मुझे याद है

मुझे याद है

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  मेरी पहली रचना मेरी लिखी हुई आठ लाइनों की कविता ' भूल जाते हैं हम '। मेरी रचना को लिखे करीब दो साल से ऊपर हो गया है और इसके बीच ना जाने मैंने कितनी कहानियां लिखी जिनके लाखों पाठक हैं , पर इन सारी कहानियों के बीच में मुझे आज भी मेरी पहली कविता भाती है । मेरे दिल में जिसकी लिए खास जगह है , आज भी भले ही यह पाठक संख्या में मेरी दूसरी कहानियों से पीछे है , पर मेरे लेखक पदार्पण में इसी का योगदान है । 

मुझे याद है यह कविता मैंने तब लिखी थी , जब मेरे पिताजी ने मुझे किसी गलती के लिए खूब डांटा था और मैं रोते हुए दो लाइनें बोल गई । बात आई और गई फिर मैं अपने एक्जाम की तैयारी में लग गई । मेरे हिंदी के पेपर में जयशंकर प्रसाद जी का ध्रुवस्वामिनी नाटक था , जिसे ढूंढते ढूंढते एक ऐसी वेबसाइट मिली जहां पर हिंदी साहित्य पढ़ा और लिखा जा सकता था । तो इस वेबसाइट को देखकर मेरा दिल ने कहा कि मैं अपनी काव्य पंक्तियां इस पर डाल दूं , शायद पसंद आए । मैंने उस कविता में थोड़ी तुकबंदी कर के उसे वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया और अपनी समीक्षाओं का इंतजार करने लगी । इसका परिणाम मेरी उम्मीद से बहुत अच्छा आया , पहले ही दिन सत्ताईस पाठक और दो समीक्षाएं पांच स्टार रेटिंग के साथ मिली । मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरा लिखा हुआ पसंद आया और मैंने ठान लिया कि मैं कुछ नया लिखकर डालूंगी । मैंने लिखना शुरू कर दिया और आज मेरी चार कहानियां और एक उपन्यास प्रकाशित है और उस वेबसाइट पर चार लाख से अधिक पाठक है । अब रोज सौ से डेढ़ सौ पाठक रोज मिलते हैं ,पर जो खुशी अपने पहले सत्ताईस पाठकों को देखने की हुई थी , वह कुछ और ही थी । 

मै अपने सभी पाठकों का शुक्रिया अदा करती हूं , जो मुझे पढ़ते हैं और पसंद करते हैं।



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