कीचक वध
कीचक वध
विराट नगर आज की अमरावती। यहीं का हिल स्टेशन है चिकलधारा ,जहां कीचक का वध भीम ने कर, शव घाटी से नीचे फेंक दिया था। राजा विराट का साला और प्रधान सेनापति था कीचक ।उसका वर्चस्व पूरे राज काज पर था।बिना उसकी अनुमति कोई कार्य नहीं होता था।राजा विराट उससे बहुत डरते थे।
जब पांडवो का एक वर्ष का अज्ञातवास बचा तो वे विराटनगर आ गए,भेष बदल कर,सबने अपने स्वभाव के विपरीत पेशा चुना। द्रौपदी ने रानी सुदेषणा के केशविन्यास और सज्जा कार्य संभाल लिया। द्रौपदी के बारे में ये फैलाया गया था,की उसकी रक्षा 5 गंधर्व करते हैं,इसलिए उसका अपमान या बुरी नजर डालने वाले का गन्धर्व अदृश्य हो बदला लेते हैं।
कीचक ने जब से सैरंध्री को अपनी बहन के महल में देखा था,तब से सैरंध्री, को पाना उसका जुनून बन चुका था। रानी सुदेषणा ने उसे चेताया,किवदंतियों के बारे में जो ,सैरंध्री के विषय में प्रचलित थी। लेकिन कीचक नहीं माना ,उसने सैरंध्री के हाथों मदिरा भिजवाने को अपनी बहन से कहा,ना चाहते हुए भी रानी सुदेषणा ने द्रौपदी को उसके पास भेजा। जहां कीचक ने उससे प्रणय निवेदन किया। अस्वीकार करने पर भरे राजदरबार में द्रौपदी का अपमान किया।
वृहनलला (अर्जुन) की नृत्यशाला , जहां राजकुमारी उत्तरा को नृत्य की शिक्षा दिया करते थे अर्जुन ,भीम के कहने पर द्रौपदी ने कीचक को नृत्यशाला में रात को बुलाया।जहां भीम ने बड़ी बेरहमी से कीचक का वध कर घाटी से फेंक दिया।
कीचक के बारे में ये प्रचलित था कि उसे भीम,और बलराम के अतिरिक्त कोई मार नहीं सकता। ये वध पांडवों के अज्ञातवास में छुपे होने का रहस्य खोलने वाला था.....।
