Sumit Mandhana

Abstract

4.0  

Sumit Mandhana

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" रिश्ते "

" रिश्ते "

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ऑर्डर , ऑर्डर ,  सभी शांत हो जाए ! जज साहब ने जोर से चिल्लाते हुए कहा । जो भी लोग बातें कर रहे थे, कुछ पल के लिए खामोश हो गए । बातें तो होनी ही थी आखिर बात भी इतनी बड़ी हो गई थी!  किसी ने सोचा भी नहीं था , मीना इतनी बड़ी बात कह देगी! उसने बोलने से पहले एक बार भी सोचा नहीं कि वह क्या बोल रही है? 

अनिल और मीना की शादी को 15 साल हो चुके थे ।दोनों में मनमुटाव काफी समय से चल रहा था ।लेकिन बात यहां तक पहुंच जाएगी, यह किसी ने नहीं सोचा था । मतभेद ने कब मनभेद का रूप बना लिया और बात तलाक तक आ पहुंची । 

आज  उनका तलाक का फैसला होने ही वाला था तभी मीना बोल पड़ी आज भी मैं तुम्हारे साथ रहने को तैयार हूं। अगर तुम अपने माता पिता को छोड़ दो? इतनी बड़ी बाद उसने सबके सामने कह दी! अनिल भी उसकी बात सुनकर भौचक्का रह गया। लेकिन अनिल का जवाब सुनकर सभी दंग रह गए। उसने भी सबके सामने कह दिया कि मेरे माता पिता  के लिए मैं सब कुछ त्याग सकता हूं। तुम्हारे जैसी पत्नी भी, यह शादी भी तुम मुझे तलाक देना चाहती हो बेशक दो।  मैं खुद इस रिश्ते को ठोकर मारता हूं। लेकिन मैं अपने माता-पिता के साथ ही रहूंगा।



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