एक फैसला
एक फैसला
कभी कभी कुछ फैसले दूसरों की खुशी के लिए लिए जाते हैं और महिलाओं के लिए यह तो आम बात है। कभी पिता की खुशी के लिए, कभी पति की, तो कभी बच्चों की खुशियों के लिए ना चाहने वाले निर्णय लेने पड़ते हैं। ऐसा ही एक फैसला मैंने किया और कहते हुए खुशी हो रही है कि उस फैसले पर आज तक कभी पछतावा नहीं हुआ। बल्कि गर्व ही है कि मेरा वह अनचाहा फैसला मेरी जिंदगी के लिए बेहतर साबित हुआ।
वह फैसला था मेरी शादी का! मेरे पिताजी ने मेरी शादी अपने दोस्त के बेटे के साथ तय कर दी थी। लेकिन मुझे वो तब बिल्कुल भी पसंद नहीं थे, मुझे लगता था कि ये अावारा किस्म के गैरजिम्मेदार इंसान है। मैंने शादी को लेकर मना कर दिया। पर मेरे पिताजी ने अपने दोस्त को जबान दे दी थी, उन्होंने मेरी एक बात नहीं सुनी और मेरी शादी का फरमान जारी कर दिया।
तब मैंने बेमन से शादी के इस फैसले को हामी दे दी थी। पर शादी के बाद इन्हें जानकर मैं गलत साबित हुई। मैंने जैसा सोचा था, ये बिल्कुल भी वैसे नहीं थे और आज मैं अपने इस फैसले पर बहुत खुश हूं।
