ख़्वाब
ख़्वाब
कहते हैं, सपने हमारी जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं। सपनों पर कितने लोग भविष्यवाणी भी करते हैं, अच्छा सपना तो उसका ये प्रभाव और बुरा तो ये। अच्छे सपने किसी को खराब नहीं लगते, पर बुरे सपने अंदर तक हिला देने वाले होते है और सभी इनसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं।
एक ऐसा ही बुरा ख़्वाब पिछले दिनों देखा, सपने में मैं एक वीरान जंगल में थी, जहां पर अंधेरा था और बस चारों ओर घने घने पेड़। जंगली जानवरों की आवाजें जो मुझे रात के सन्नाटे में साफ़ साफ़ सुनाई पड़ रही थी, माहौल को और भी भयानक बना रही थी। सूनसान जंगल में मैं अकेली, डर से मेरे माथे पर पसीने की बूंदें आ रही थी। मैं धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी, मेरे पैरों से सुखे पत्तों की खरखराहट हो रही थी। चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था, कहीं भी हल्की सी रौशनी नहीं थी। मैं मन ही मन हनुमान चालीसा पढ़ते हुए आगे बढ़ रही थी, कि तभी अचानक से मेरे ऊपर कुछ गिरा और मैं जोर से चीखकर वापस भागने लगी। थोड़ी देर बाद सर पर हाथ से टटोलकर देखा तो सूखी बेल थी जो किसी पेड़ से गिरी थी। भले ही यह बेल थी पर अब मुझे पहले से कहीं अधिक डर लग रहा था। मैं उसी पेड़ के नीचे जगह साफ करके बैठ गई, अब मेरी कहीं जाने की हिम्मत नहीं थी। डर के मारे मैं कांप रही थी और भूख भी लग रही थी। पैरों को हाथों से पकड़ कर मैं बैठी यही सोच रही थी कि यह किस जगह आ गई मैं, मानती हूं कल मैंने माँ से गुस्से में कह दिया था कि इस घर में रहने से अच्छा मैं किसी जंगल में रह लूंगी। पर इसका मतलब यह नहीं था कि मैं सच में जंगल में आ जाऊंगी। प्लीज़ भगवान एक बार मुझे मेरे घर पहुंचा दो, मैं माँ से माफ़ी मांग लूंगी और आगे से कभी उनके साथ झगड़ा नहीं करूंगी ।
मैं प्रार्थना कर ही रही थी कि तब तक पीछे झाड़ियों में मुझे खरखराहट की आवाज़ आई, मैंने मुड़कर देखा तो दो चमकती हुई आँखें नजर आई। वह आँखें देखते ही मैं उठकर सरपट आगे की ओर भागने लगी, मेरी सारी ताकत मेरे कदमों में आ गई थी, बिना रूके जितना तेज मैं दौड़ सकती थी, दौड़ रही थी। भागते भागते मेरा पैर किसी गड्ढे में चला गया और मैं उसके अंदर सरकने लगी और धड़ाम से नीचे ज़मीन पर गिरी और जोर से चोट लगी। मैंने आसपास देखा तो हैरान रह गई , मैं अपने कमरे के फर्श पर गिर पड़ी थी। खुद को सहलाते हुए उठकर बैठी तो समझ आया यह सपना था, जोकि बहुत भयानक था। खुद को उस वीरान जंगल से अपने घर में पाकर मैं बहुत खुश थी और भागकर माँ के पास गई और अपनी ग़लती की काफी मांगी। उस दिन भगवान ने मुझे मेरी ग़लती का सबक इस ख़्वाब के दे दी ।