफिस में मुलाकात हुई..तो पहली ही नजर में अपना दिल उसे दे बैठी।हर लड़की को अपने सपनों के राजकुमार की तलाश होती है... वैसे ही मेरे भी सपने थे.. और उस पल लगा की मुझे मेरे सपनों का राजकुमार मिल गया। नशीली आंखे, गठिला बदन खुबसूरत चेहरा। गजब की पर्सनैलिटी जो एक बार देख तो हर बार देखने को चाहेगा।


"हाय मिनी कैसी हो" रतन ने मिनी से पूछा....


"हाय रतन कैसे हो आप??मैं ठीक हूं..!" मिनी ने ज़बाब दिया।


"हाय कितना सुन्दर है" मिनी ने मन ही मन कहा।


"तुमने कुछ कहा रतन ने कहा.. " मिनी ने ना में सिर हिलाया।


मिनी और रतन को आफिस में साथ काम किए हुए लगभग दो साल हो चुके थे।ये दोस्ती कब मोहब्बत में बदल गई दोनों को पता ही नहीं चला। मिनी अपने माता-पिता की एकलौती बेटी है। उसने अपने माता-पिता को रतन के बारे में सबकुछ बताती और कहती हैं कि वो रतन से शादी करना करना चाहती है पर जब तक आप लोग इस रिश्ते के लिए तैयार नही होंगे।मैं रतन से शादी करुंगी पर आपकी मर्जी के साथ। मिनी के माता-पिता रतन से मुलाकात करते हैं और उन्हें रतन पसंद आता है।


मिनी के माता-पिता ने रतन से शादी की बात करते हैं और साथ ही साथ उसके माता-पिता से मिलने की इच्छा भी जाहिर करते हैं। तभी रतन कहता है "मैं अपने माता-पिता को कल ही यहां पर आने को कह देता हूं और आप लोग सब मिलकर कर शादी की बात तय कर लें।"


हर लड़की की तरह मिनी के भी अपनी शादी को लेकर बहुत सारे सपने थे।वो हर सपने को जीना चाहती थीं। और ऐसा होता भी है। चट मंगनी पट ब्याह हो जाता है। मिनी अपनी शादी सुदा जिंदगी में बहुत खुश थी। तभी उसकी खुशीयों पर ग्रहण लग जाता है।जब मिनी को रतन के पहले शादी की बात पता चलती है।ये जानकार मिनी सन् रह जाती है।


"रतन तुमने मुझे धोखा दिया, इतनी बड़ी बात मुझसे छिपाई" मिनी ने रतन से सवाल पर सवाल करते जाती है और जबाव में सिर्फ रतन इतना कहता है... "इसमें धोखा देने वाली कौन सी बात है। नही बनती थी हम दोनों में तो हम दोनो अलग हो गए। इतनी भी कोई बड़ी बात नही है ।जो तुम इतना हंगामा खड़ा कर रही हो।" रतन की बातों को सुनकर मिनी को अपने आप पर बहुत गुस्सा आता है ,साथ ही साथ रतन और उसके माता-पिता पर भी सब कुछ जानते हुए भी इन्होंने भी मुझे अंधेरे में रखा।


तभी मिनी की सासु मां कहती हैं"बेटा इसमें धोखा कैसा है।वो तो किसी भी तरह से मेरे बेटे के लायक नहीं थी।ना शक्ल से सुंदर और ना किस्मत की धनी।जब से मेरे बेटे के जीवन में आई थी तब से सब गलत ही हो रहा था।मनहूस कहीं की। और औलाद का सुख नहीं मिला मेरे बेटे को। बाज़ कहीं की।" सासु मां की बातों को सुनकर मिनी को बहुत गुस्सा आता है।


तभी मिनी कहती हैं"आप लोगों को शर्म नही आती है। अपनी गलती को इतने शान से बता रही हैं ।जैसे कौन सा पुरस्कार वाला काम किया हो।हर गलती के लिए उसको जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। क्या गारंटी है की कमी उसमें थी,रतन में भी हो सकती है ??"


"मिनी क्या बकवास कर रही हो ।सब गलती औरतों की होती है। मुझमें कोई कमी नही है।"रतन गुस्से में मिनी को कहता है।


"मुझे तुमसे कोई रिश्ता नहीं रखना है।तुम जैसे धोखेबाज और खुदगर्ज लोगों से मेरा कोई रिश्ता नहीं है।अगर मैं भी मां नही बनी तो मुझ पर सवाल खड़े करोगे। और मुझे बदनाम करोगे। नहीं रहना मुझे इस धोखे भरे रिश्ते में। गलती मेरी है जो तेरे प्यार में इतनी अंधी हो गई थी की जो तुम्हारी सोच औरतें के लिए है वो मैं समझ न सकी। तेरी नज़र में औरतें सिर्फ एक खुबसूरत समान है जिसे जब चाहा अपने हिसाब से खेल लिया।"


"तुम्हें जो सोचना है सोचो औरतों की औकात सिर्फ घर में पड़े एक समान से ज्यादा नही है। कहा जाओगी समाज में सब लोग तुम्हें छोड़ी औरत का नाम देगे।"रतन बहुत अकड़ से मिनी को कहता है।


"मुझे लगा जो इंसान अपने काम के प्रति इतना ईमानदार हैं ।वो अपने रिश्ते के प्रति भी उतना ही ईमानदार होगा।पर आज वो भम्र तुमने तोड़ दिया।समाज क्या कहेगा?? क्या नही मुझे उसकी परवाह नहीपर आज प्यार और रिश्ते दोनों में जो धोखा मिला है। इससे बड़ी सज़ा और क्या मिलेगी मुझे"! और रही बात समाज मुझे छोड़ी हुई औरत का खिताब देगा तो दे।मैं नही डरती। शायद मेरे एक फैसले से औरतों के प्रति अगर लोगों की सोच में थोड़ा भी बदलाव आ जाए तो मेरे लिए वही बहुत है।कब से कब हर गुनाह के लिए ये समाज औरतों को जिम्मेदार तो नही ठहरायेंगा।"इतना कह मिनी वहां से चली जाती है। रतन और उसके परिवार वालों के चेहरे पर एक भी शिकन नही।


समाज के डर से बहुत सी औरतें धोखे भरी रिश्ते को निभातीं है। जिससे लोग इनकी कमजोरी समझते हैं। जबकि ये कमजोरी नहीं है, बचपन से उन्हे रिश्तों को बांधे रखने की अहमियत सिखाई जाती है। चाहे रिश्ता जैसा भी हो,पर उसे निभाने की जिम्मेवारी सिर्फ औरतों की होती है।आज के समय में रतन जैसे कितने लोग होंगे पर मिनी जैसी हिम्मत वाली लड़की बहुत ही कम देखने को मिलती है। उसकी छोटी सी कोशिश शायद समाज में कुछ बदलाव ला सके।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy