poornima raj

Drama Inspirational Romance

1.0  

poornima raj

Drama Inspirational Romance

बिन ब्याही माँ

बिन ब्याही माँ

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"माधव तुम अपनी मां से हमारे रिश्ते के बारे में कब बात कर रहे हो ?" समिष्ठा ने माधव के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।

समिष्ठा की यह बात सुन माधव जो कि उसकी गोद में सर रख लेटा था, चौक गया और अचानक उठते हुए कहने लगा," क्या कह रही हो समिष्ठा, हमारे रिश्ते के बारे में बात करू !! माँ से, आर यू सीरियस, अभी कल तक तो तुम कह रही थी कि तुम्हें जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना। तुम अभी हमारे रिलेशनशिप को समय देना चाहती थी, अभी अचानक क्या हुआ तुम्हें, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है।"

माधव और समिष्ठा दोनों 'जयपुर यूनिवर्सिटी 'में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं। वह दोनों एक दूसरे को लगभग 7 साल से जानते थे, दोनों स्कूल में साथ ही पढ़ते थे और एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे, यूनिवर्सिटी में आने के बाद दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। करीब पिछले 2 सालों से वह दोनों एक दूसरे के प्यार मे थे, पर दोनों ने कभी अपने रिश्ते को किसी और के सामने नहीं स्वीकारा। शायद दोनों अपने रिश्ते को लेकर अभी तैयार नहीं थे। कभी-कभी वे क्लास खत्म कर यूनिवर्सिटी के पास वाले पार्क में आकर बैठते थे और घंटे एक दूसरे में खोए रहते। यहां आकर उन्हें काफी सुकून मिलता था। हमेशा की तरह आज भी दोनों अपने लेक्चर्स खत्म कर यहां साथ में बैठे थे।

तभी समिष्ठा ने अपने दिल की बात माधव को बताई,अपनी बात पर माधव को अचंभित होता देख, वो कहने लगी," हां मैंने कहा तो था, पर पिछले कुछ दिनों से मैं सोच रही थी कि शायद अब सही समय आ गया है, जब हम अपने पेरेंट्स को अपने इस रिश्ते के बारे में बता दे। अभी कुछ दिनों में हमारी फाइनल एग्जाम शुरू हो रहे हैं, फिर तुम्हें CDSE की तैयारी करनी है और मुझे बैंकिंग की प्रिपरेशन। अब हमें भी एक दूसरे के साथ काफी समय हो चुका है, हम दोनों अपने रिलेशनशिप में कम्पेटिबल हो चुके हैं। इसलिए मैं चाहती हूं कि अपने फाइनल एग्जाम से पहले हम अपने रिश्ते के बारे में अपने परिवार को बता दें।"

" सच कह रही हो समिष्ठा,तुम सच में चाहती हो कि हम अपने रिश्ते को शादी की मंजिल तक ले जाए ?"

"हां, पर क्या तुम अभी तैयार नहीं हो माधव ! "

"नहीं पगली, मैं तो तुमसे यूं ही पूछ रहा था, मैं तैयार.. ही हूँ, बस तुम्हारी 'हां' का इंतजार कर रहा था। 'थैंक्यू समिष्ठा', आज मैं बहुत खुश हूं।"

"क्यों इतना खुश क्यों हो आज ?"

"बात ही है, खुशी की, इतने साल तुम्हारी 'हा' का इंतजार किया है और आज वह इंतजार खत्म हुआ, तो खुशी तो होगी ही, तुम्हें क्या पता मैं तुम्हे कितना चाहता हूं, तुमसे दूर जाने के ख्याल से ही मेरी जान निकल जाती थी। अगर तुम मेरे प्यार को ठुकरा देती तो, मैं तो मर ही जाता, तुम्हारे इंतजार में बहुत तड़पा हूं। तुम्हें क्या पता . . . तुम तो बस हंस लो ...."

"अच्छा, मेरा माधव मुझसे इतना प्यार करता है।" समिष्ठा ने बच्चों की तरह कहा।

"हां,बहुत, बहुत, बहुत ज्यादा, तुम सोच भी नहीं सकती कि कितना !" माधव ने उसकी आंखों में आंखे में डालते हुए कहा। 

"अच्छा जी।" 

माधव समिष्ठा को देखते हुए आगे बढ़ने लगा,तभी अचानक समिष्ठा उसे धक्का देकर कहने लगी," चलो, चलो,बच्चू, ज्यादा प्यार ना दिखाओ, घर चलो बहुत देर हो गई है और फिर हमें पैरेंट्स से बात भी करनी है।" समिष्ठा अपना बैग उठाते हुए बाहर जाने लगती है।

" जैसी आपकी आज्ञा ! "कहता हुआ माधव उसके पीछे - पीछे चला जाता है।

घर जाकर समिष्ठा अपने माता- पिता से रात में बात करने का निश्चय करती है। यूँ तो उसे पूरा यकीन था, उसके पापा माधव को जरूर पसंद कर लेंगे क्योंकि माधव में वो सारे गुण थे जो उसके पापा एक लड़के में चाहते थ‌‌े। पर चिंता उसे इस बात की थी कि उसके पापा थोड़े पुराने ख्यालात के थे, तो शायद ही वह लव मैरिज के लिए माने।

समिष्ठा के पापा 'मिस्टर शशिकांत रावत' शहर की एक बैंक में मैनेजर है, उन्हें अपने बैंकिंग प्रोफेशन के साथ-साथ संगीत से भी काफी लगाव है। उनकी बचपन में संगीतकार बनने की इच्छा थी पर निजी कारणों से पूरी ना हो सकी। गरीब माता पिता की संतान होने के कारण उन्हें जरूरत की सुविधाएं नहीं मिली और फिर कमजोर आर्थिक हालातों के कारण बैंक की नौकरी को उन्होंने अपने शौक से ऊपर रखा। इसलिए संगीत को छोड़कर उन्होंने अपनी नौकरी पर ध्यान दिया, फिर भी संगीत के लिए उनके दिल में गहन प्यार आज भी जिंदा है। कभी कभी मौका मिले तो वह अपने म्यूजिक के साथ समय जरूर बिताते हैं।

मिस्टर रावत अपनी इकलौती बेटी समिष्ठा से बहुत प्यार करते हैं और उसकी हर इच्छा को पूरा करना उनका शौक है। पर शादी को लेकर उनकी विचार ज़रा अलग है। उनके अनुसार, 'बच्चों को अपने माता पिता की इच्छा से ही शादी करनी चाहिए क्योंकि बच्चे छोटे होते हैं इसलिए नासमझी करते हैं। कोई भी फैसला जल्दबाजी में ले लेते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए गलत साबित होता है। इसलिए माता पिता को ही समझ बूझ कर बच्चों की शादी करानी चाहिए। यह जिम्मेदारी उनकी है और उनसे बेहतर अपने बच्चों के लिए कोई भी कुछ नहीं सोच सकता। '

इसीलिए समिष्ठा ने जब माधव के बारे में मिस्टर रावत को बताया तो उन्होंने उसे सख्त हिदायत देते हुए साफ मना कर दिया। पर समिष्ठा ने उनसे काफी रिक्वेस्ट कि वो एक बार माधव से मिल लें, अगर उन्हें अच्छा नहीं लगा तो वह कभी कुछ नहीं कहेगी और उनके हिसाब से शादी करेगी। मिस्टर रावत अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे इसीलिए उन्होंने उसकी बात मान ली, पर शर्त रखी कि अगर माधव पसंद नहीं आया तो समिष्ठा उसे भूल जाएगी और फिर उनकी पसंद से ही शादी करेगी। समिष्ठा को भरोसा था इसीलिए उसने यह शर्त सहर्ष स्वीकार कर ली।

रोज की तरह माधव ने जब शाम को जब समिष्ठा को कॉल किया, तो समिष्ठा कुछ खोई हुई थी उसने अपने पापा की शर्त मान तो ली थी, पर टेंशन हो गई थी कि अगर माधव पापा को अच्छा नहीं लगा तो क्या होगा ? इसलिए उसने फोन की घंटी नहीं सुनी और फोन कट हो गया। दोनों का यह समय बात करने के लिए निश्चित था। दोनों चाहे जहां भी हो रोज इसी समय पर एक दूसरे के लिए समय जरूर निकालते थे। पर आज समिष्ठा के फोन नहीं उठाने से माधव चिंता में आ गया," समिष्ठा को पता है, मैं रोज उसे इस टाइम पर फोन करता हूं, फिर भी वह फोन क्यों नहीं उठा रही है, फिर से ट्राई करता हूं।" यह सोच उसने दोबारा फोन लगाया। इस बार समिष्ठा ने फोन उठाया और उसके और उसके पापा के बीच हुई सारी बात माधव को बताई।

उसकी बात सुनकर माधव परेशान हो गया, " क्या ? अगर अंकल ने मुझे पसंद नहीं किया, तो फिर तुम मुझसे दूर हो जाओगी ? " 

" नहीं यार, हम अलग नहीं होंगे, भरोसा रखो मुझ पर और खुद पर भी। " 

" पर अभी तो तुमने कहा कि अंकल ने शर्त रखी और तुम ने मान ली। " 

" हां, पर माधव मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, तुम पापा को जरूर इंप्रेस कर लोगे !" 

" और अगर नहीं कर पाया तो, फिर क्या होगा हमारा ??"

" कुछ नहीं उसकी नौबत नहीं आएगी, माधव तुम्हें नहीं पता मेरे पापा को म्यूजिक से बहुत प्यार है और तुम कितना अच्छा गाते हो ! उन्हे बस एक गाना सुना देना, वह तो तुम्हारे मुरीद हो जाएंगे।" 

" इतना भी अच्छा नहीं गाता हूं, बस थोड़ा सा गिटार का। शौक है तो कभी-कभी गा लेता हूं गिटार के साथ। " 

" अपने आपको इतना कम ना समझो बच्चू, यूनिवर्सिटी में बहुत सारे बहुत सारे फैन है तुम्हारे ! जब से तुमने इस बार 'annual fest' में परफॉर्म किया है। हर कोई तुम्हारे गाने की तारीफ करता फिरता है।"

" अच्छा, अब मेरे गाने को छोड़ो और बताओ कब आना है एग्जाम देने, तुम्हारे घर। "

" कल शाम को आ जाओ, कल बैंक हॉलिडे है तो पापा की भी छुट्टी है। फिर अच्छा ही है, जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी तुम आकर मिल लो, टेंशन खत्म हो जाए।"

" हां ठीक है, तो कल 5:00 बजे तक आ जाऊंगा। पर सच में तुम्हें यकीन है कि अंकल मुझे पसंद कर लेंगे।"

"हां जरूर, 100 % यकीन है, मैं तुम्हें कुछ बातें बताती हूं, जो पापा की पसंद-नापसंद है। बस तुम इनका ध्यान रखना।" फिर समिष्ठा कल होने वाले एग्जाम में पास होने के लिए माधव को कोचिंग देने लगती है।

ढेर सारी तैयारियों के बाद माधव शाम 5:00 बजे समिष्ठा के घर पहुंचा, फिर समिष्ठा ने अपने परिवार को माधव से और माधव को अपने परिवार से परिचित कराया। कुछ देर तक सबने आपस में बातें की, फिर चाय-नाश्ता हुआ। माधव ने मिसेज़ रावत के नाश्ते की तारीफ भी की। अब तक उन्हें माधव पसंद आ गया था। पर मिस्टर रावत का फैसला अभी बाकी था। काफी देर हो चुकी थी, इतनी देर में मिस्टर रावत ने माधव से काफी सवाल किए उसने भी बखूबी से उनके सवालों का जवाब दिया। पर अभी भी कुछ कह नहीं सकते थे। फिर समिष्ठा ने माधव को उसका गिटार लाकर दिया और अपने परिवार को बताया कि माधव को गिटार का शौक है और वह काफी अच्छा गाता है। मिस्टर रावत माधव के म्यूजिक का शौक जानकर खुश हुए और उससे गिटार पर दो लाइनें गुनगुनाने को कहा। माधव ने गिटार पर गुनगुनाया -

"मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने

सपने, सुरीले सपने

कुछ हँसते, कुछ गम के

तेरी आँखों के साये चुराए रसीली यादों ने "

गाना सुनकर मिस्टर रावत खुश हुए और उन्होंने माधव के गाने तारीफ की। थोड़ी देर बाद माधव सबसे विदा लेकर चला गया। अब उन दोनों को फैसले का इंतजार था। वह भी जल्द पूरा हुआ रात में मिस्टर रावत समिष्ठा के कमरे में आए, और बताया कि माधव उन्हें पसंद आया और वे इन दोनों की शादी के लिए तैयार है। समिष्ठा ने तुरंत यह खबर माधव को फोन पर सुनाई, दोनों बहुत खुश हुए। उन्होंने शादी तक का एक पड़ाव पार कर लिया, बस एक पड़ाव और बाकी था। माधव को अपने परिवार में समिष्ठा के बारे में बताना था।

माधव का परिवार भरा परिवार है पर पूरा नहीं। उसकी मां मेघा एक कॉलेज में बायोलॉजी टीचर है, उसके पिता सेना में कैप्टन थे और सालों पहले शहीद हो गए है। तब से मेघा ने माधव को अकेले ही पाला। इसके साथ ही मेघा अपने घर में ' कैप्टन आर्यन सिंह शेखावत बाल निकेतन ' नाम का छोटा सा अनाथ आश्रम भी चलाती है। सुमन, मेघा की बचपन की सहेली है, वह भी उनके साथ ही रहती है और बाल निकेतन की देखभाल करती है। आश्रम में लगभग 14 -15 बच्चे रहते हैं। मेघा और सुमन अपने बच्चों का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखती हैं। माधव भी इन्हें अपने परिवार का सदस्य ही समझता। मेघा कभी भी माधव और आश्रम के बच्चों में फर्क नहीं करती, सभी को बराबर का प्यार देती। सभी बच्चे उसे मां कह कर ही बुलाते थे। 

माधव अपनी मां के काफी करीब है। पर समिष्ठा के बारे में बात करने से डर रहा था क्योंकि वह कभी मेघा का दिल नहीं दुखाना चाहता था। उसने बचपन से मेघा को बहुत तकलीफ सहते देखा था इसीलिए वह अपनी तरफ से कभी ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था जिससे मेघा को तकलीफ हो।

मेघा का कहना था,रात में सोने से पहले अगर बाल में तेल लगाकर मालिश करो तो दिन भर की सारी थकान उतर जाती है और नींद भी अच्छी आती है। इसलिए मेघा हमेशा सोने से पहले माधव के सर की तेल मालिश जरूर करती थी| इस समय दोनों मां -बेटे एक दूसरे से अपने दिनभर की सारी बातें करते थे, यह समय दोनों का प्राइवेट समय होता था। आज जब मेघा माधव के साथ बैठी थी तो माधव ने उसे समिष्ठा के बारे में सब कुछ बताया और यह भी बताया कि समिष्ठा के पापा उनके इस रिश्ते के लिए मान चुके हैं। मेघा ने उसकी पूरी बात सुनी, पर उसने इस बारे में कुछ नहीं कहा, सिर्फ उसे 'गुड नाइट' बोलकर अपने कमरे में चली गई। माधव को लगा शायद मेघा को उसकी बात अच्छी नहीं लगी। वह चुपचाप सोने चला गया पर उसे नहीं पता था कि सुबह एक सरप्राइस उसका इंतजार कर रहा है।

सुबह उठकर वह नीचे आया तो उसने देखा समिष्ठा उसके घर पर आयी हुई है। उसे देखकर वह शॉक्ड हो गया। उसने उसे पकड़ कर चुपचाप उससे पूछा, " तुम यहां क्या कर रही हो ?

तब मेधा ने बताया,"बेटा मैंने बुलाया है, अपनी 'होने वाली बहू' को।"

" क्या मां, आपने, पर कब ? और बहू, क्या मतलब आप को समिष्ठा पसंद है ! पर कल, आप तो कुछ नहीं बोली थी। " माधव ने जल्दी-जल्दी ढेर सारे सवाल मेघा पर दाग दिये।

"अरे- अरे थोड़ा सांस तो ले लो, मैंने आज सुबह ही तुम्हारे फोन से समिष्ठा को फोन कर यहां बुलाया। मुझे तो समिष्ठा उसी दिन पसंद आ गई थी जिस दिन मैंने तुम्हारे मोबाइल में तुम दोनों की फोटो देखी थी, पर तुम्हारे बताने का इंतजार कर रही थी, मुझे अच्छा लगा कि तुमने मुझे सामने से बताया। मैं बहुत खुश हूं, अब मेरा परिवार पूरा हो गया।"

मेघा ने भी दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर लिया, अब दोनों बहुत खुश थे। कुछ दिनों बाद उनके एग्जाम शुरू हो गए, उनके सब्जेक्ट अलग-अलग थे, इसीलिए वे अलग-अलग अपनी पढ़ाई में लग गए। थोड़े ही दिनों में उनके एग्जाम खत्म हो गए। अब दोनों काफी खुश थे, उनके परिवार ने उनका रिश्ता मान लिया था, पर शादी में अभी इंतजार था, क्योंकि माधव चाहता था कि पहले वह CDSE का एग्जाम पास कर ले, फिर शादी हो। समिष्ठा ने भी उसकी इच्छा को मान देते हुए उसे समय दे दिया। एग्जाम खत्म होने के बाद वे यूनिवर्सिटी के पास वाले पार्क में मिले जहां वे अक्सर मिला करते थे। आज दोनों काफी दिनों बाद पार्क में आए थे।

हमेशा बोलने वाली समिष्ठा आज माधव का हाथ पकड़कर चुपचाप बैठे उसे देख रही थी और कुछ भी नहीं बोल रही थी। थोड़ी देर की शांति के बाद माधव बोला," क्या हुआ, आज इतना चुपचाप क्यों हो ? तुम कुछ बोल नहीं रही हो ? "

"कुछ नहीं, बस यूँ ही सोच रही हूं।"

"क्या, मुझे भी जरा बताओ ?"

" एक बात पूछूं।"

"नहीं .... दो पूछो यार, तुम्हें मुझसे कुछ पूछने में संकोच कैसा, now we are couple "

"तुम मुझसे कितना प्यार करते हो ? बताओ जरा ! "

"ये कैसी बात है, कितना का क्या मतलब ? प्यार को कोई नाप सकता है क्या ?"

"फिर भी बताओ तो।"

" बहुत प्यार करता हूं तुम्हे, अपनी जान से भी ज्यादा, कुछ भी कर सकता हूं तुम्हारे लिए !"

"अच्छा जी, शादी के बाद मुझे रोज आइसक्रीम खिलाओगे ?"

"हाँ "

"मेरे पैर दर्द करेंगे तो दबाओगे ?"

"हाँ "

"मेरी हर बात मानोगे ?"

"हाँ "

"आंटी से अपने लिए बात करोगे ?"

"हां...., कौन सी बात !! "

"यही कि तुम आर्मी में नहीं म्यूजिक में अपना करियर बनाना चाहते हो।"

"समिष्ठा देखो, मैंने पहले ही कहा था, मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी।" माधव ने अपना हाथ हुए कहा।

"पर क्यों माधव,तुम्हारा सपना है, musician बनने का। तो तुम क्यों जबरदस्ती CDSE की तैयारी कर रहे हो।" समिष्ठा ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा," अपने सपने को यूँ ना छोड़ो, प्लीज !! एक बार शांति से सोचो।"

" मैंने बहुत बार सोचा है, दिल तो कहता है कि म्यूजिक चुनूँ पर माँ को दुखी नहीं देख सकता।उनका सपना है... मुझे आर्मी ऑफिसर के रुप में देखना।"

"पर माधव तुममे सिंगिंग टैलेंट है और तुम इस तरह अपने टैलेंट को वेस्ट नहीं कर सकते।"

"पता है मुझे, पर क्या करू ? मैं बचपन से देखता आया हूँ कि मां मुझे भी पापा की तरह आर्मी ऑफिसर के रूप में देखना चाहती हैं।मैं उनके सपने तोड़ कर उनका दिल नहीं दुखा सकता।"

"पर माधव, पापा भी यही चाहते हैं कि तुम आर्मी नहीं म्यूजिक में ही करियर बनाओ, वो तो तुम्हारे फैन हो गए हैं। अगर तुम बात ना कर पाऊं तो मैं पापा से कहती हूं, वह आंटी से बात कर सकते हैं इस बारे में।"

"नहीं समिष्ठा,मां को बहुत बुरा लगेगा, तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी।"

"ठीक है पर तुम तो कुछ करो।"

"मैंने सोचा है, इस साल के CDSE पेपर में अपनी पूरी कोशिश करूंगा, अगर सेलेक्ट हो गया, तो अच्छा है ... पर रह गया तो फिर मैं मां से कहूँगा कि मुझे आर्मी नहीं ज्वाइन करनी है। शायद तब माँ मान जाए। पर अपनी तरफ से एक बार पूरी कोशिश करूंगा कि उनका सपना पूरा कर सकूं।"

"ठीक है, माधव तुम जैसा सही समझो। मैं तुम्हारे हर फैसले में साथ हूं।"

अगले महीने उनके ग्रेजुएशन का रिजल्ट आ गया। उसके बाद दोनों ने अपने-अपने कॉम्पटेटिव एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी।समिष्ठा के बैंक के पेपर जल्दी ही थे, पर माधव के CDSE पेपर में समय था। अपनी -अपनी मेहनत और तैयारियों के साथ दोनों ने अपने -अपने एग्जाम दिए। समिष्ठा का सिलेक्शन बैंक में हो गया, पर माधव का रिजल्ट अच्छा नहीं आया। रिजल्ट देखकर उसे दुख हुआ, पर मेघा ने उसे समझाया कि जरूरी नहीं फर्स्ट एटेम्पट में ही पास हो जाओ, आगे और भी मौके है, दिल छोटा नहीं करते।यूँ तो माधव ने अपनी ओर से एग्जाम के पूरी मेहनत की थी, पर उसके दिल में संगीत बसा था इसलिए शायद कुछ कमी रह गई। CDSE एग्जाम पास ना कर पाने के कारण माधव कुछ उदास रहने लगा। इसी बीच उसके साथ कुछ ऐसा हुआ, जिससे माधव की जिंदगी का मकसद ही बदल गया, उसके जीने का नजरिया बदल गया। माधव के एग्जाम पास ना कर पाने के बाद समिष्ठा ने उसे उसकी पुरानी बात याद दिलाई, जो उसने पहले कही थी। समिष्ठा ने माधव को मेघा से म्यूजिक के बारे में बात करने के लिए कहा। माधव भी अब तैयार था।

कुछ दिनों में समिष्ठा को नौकरी मिल गई। इस खुशी को सेलिब्रेट करने वह माधव के घर आई थी। वह सभी बच्चों के लिए चॉकलेट लायी थी, उसने सभी को चॉकलेट खिलाकर मुंह मीठा कराया, फिर मेघा का आशीर्वाद लिया। सभी ने बच्चो के साथ बहुत सारे गेम्स खेले और मस्ती की। शाम को माधव और समिष्ठा मेघा से बात करने उसके कमरे में गए।

" मां, मुझे आपसे कुछ बात करनी है|"

"हां, बोलो क्या बात है।"

"माँ अगर आपको मेरी बात बुरी लगे, तो माफ कर देना|"

"ऐसा क्यों कह रहे हो ? भला, मां को अपने बेटे की बात बुरी लग सकती है।तुम ही इसे समझाओ समिष्ठा।"

" हां माधव,आंटी सही कह रही है, तुम बोलो, इसमें डरने की बात नहीं है।"

" तुमने मुझे बचपन से कहा है माँ कि मुझे बड़ा होकर आर्मी ज्वाइन करनी है। तुम्हारा सपना है कि मैं भी पापा की तरह फौजी बनकर तुम्हें गौरवान्वित करूँ। मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी की थी कि तुम्हारा सपना पूरा कर सकूं, पर पास नहीं हुआ।"

" माधव इतनी छोटी सी बात, मैंने तुम्हें पहले भी समझाया था कि ये तुम्हारे पास आखिरी मौका नहीं था। आगे भी तुम्हारे पास कई मौके हैं, इस बार अगर तुम रह गए हो तो, अगली बार थोड़ी ज्यादा मेहनत करके तुम सफल हो सकते हो। इसमें इतना दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है|"

"मां, मैं यह बात नहीं कह रहा हूं, मेरी पूरी बात तो सुनिए। तुम्हें पता है ना मां, म्यूजिक मेरा शौक है और मैं कितना अच्छा गिटार बजाता हूं, तो मैं यह चाह रहा था कि क्यों ना मैं इसी पर अपना फोकस करु। मुझे लगता है कि इस फील्ड में कुछ कर सकता हूं और यह मुझे अच्छा भी लगता है। माँ मुझे पता है कि तुम्हारा सपना है, आर्मी...., पर क्या करूं? मेरे दिल में म्यूजिक है। मैंने इस बार अपनी से पूरी कोशिश की थी पर, रिजल्ट तुम्हारे सामने है। मैं अब इसके पीछे अपना और समय बर्बाद नहीं करना चाहता। मेरा सपना संगीत है, आर्मी नहीं!। माँ, प्लीज समझो ! "

" 'तुम्हारा सपना' माधव ... ये सपना हमने साथ में बचपन से देखा है। जब तुम अपने पापा की तस्वीर के सामने उनकी नकल करते थे। तब से यह सपना तुम्हारे अंदर बस रहा था। पर लगता है कि अब तुम्हारे प्रॉयरिटी बदल चुकी है। .... अब समझ में आ रहा है, तुम एग्जाम में फेल क्यों हुए, जब दिल में कुछ और ही बसा है, तो तुम कैसे सफल हो जाते। तुमने सिर्फ तैयारी का दिखावा किया ताकि मुझे लगे कि मेरा बेटा मेहनत कर रहा है, पर मैं गलत थी। तुमने मुझे धोखा दिया है। "

"आंटी, ऐसा नहीं है,आप गलत समझ रही है। माधव ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी, पर उसे सिंगर बनना है,और आज के टाइम पर सिंगर्स की बहुत डिमांड है। आपको उसे मना नहीं करना चाहिए,आप गलत कर रही है..... "

"अब मुझे सही-गलत तुम से सीखना पड़ेगा, तुम बताओगी कि मुझे क्या करना है और क्या नहीं...." मेघाने उसकी बात काटते हुए कहा|

समिष्ठा बीच में ही बोल पड़ी," नहीं आंटी, मैं तो बस..........""समिष्ठा, तुम घर जाओ,हम कल बात करते हैं|" माधव उसे रोकते हुए बोला|

" पर माधव आंटी ........... "

" मैं हूं ना यहां,मैं संभाल लूंगा|अभी मुझे मां के साथ अकेला छोड़ दो,प्लीज! "

समिष्ठा वहां से चली जाती है।

"मां, समिष्ठा के कहने का आप गलत मतलब निकाल रही हैं, उसके कहने का मतलब ......... " 

माधव की बात काटते हुए मेघा ने कहा, " हां, मैं हमेशा गलत ही रहती हूं। तुम्हे मैं एक आर्मी ऑफिसर के रुप में देखना चाहती हूं .. यह गलत है, यहां सभी बच्चों को उनकी मां की तरह प्यार करती हूं ... यह भी गलत है। मेरा सपना है कि यहां से निकलने वाले सभी बच्चे आर्यन की तरह देश सेवा करें ...... यह गलत ही तो है। अपनी जिंदगी में मैंने सब गलत ही तो किया है। सालों पहले लोगों ने कहा था कि मैं गलत कर रही हूं और आज तुमने साबित कर दिया कि मैं सब कुछ गलत ही करती हूं, पर अब सही करूंगी ; तुम्हें जो बनना है,बन जाओ। आज के बाद मैं तुमसे कभी कुछ नहीं कहूंगी। मेरी गलतियों के लिए मुझे माफ कर दो !!! " मेघा ने हाथ जोड़ते हुए कहती है और अपने कमरे में चली जाती है।

माधव उसे रोकते हुए उसके पीछे-पीछे जाता है, पर वह उसकी एक बात नहीं सुनती और घर से बाहर चली जाती है। माधव को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मेघा ने उसकी छोटी -सी बात पर ओवरिएक्ट। क्यों किया। आज मेघा की कुछ बातें उसे समझ नहीं आई। साथ ही मां को दुख पहुंचाकर उसे अच्छा नहीं लग रहा था। जब भी कभी माधव उदास होता या उसे किसी सवाल का जवाब नहीं मिलता तो वह सुमन मासी के पास जाता। उनसे बात करके उसे सुकून मिलता था। सुमन पहले उदयपुर में रहती थी पर एक्सीडेंट में उसके पति और बेटे की मौत के बाद वह भी मेघा के साथ जयपुर में रहती है। यहां पर वह निकेतन का सारा काम देखती है, सभी बच्चे उसे प्यार से ' सुमन मासी' बुलाते हैं। माधव सुमन के बेहद करीब है, वह अपनी हर बात उससे शेयर करता, जो वह मेघा से नहीं कह पाता। पर यह म्यूजिक की बात उसने उसे भी नहीं बताई थी। 

आज भी माधव परेशान सा सुमन के पास अपने सवालों के जवाब लेने पहुंचा। उसने उसे उसके और मेघा के बीच हुई सारी बात बताई। उसने सुमन से पूछा," मासी, मैंने क्या गलत कहा, मेरे दिल में जो था, वह मैंने मां को बताया। पर वह मुझसे बहुत नाराज हो गई है। मैं क्या करूं ? " 

" माधव आज तुमने सच में बहुत गलत किया है। मेघा ने तुम्हारे लिए ढेर सारे सपने देखे थे, उसने इन सपनों के लिए बहुत मेहनत की है। वह पूरे समाज के खिलाफ चली गई थी। इसे पूरा करने के लिए उसने अपनी जिंदगी इसके लिए कुर्बान कर दी, और तुमने उसके सारे सपने को ही एक झटके में गलत ठहरा दिया। बहुत बड़ी गलती की है तुमने। " 

" पर मासी, अपनी पसंद चुनने का हक तो मेरा है ना, मुझे म्यूजिक पसंद है, इसमें क्या गलत है। मेरे आर्मी ना ज्वाइन करने से ऐसा क्या गलत हो जाएगा, जो आप दोनों इतना ओवरिएक्ट कर रही है। यह कोई इतनी भी बड़ी बात नहीं है। ये मेरी लाइफ है, और मैं ही तय करूगा कि मुझे इसे कैसे जीना है ! " 

"माधव तुम मेघा की भावनाएं समझ नहीं रहे हो, उसने बचपन से तुम्हें एक फौजी के रूप में देखा है। उसका सपना है ; यही, उसके जीने का लक्ष्य है ! "

" हां मैं मानता हूं, पर मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी कि मां का सपना पूरा कर सकूं, पर शायद भगवान भी यही चाहते हैं कि मैं आर्मी ना जॉइन करूं। इसीलिए CDSE एग्जाम पास नहीं कर पाया। मासी आप प्लीज़ मां को समझाइए, मुझे लगता है कि वह समझ जाएंगी। आजकल तो सभी अपने हिसाब से ही करियर चुनते हैं। अपने पेरेंट्स के हिसाब से नहीं। at least मैंने ट्राई तो किया। पर मां ये समझ ही नहीं रही है। वो कुछ दूसरा मतलब निकाल रही हैं। आप उन्हें समझाइए, यह कॉमन है, it just not a big deal . "

"yes,you are right ;it's not a big deal . मैं ही बेवकूफ हूँ,जो अपने सपने का भार तुम पर डाल रही हूं। अच्छा हुआ, जो मैं यहां से गुजर रही थी और तुम्हारी बातें सुन ली। वरना मुझे पता ही नहीं चलता कि तुम्हारे दिल में क्या है ? आज पता चला, मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है।"

" माँ सुनो तो, आपने आधी बात ही सुनी ........... "

" सुमन, कह दो इससे, मुझे इस से कोई बात नहीं करनी है और इसे अब अपने मन से जो करना है, वह करें। यह बड़ा हो गया है, अब इसे हमारी जरूरत नहीं है।" मेघा ने माधव की बात काटते हुए कहा।

" मेघा .. सुनो तो, माधव अभी बच्चा है, उसकी बात का बुरा नहीं लगाते, मैं समझाऊगी इसे।"

मेघा ने किसी की बात नहीं सुनी और अपने कमरे में चली गई।

" मासी, आप ........... "

" बस माधव, बहुत हो गया। अब एक शब्द और नहीं ! तुम नहीं जानते, आज तुमने अपनी मां को बहुत दर्द दिया है। यह बात भले तुम्हारे लिए बड़ी ना हो, पर मेघा के लिए उसके जीने का मकसद थी। उसने अपने इतने साल इस सपने के लिए गुजार दिए। आज तुमने उससे उसके जीने का कारण ही छीन लिया। अपना सपना पूरा करना गलत नहीं है लेकिन किसी और के सपने को कुचलकर अपना सपना पूरा करना बहुत गलत है। "" पर मैंने ऐसा किया क्या है ? आप बताइए, क्या अपने सपने को पूरा करना गलत है। मेरा सपना म्यूजिक है और बस यही पूरा करना चाहता हूं। "

"माधव, बहुत हो गया, 'तुम्हारा सपना - तुम्हारा सपना' कब से बस यही रट लगाए हुए हो। तुम्हे यकीन भी है, कि आज तुमने अपनी बातो से मेघा का कितना दिल दुखाया है। तुम्हे उसकी जरा- सी भी परवाह नहीं है, उसने अपनी पूरी जिंदगी इस सपने के लिए कुर्बान कर दी, यहाँ तक उसने अपने परिवार के खिलाफ जाकर इस सपने को जिंदा रखा। पर तुम्हें क्या, तुम्हे सिर्फ अपनी परवाह है। "

" मासी, आखिर ऐसा क्या है इस सपने में, जो माँ ने इसके लिए इतनी तकलीफ सही। क्या राज है, इस सपने का बताओ, प्लीज।"

" क्योकि यह सपना तुम्हारे पापा का था, उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा भी उनकी तरह फौज में दाखिल हो और इससे ज्यादा मैं तुम्हें कुछ नहीं बता सकती। जाओ यहां से, मुझे अकेला छोड़ दो।" सुमन ने उसे दरवाजा दिखाते हुए कहा।

" नहीं मासी, मुझे यह बात जितनी सिंपल लग रही थी, उतनी नहीं है। मुझे पूरी बात बताओ, कोई तो राज है, जो आप मुझे नहीं बता रही है। आपको मेरी कसम, प्लीज ! मुझे बताइए।" माधव ने उसके कदमों पर गिरते हुए कहा।

"नहीं माधव, जिद मत करो, सच सुनकर तुम्हें बहुत बड़ा धक्का लगेगा और मेघा कभी नहीं चाहेगी कि तुम्हें सच का पता चले।""मैं आपसे वादा करता हूं, यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी कभी भी किसी को पता नहीं चलेगी।"

" ठीक है, जैसा तुम चाहो, करीब 25 साल पहले की बात है .......

