Poonam Jha

Abstract

4.2  

Poonam Jha

Abstract

क्लैप तो बनता है

क्लैप तो बनता है

2 mins
24.1K


"क्लैप तो बनता है"

आज तो फोन की घंटी पर घंटी बजी जा रही थी। शर्मा जी बहुत व्यस्त थे ऑफिस में। तभी उनके पुराने मित्र डा0 विनय का फोन आ गया। चूँकि शर्मा जी बहुत व्यस्त थे इसलिए उन्होंने सोचा कि फोन काट देते हैं। फिर मन-ही-मन बुदबुदाये 'अभी बड़ा विकट समय है, इसलिए फोन उठा ही लेता हूँ। अमूमन ये रात को बात करता है। आज अभी दिन में ?'

"हैलो ! विनय !"

"हाँ!!शर्मा!! क्या समाचार है ?"

"सब ठीक है विनय ? आज अभी काॅल ?"

"हाँ !! यार ! आज बहुत देर से बिजली बंद है। जेनरेटर भी ठीक से लोड नहीं ले रही है। इसलिए मरीज को थोड़ा इंतज़ार करने कहा है।"

"अच्छा!!तो दिन में भी दोस्त याद आ जाते हैं ?"

"सोचा इंजीनियर साहब से ही बात कर लूं। बिजली का हाल तो तुम ही सुनाओगे। अभी तो कुछ भी नहीं कर पा रहा हूूँ ।"

"हूँ अअ ! मैं तो थर्मल पावर प्लांट में हूँ। यहां तो युनिट चालू है। वहीं आस-पास कोई फाल्ट होगा शायद। ठीक कर रहा होगा।"

"हाँ!! ये तो सही है। थर्मल ठीक से चल रहा है ?"

"हाँ!! अभी तो चल ही रहा है।"

"ओह! मेरा मोबाइल डिस्चार्ज होने वाला है।"

डा0 विनय अपने मोबाइल को देखते हुए कहा।

"ओके ! चार्ज करो तुम्हें तो।"

"वाह! पावर आ गई , अब रखता हूँ। पर तुम सभी बिजली विभाग के कर्मचारियों के लिए भी क्लैप तो बनता है, यार शर्मा। एक डाक्टर का हाथ भी रुक सकता है यदि बिजली नहीं हो तो।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract