बस इतना सा ही मोल जीवन का?????
बस इतना सा ही मोल जीवन का?????
हाय ये मेरी किस्मत किस कंगाल घर में बेटे की शादी कर दी। नाम के चौधरी हैं, काम के नहीं। ये क्या समान दिया है, ऐसा लग रहा है कबाड़खाने से उठाकर यहां भेज दिया है। रेवती अपनी बहू चांदनी को ताने देते हुए कहा रही थी। चांदनी और आकाश की शादी को अभी पांच दिन भी हुए नहीं थे कि चांदनी की सासुमां रेवती और ननद तारा के तानों की बौछार शुरू हो चुकी थी। जब वो आकाश से इसके बारे में बात करती तो आकाश भी अपनी मां और बहन का पक्ष लेकर उसे ही सुना के चला जाता है।
जब चांदनी शादी करके पहली बार मायके आती है तो वो बहुत उदास होती है। आकाश के स्वागत में चांदनी के माता-पिता कोई कमी नहीं करते। ये सब देखकर चांदनी बहुत दुखी होती है और अपनी मां से कहती है "ये कैसा रिवाज है जहां घर की बहू को इज्जत के नाम पर ताने मिलते हैं और दामाद को मान। इसे भी वही सब मिलना चाहिए जो उसके घरवाले इसकी पत्नी के साथ करते हैं।"
"चुपकर ये कह रही है दामाद जी सुन लेंगे। दामाद तो भगवान समान होता है।" चांदनी को उसकी मां चुप रहने को कहती है। "दामाद अगर भगवान है तो घर की बहू कोई राक्षस कुल से होती है जिसका हर पल अपमान होता है।" चांदनी गुस्से में अपनी मां से कहती है। "क्या हो गया है तुझे, ये कैसी बातें कर रही है??" चांदनी की मां चांदनी से सवाल करती है।
"तो और क्या बोलू आप और पापा ने मेरी जिंदगी नरक कर दी है। इनकार किया था ना मैंने इस शादी से। कहा था मैंने नहीं करनी है मुझे ये शादी। इन लोगों सगाई से लेकर शादी होने तक हर वक्त सिर्फ डिमांड ही की है। आप और पापा दोनों ने उनकी गैर और नाजायज मांगें पूरी की हैं। माना की पापा को पैसों की कमी नहीं है। जब उनकी पसंद के मुताबिक ही सब कुछ दिया और आगे भी आप लोग देंगे ही और वही लोग मुझे हर वक्त ये ताने देते हैं कि कंगाल घर से आई है, समान के नाम पर कबाड़ दे दिया और ना जाने क्या क्या??? ये लालची लोग हैं, इनको अगर स्वर्ग भी मिल जाए तो उसमें भी खोट निकाल देंगे। पर उनका मन नहीं भरेगा।" अपनी बेटी चांदनी की बातों को सुनकर उसकी मां और पापा उसे समझाते हैं और कहते हैं बेटा सब ठीक हो जाएगा। थोड़ा समय लगेगा पर ठीक हो जाएगा।
मां-बाप की एकलौती बेटी चांदनी है। सगाई के वक्त से चांदनी को अपने ससुराल वालों की नियत पर शक होने लगा था। उसने बहुत कोशिश की अपने माता-पिता को समझाने की कि अभी भी समय है शादी तोड़ देते हैं। पर हर लड़की के माता-पिता की तरह उन्हें भी अपनी इज्जत और समाज में लोग क्या कहेंगे का डर था। सगाई टूट जाने पर कौन इससे शादी करेगा। हर कोई शक की नजर से देखेगा। समाज भी बेटी के चरित्र पर सवाल करेगा। ये सब सोचकर उन्होंने उल्टा चांदनी पर दबाव बनाते हैं कि शादी कर लो। पर शादी होते ही उसके ससुराल वाले अपना रंग दिखाना शुरू कर देते हैं।
चांदनी के माता-पिता चांदनी को समझा-मुझाकर उसे उपहार के साथ ससुराल विदा कर देते हैं। शादी दिन से महीनों में बदल गयी पर उसके ससुरालवालों का रवैया दिन बा दिन चांदनी के प्रति खराब होता जा रहा था। आकाश और चांदनी का रिश्ता सिर्फ बिस्तर तक ही सीमित था। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि चांदनी जिये या मरे। चांदनी अपने माता-पिता से बार-बार कहती और रोती मां मुझे इस नर्क से निकालो। पर हर बार वो उसे समाज का डर,अपनी इज्जत की दुहाई देकर चुप करा देते। चांदनी खुश रहें इसके लिए उसके माता-पिता उसके ससुराल वालों को हर महीने तोहफे भेजते ताकि उनकी बेटी को कोई तकलीफ़ ना हो।
पर चांदनी के माता-पिता वो समझ नहीं पा रहे थे या समझना नहीं चाहते कि वो अपनी बेटी की खुशी नहीं बल्कि उसकी मौत का उपहार भेज रहे हैं। चांदनी के ससुराल वाले भी जानते हैं कुछ भी हो जाए चांदनी के माता-पिता उसे अपने साथ अपने घर लेकर नहीं जाएंगे। जिसका वो सब फायदा उठा रहे थे और चांदनी के नाम पर अपने शौक पूरे करने में लगे थे। कहते हैं ना किसी चीज की कीमत उसके खोने के बाद ही समझ में आती है पर तब तक बहुत देर हो जाती है।
ऐसा ही कुछ चांदनी के माता-पिता के साथ हुआ जब उन्होंने अपनी एकलौती संतान को जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते हुए देखते हैं। जब चांदनी अपने हक और सम्मान की लड़ाई करने का फ़ैसला खुद करती है तो आकाश को ये बात रास नहीं आती है और वो चांदनी को इस कद्र यातनाएं देता है कि आज वो जीवन और मौत के बीच जंग लड़ रही होती है। चांदनी ने जाते-जाते अपने माता-पिता से बस एक ही बात कहती है "समाज का डर, बेटी की जिंदगी से ज्यादा कीमती है क्या???" इतना कह चांदनी अपने सारे कष्टों से मुक्त हो जाती है और चांदनी के माता-पिता मुखदशक बने रह जाते हैं।
कांटों तो खून नहीं वैसी स्थिति हो चुकी होती है उनकी। चांदनी की तरह ना जाने कितनी बेटियां समाज के इस खोखले डर की बलि चढ़ी होगी। चांदनी के माता-पिता ने चांदनी की बात मान लिए होते तो आज उनकी बेटी उनके पास उनके साथ होती। समाज का डर, इज्जत और कौन क्या कहेगा। इन सब की डर से उन्होंने अपनी बेटी की बलि चढ़ा दी। ज्यादा से ज्यादा क्या होता शादी टूट जाती...चार दिन लोग बातें करते। कम से कम चांदनी आज जीवित तो होती।
लड़की के माता-पिता के इस डर का फायदा आकाश जैसे लोग, उसके लोभी परिवार फायदा उठाते हैं और लड़की के माता-पिता लड़कों की हर डिमांड को पूरा करते हैं कि वो उनकी बेटी को खुश रखेंगे...वो उनकी जीवन की सबसे बड़ी भूल होती है जिसका खामियाजा उनकी बेटी को चुकाना पड़ता है। लोग क्या कहेंगे उसकी परवाह ना करे, अपनी बेटी के उज्जवल भविष्य की परवाह करे।।