उस समय हम बरेली में रहते थे। मैं और मेघा बेस्ट फ्रेंड थे, हम दोनों ने साथ में बीएससी तक पढ़ाई पूरी की। उसके बाद मेघा ने MSc . में एडमिशन ले लिया और मेरी शादी तय हो गई। शादी में मेघा की मुलाकात आर्यन से हुई। वह मेरे पति का दोस्त था और बारात में बरेली आया था। चूँकि मेघा लड़की वालों की तरफ से थी और आर्यन लड़के वालों की तरफ से आया था, इसलिए पूरी शादी में दोनों के बीच खूब मीठी नोकझोक और मस्ती मजाक हुआ। दोनों ने खूब एक दूसरे की टांग खींची और पूरी शादी में खूब धमाल किया। आर्यन उदयपुर से था और शादी के लिए बरेली गया था। शादी के बाद मैं भी अपने पति के साथ उदयपुर आ गई। उस समय मोबाइल तो था नहीं, बस हर घर में एक लैंडलाइन फोन हुआ करता था, उस पर कभी कभार मेरी बात मेघा से हो जाती थी। एक दिन मेघा का फोन आया, उस समय आर्यन हमारे घर आया हुआ था। मैंने मेघा की बात उससे कराई तो, उसने उसे चिढ़ाते हुए कहा," मेघा जी, आप तो हमें शादी के बाद भूल ही गए। कभी याद ही नहीं करती, हमेशा अपनी सहेली को ही फोन करती रहती है।"

तबसे मेघा आर्यन को कभी-कभी चिट्ठी भेज देती थी, क्योंकि मेघा को फोन पर बात करने से ज्यादा, पत्र भेजना अच्छा लगता था। इसी बीच आर्यन का सिलेक्शन IMA में हो गया और वह ट्रेनिंग के लिए देहरादून चला गया। मेघा और उसके बीच पत्र-व्यवहार अभी भी चल रहा था। मेघा को आर्यन को चिट्ठी लिखना अच्छा लगता था। आर्यन भी वहाँ, घर से दूर उन चिट्ठियों में अपनापन तलाशता था। कई महीने बीत गए, आर्यन की ट्रेनिंग पूरी हो गई थी। कुछ दिनों में उसकी जॉइनिंग हो गई। इधर मेघा की MSc .की पढ़ाई भी पूरी हो गई थी। अब तक दोनों के बीच में उनके पत्रों के कारण, प्यार की खुशबू फ़ैल चुकी थी। करीब दो सालो से वे अपनी बातें एक दूसरे तक, चिट्ठियों के द्वारा पहुंचा रहे थे। मेघा ने मुझे उनके प्यार की बात फोन पर बताई थी। मैं दोनों के लिए काफी खुश थी। उसी बीच आर्यन के उदयपुर लौटने पर हम उससे मिलने उसके घर गए। तब मैंने बातों -बातों में, उसकी नजरों में मेघा के लिए असीम प्यार देखा। मैंने यह बात अपने पति को भी बताया, वे यह जानकार खुश हुए।

फिर उन्होंने आर्यन घर वालों से मेघा के बारे में बात की। आर्यन के माता-पिता मेघा से, मेरी शादी में मिल चुके थे, वह उन्हें पसंद आयी थी। इसलिए उन्हें शादी में कोई दिक्कत नहीं हुई। कुछ दिनों बाद आर्यन कश्मीर चला गया, वहां उसको जॉइनिंग मिली थी। अगले महीने दिवाली थी इसलिए मैं भी बरेली चली गई। वहां पर मेघा से मिलकर उसे उसकी शादी की खुशखबरी दी, फिर उसके माता-पिता से मैंने आर्यन के रिश्ते के लिए बात की। उन्होंने यह रिश्ता स्वीकार कर लिया और दोनों की शादी तय कर दी गयी। आर्यन को मई में ही घर लौटना था, तो परिवार वालों ने मई में ही सगाई और शादी की तारीखे तय कर दी।मेघा अब भी आर्यन को चिट्ठी भेजती थी। आर्यन एक फौजी था, इसलिए कभी उसके पास समय होता, तो कभी नहीं होता। उसकी चिट्ठी का जवाब मिलने में कभी-कभी, 15 दिन भी लग जाते। पर मेघा आर्यन को रोज खत लिखती थी, फिर उसका जवाब पाने में, चाहे जितना लंबा उसे इंतजार करना पड़ता, उसे कभी दुख नहीं होता। दोनों के बीच जगह अगाध प्रेम था, पर दोनों ने अपने प्यार को संयम से बांध रखा था।

आर्यन का पहला प्यार देश था, मेघा यह बात समझती थी। वह दूसरी लड़कियों की तरह कभी भी आर्यन से कोई जिद नहीं करती थी। धीरे -धीरे मेघा ने अपने आपको पूरी तरह से एक सैनिक की बीवी के अनुरूप ढाल लिया था। वह आर्यन की जिम्मेदारियों को सम्मान देती थी, वह बस उसे प्यार देना जानती थी, उसके बदले में उसने अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा। वह हमेशा कहती, " प्यार में शर्त कैसी? प्यार तो दिल की पवित्र भावना है, इसमें हम शर्तों का बंधन नहीं लगा सकते।"

हमेशा वह आर्यन की ताकत बनना चाहती थी, कमजोरी नहीं। आर्यन भी उसको उतना ही प्यार करता था, पर उसकी अपनी मजबूरियां थी।

कहते हैं ना, प्यार की असली अहमियत दूर रहकर पता चलती है, पास में नहीं। इतने दिनों की दूरियां से उनका प्यार और भी बढ़ गया था।

कई महीने बीत गए, मई में आर्यन एक महीने की छुट्टी लेकर घर आया। वापस आकर उसने सबको बताया कि उसका पिछला मिशन सफल हुआ था, इसलिए उसकी बहादुरी को देखकर सेना ने उसको 'कैप्टन' की रैंक दी। अब वह ' कैप्टन आर्यन सिंह शेखावत' हो गया।

उनकी सगाई उदयपुर में हुई और शादी बरेली में होनी थी। उनकी सगाई हो चुकी थी और शादी में 2 दिन बचे थे। शादी के लिए आर्यन और उसका परिवार 3 दिन पहले बरेली आ गए थे। दोनों घरों में खुशियां छाई हुई थी, पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। शादी से पहले वाली रात में आर्यन के नाम इंडियन मिलिट्री की तरफ से एक तार आया।

उसमें इंडियन मिलिट्री ने उसकी छुट्टी कैंसिल करते हुए, उसको ड्यूटी पर वापस बुलाया। साल १९९९ मई में युद्ध होने के आसार थे, इसीलिए सेना ने एमर्जेन्सी घोषित कर,अपने सभी सैनिको की छुट्टियां कैंसल कर दी थी।आर्यन दुविधा में फंस गया कि वह देश के प्रति अपना फर्ज निभाए, या फिर मेघा के प्रति। आर्यन का जाना जरूरी था, इसलिए वह उस रात मेघा से मिलने आया। मेघा ने भी उसे उसका देश के प्रति फर्ज निभाने के लिए कहा। पर जाते वक्त उसने आर्यन से वादा लिया कि वह जल्दी वापस आए और जिस दिन वापस आएगा उसी दिन उनकी शादी होगी। आर्यन दुखी मन से, हाथ में मेहंदी सजाये अपनी दुल्हन को छोड़ कर, भारत मां की सेवा करने चला गया। कुछ दिनों में भारत पाकिस्तान के बीच 'कारगिल युद्ध' शुरू हो गया।

करीब एक हफ्ते बाद, मेघा के नाम से आर्यन की चिट्ठी आई। उसमें उसने लिखा था कि वहां के हालात सामान्य होते ही, वह छुट्टी लेकर आ जायेगा। पूरे देश में कारगिल युद्ध के कारण भारी डर का माहौल था। मेघा पूरा-पूरा दिन समाचार देखती रहती। जुलाई अंत तक कारगिल युद्ध खत्म हुआ, और भारत की जीत हुई। पर आर्यन की ना कोई चिट्ठी आई,और ना ही कोई खबर मिली।

एक दिन उसके घर पर उसका फौजी दोस्त आया, उसने बताया कि युद्ध में करीब 500 से अधिक सैनिक शहीद हुए। इनमें से एक आर्यन भी था, वह देश के लिए लड़ते- लड़ते शहीद हो गया। इस खबर से तो सबकी दुनिया ही उजड़ गई। अगले दिन आर्यन का पार्थिव शरीर आने वाला था। उस दिन सभी लोग उसे अंतिम विदाई देने के लिए इकट्ठा हुए थे, मेघा भी बरेली से अपने परिवार के साथ आई। हम सभी ने उसकी शहादत पर आंसू बहाए, पर मेघा की आंख से एक बूंद ना गिरी। हमने उसे रुलाने की बहुत कोशिश की, पर वह नहीं रोई। उसने सबसे कहा," मेरा आर्यन शहीद हुआ है, उसकी मौत नहीं हुई। उसने भारत माँ के लिए अपने प्राण न्योछावर किये है, हम यूँ रोकर उसकी शहादत का मजाक नहीं उड़ा सकते। वह बहादुर है, कायर नहीं ! और बहादुरो की मौत पर आंसू नहीं, फूल बरसाते हैं।"

कुछ दिनों बाद, मैं उससे मिलने बरेली गई, तो पता चला उसके घर वालों ने उसकी शादी करने का फैसला किया है,जिससे मेघा आर्यन की मौत का सदमा भूल जाए और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ें। पर मेघा शादी के लिए नहीं तैयार थी, उसने सबसे कहा," भले ही आर्यन ने मेरा वादा तोड़ दिया, पर मैं कैसे उनसे किया अपना वादा तोड़ दूं। मैंने उनसे कहा था जिस दिन वो लौटकर आएंगे, उसी दिन हमारी शादी होगी। वह लौट कर आए, भले ही वह जीवित ना लौटे, पर उनका शरीर तो आया और उनके लौटने से, उनके शरीर के साथ ही मेरी शादी हो गई। अब मैं एक विधवा हूं, एक देशभक्त फौजी की विधवा बनकर, मैं पूरी जिंदगी गर्व से जी सकती हूं। मेघा को सभी ने समझाने की बहुत कोशिश की, जब वादा करने वाला नहीं रहा तो उसे निभाने के लिए उसे अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं करनी चाहिए। मैंने भी उसे काफी समझाया, पर वह अपने फैसले पर अटल थी। उसने अपनी जिंदगी एक विधवा की तरह जीना शुरु कर दिया। उसका आर्यन के प्रति यह निस्वार्थ प्रेम देखकर मुझे उस पर गर्व हो रहा था।वह आर्यन की बिन ब्याही विधवा के रूप में बहुत खुश थी, बस उसे सिर्फ एक बात की चिंता थी। वह आर्यन का सपना पूरा करना चाहती थी,

उसने आर्यन से वादा किया था, कि उनका बेटा भी उसकी तरह फ़ौज में जाकर देशसेवा करेगा, पर अब यह संभव नहीं था। उसको अपना यही वादा अधूरा लग रहा था।एक दिन वह मेरे पास आयी। उसने बहुत बड़ा फैसला लिया था, उसने बताया कि वह एक अनाथ बच्चे को गोद लेने वाली है, जिसे वह अपना और आर्यन का बेटा मानकर पालेगी और उसे आर्मी ऑफिसर बनाकर, आर्यन के सपने को पूरा करेगी। उसकी बात सुनकर मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या कहूं ? आर्यन के लिए उसके निस्वार्थ और अगाध प्रेम को सलाम करूं या अपनी जिंदगी यूं बर्बाद करने के लिए खूब डांट लगाऊं। पर आखिर उसके इस जज्बे को सलाम करते हुए, उसके फैसले में उसके साथ खड़ी हो गई। ऐसा फैसला करने के लिए बहुत बड़ा जिगर चाहिए होता है और उस दिन मुझे मेघा पर गर्व हो रहा था, साथ ही आर्यन और मेघा के निस्वार्थ और पवित्र प्यार पर नाज़ भी।

यह फैसला लेते हुए मेघा को जितनी खुशी हुई, उससे कही ज्यादा तकलीफ उसको इसके लिए अपने माता-पिता को मनाने में हुई। मेघा के माता-पिता इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हुए। उन्हे मेघा का फैसला बेवकूफी लगा और उन्होंने उसकी जबरदस्ती शादी कराने की कोशिश की। मेघा को यह नामंजूर था। उसने तुम्हें एक अनाथ आश्रम से गोद ले लिया,तब तुम 2 साल के थे। इसके बाद भी उसके घर वालों का व्यवहार नहीं बदला। उसने अपने मां-बाप का घर छोड़ दिया और उदयपुर आर्यन के घर आ गई।पर उसके परिवार ने अपने बेटे की बिन ब्याही विधवा को अपनाने से इंकार कर दिया। फिर भी मेघा ने हिम्मत नहीं हारी,वह अपने फैसले पर अडिग रही और वहां से यहाँ जयपुर आ गई।यहां पर उसे एक कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी मिल गई|तब से वह 'शहीद कैप्टन आर्यन सिंह शेखावत ' की विधवा 'मेघा आर्यन सिंह शेखावत' के रूप में जिंदगी जीने लगी और तुम्हें अपना बेटा 'माधव आर्यन सिंह शेखावत ' के रूप में पालने लगी। सिंगल मदर के जीवन में बहुत तकलीफे आती है,उसने इन सब को पार किया और तुम्हे एक खुशहाल जिंदगी दी।

लगभग 8 साल हो गए थे, अब तक तुम 10 साल के हो गए थे। तुम पढ़ाई और खेल दोनों में बहुत अच्छे थे।मेघा ने बचपन से ही तुममे आर्यन की तरह फौजी बनने का बीज बोने लगी।मेघा अब अपनी जिंदगी में खुश थी।एक दिन वह कॉलेज से लौट रही थी, तभी रोड पर कुछ लोग 6 साल के बच्चे को मार रहे थे। उसने पता किया, तो पता चला कि वह दुकान से चोरी कर भाग रहा था।

वह बच्चा अनाथ था और रोड पर यूँ ही इधर-उधर घूमता रहता, जहां खाने को मिल जाता, खा लेता, जहां जगह मिल जाती,वहां सो जाता। क्योकि इस दुनिया में उसे पालने वाला कोई नहीं था। उस बच्चे की बात मेघा के दिमाग में घर कर गई,वह सोचने लगी,ना जाने कितने ऐसे बच्चे हैं,जिनके भविष्य में ऐसा अंधेरा है,उन्हें पालने वाला,सही रास्ता दिखाने वाला, कोई नहीं है| उसने फैसला किया कि वह बेसहारा बच्चों को पालेगी और उनके उज्जवल भविष्य के लिए उनको दिशा दिखाएगी। उसने कॉलेज के साथ-साथ कोचिंग और प्राइवेट ट्यूशन लेना शुरू कर दिया। कुछ महीने बाद बैंक से लोन लेकर एक छोटा सा घर खरीदा, जिसका नाम' कैप्टन अर्जुन सिंह शेखावत बाल निकेतन 'रखा और उन सभी बेसहारा बच्चों को यहां ले आयी। इसके साथ वह कई बेसहारा बच्चों की मां बन गई।

एक एक्सीडेंट में मेरे पति और बेटे की मौत के बाद, मेरा जीने का कोई सहारा ना रहा। फिर मैं भी मेघा के पास चली आयी और इस बाल निकेतन की जिम्मेदारी संभाल ली। बच्चों के साथ मैं भी अपना दर्द धीरे-धीरे भूल गयी। अब तो इन सबके बिना अच्छा नहीं लगता। माधव मेघा ने तुम्हें कभी नहीं पता लगने दिया कि वह तुम्हारी असली मां नहीं है। आर्यन के इस सपने को पूरा करने के लिए उसने भी पूरी जिंदगी ने न्योछावर कर दी है और पिछले 19 सालों से तपस्या कर रही है। पर आज तुम्हारी बात सुनकर उसका दिल पूरी तरह से टूट गया है। इतना दुख उसे आर्यन की मौत पर भी नहीं हुआ, जितना आज तुम्हारी बातें सुनकर हुआ।"

" मासी, इतनी बड़ी बात आप दोनों ने मुझसे छुपाई। मैं माँ का असली बेटा नहीं हूं, उन्होंने मुझे गोद लिया है।"

" हां, यह सच है, पर मेघा ने तुम्हें हमेशा अपने बेटे से बढ़कर प्यार दिया है। उसे इस बात का कभी पता नहीं चलना चाहिए, वह जी नहीं पाएंगी .. "

" नहीं मासी, मैं यह बात मां को कभी नहीं पता लगने दूंगा। पर आपने बहुत अच्छा किया, जो मुझे सच बता दिया। अनजाने में मैं कितनी बड़ी गलती करने जा रहा था। अपनी खुशियों के लिए अपनी देवी जैसी मां के सपने तोड़ रहा था।"" हां माधव, तुमने मेघा का बहुत दिल दुखाया है।"

" मासी, मैं उस मां के सपने तोड़ रहा था, जिसने इतने सालों से तपस्या की है। पर अब मैं अपनी गलती सुधारुगा, मैं उनकी तपस्या पूरी करूंगा। मैं आपसे वादा करता हूं, अगले साल CDSE एग्जाम बीट कर आर्मी में सेलेक्ट होकर दिखाऊंगा और अपने माता -पिता के सपने को पूरा कर, उनका यह कर्ज चुकाऊंगा। भले ही मैं अपने माता-पिता का जैविक बेटा नहीं हूँ, पर रिश्ते भावनाओं से बनते हैं, खून से नहीं। "" आज मुझे मेघा की परवरिश पर गर्व हो रहा है। माधव मुझे यकीन था, तुम कभी कुछ गलत नहीं करोगे।proud of you ."

" मासी, आपको ढेर सारा thankyou . आज मेरे जीवन का नजरिया ही बदल गया। अनजाने में हुई अपनी हर गलती को मैं, अब सुधारूँगा और आगे से कभी कुछ ऐसा नहीं करूंगा जिससे मां को तकलीफ हो। "

वहा से माधव सीधा मेघा के कमरे पर पहुंचा। उसका दरवाजा हल्का सा खुला था, उसने दरवाजे की ओट से झांका। मेघा आर्यन के लिए चिट्ठी लिख रही थी। वह हर रात सोने से पहले आर्यन के नाम एक खत लिखती थी और फिर उसे बोतल में बंद कर पानी में छोड़ देती थी। ऐसा करने से उसे लगता था कि इस तरह से आर्यन तक उसके बात पहुंच जाती है। यह है तो एक तरह का पागलपन, पर मेघा इससे खुश थी, इस तरह वह अपने दिल की हर बात को पानी में बहा देती और उसे सुकून मिलता था। माधव ने मेघा को डिस्टर्ब नहीं किया। उसने से आर्यन की यादो के साथ अकेला छोड़ दिया। अपने कमरे में जाकर उसने समिष्ठा को फोन किया, रात काफी हो चुकी थी। इसलिए वह सो गई थी। घंटी की आवाज सुनकर उसने फोन उठाया। वह कुछ बोले उससे पहले माधव बोला," मैंने फैसला कर लिया है, अब सब मुझे साफ -साफ दिख रहा है कि मुझे आगे क्या करना है|"" सच में, तुमने म्यूजिक चुन लिया, मुझे पता था। i am so happy ."

" नहीं, मैंने मिलिट्री ज्वाइन करने का फैसला किया, म्यूजिक नहीं। अब जब तक मैं आर्मी जॉइन नहीं कर लेता, तब तक गिटार को हाथ भी नहीं लगाऊंगा।"

इतना कहकर उसने फोन काटकर स्विच ऑफ़ कर दिया। उसे पता था, समिष्ठा क्या, क्यों, किसलिए, ऐसे ढेरो सवाल करेगी और उसके पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं था।सुबह जब मेघा उठी तो, माधव ने उसका स्वागत खुद के बनाए 'सॉरी कार्ड' से किया। बचपन में जब कभी भी मेघा उससे नाराज होती तो, वह ऐसे ही मनाता था। कार्ड देने के साथ -साथ उसने मेघा से वादा किया कि वह अगले साल होने वाले CDSE एग्जाम पासकर, अपने पापा की तरह आर्मी अफसर बनकर दिखायेगा। मेघा को समझ नहीं आ रहा था कि आज अचानक उसे क्या हो गया। जो माधव कल तक म्यूजिक -म्यूजिक की रट लगाए था, आज उसने आर्मी ज्वाइन करने का फैसला कर लिया। उसे लगा शायद सुमन ने उसे समझा दिया होगा। समिष्ठा ने भी माधव से पहले ढेर सारे सवाल किये, फिर उसे काफी समझाया, पर माधव अपने फैसले पर अडिग रहा। माधव ने मेघा से किया अपना वादा पूरा भी किया। उसने एग्जाम के लिए जम कर तैयारी की और अगले साल का एग्जाम पास कर लिया। अब उसका सिलेक्शन 'इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून' में आर्मी ट्रेनिंग के लिए हो गया। आर्मी में सिलेक्ट होने के बाद मेघा ने माधव और समिष्ठा की सगाई कर दी। सगाई के बाद माधव अपनी 18 महीने की ट्रेनिंग के लिए IMA देहरादून चला गया।

लगभग डेढ़ साल बाद माधव अपनी ट्रेनिंग पूरी कर घर लौटा। उसके लौटने पर मेघा ने धूमधाम से उसका स्वागत किया।इसमें समिष्ठा का परिवार भी आया था। माधव फौजी की ड्रेस में आया था, उसे देखकर मेधा को उसमे 20 साल पहले के आर्यन की छवि दिखाई दी। आज उसे लगा जैसे माधव के रूप में उसका आर्यन वापस आ गया है। मेघा ने माधव को गले लगाकर आशीर्वाद दिया। आज वह खूब फूट -फूट कर रोई। आज उसकी प्रेम - तपस्या पूरी हुई, जो उसने 'बिन ब्याही मां' बनकर पूरी की।


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