Anita Sharma

Romance

4.2  

Anita Sharma

Romance

खूबसूरत याद

खूबसूरत याद

4 mins
410



सुगंधा जी ने अपने गार्डन से लाये फूल फुलदांन में सजाते हुये एक नजर पास में रखी धुंधली हो रही तस्वीर पर डाली। तस्वीर तो धुंधली थी पर उसकी यादें आज भी सुगंधा जी के चेहरे पर मुस्कान लिये दिल में एकदम ताजे फूलों की तरह ताजा थी।

उन्हें लगता जैसे कल की ही बात तो थी। जब उसने और उनके पति राघवेंद्र (रघु) ने अपनी जिन्दगी की शुरुआत की थी। शादी के उन शुरुआती दिनों में वो और रघु कभी खुल कर बात ही नहीं कर पाते।

जितनी शर्मीली सुगंधा थी उससे कहीं ज्यादा रघु घबराते थे। तो जब सुगंधा की मुँह दिखाई के समय घर में पहली बार फोटोग्राफर आया और उसने राघवेंद्र से सुगंधा का हाथ पकड़कर फोटो खींचने के लिये कहा तो उनका हाथ सूखे पत्ते की तरह काँप रहा था। तब सुगंधा ने आगे बढ़कर उनका हाथ थाम लिया।

उस समय ये बहुत बड़ी बात थी कि कोई लड़की यूँ आगे से अपने पति का हाथ थामे। ये देखकर सभी के मुँह खुले के खुले रह गये और सभी खी...खी...खी कर हंस दिये। तो सुगंधा की सास ने सब को डाँट कर चुप कराते हुये कहा...."क्यों ये बत्तीसी दिखा रहे हो? इससे क्या फर्क पड़ता है कि किसने किसका हाथ पकड़ा है मतलब तो साथ चलने से है। और मेरी बहू ने बेटे का काँपता हाथ पकड़ कर ये साबित कर दिया कि मेरा बेटा जब लड़खड़ायेगा मेरी बहू उसे मजबूती से थाम लेगी! और रघु तू भी मेरी बहू को कभी अकेला मत छोड़ना उसका हर कदम पर साथ देना चलो अब उसका साथ देते हुये अच्छे से मुस्काराओ और एक अच्छी सी तस्वीर खिंचवा कर इस पल को अपनी यादों और जीवन में संजो लो।"


उस समय जब सास का डर दिखा-दिखा कर ही हमें बड़ा किया जाता था। सास के मुँह से ऐसी बातें सुनकर सुगंधा तो अपनी किस्मत पर फूली नहीं समा रही थी। उसे लगा जैसे वो एक माँ को छोड़कर दूसरी माँ के आँचल की छाया में आ गई। वहीं राघवेंद्र ने उसके हाथ में अपनी उंगलियाँ फंसा उसे और मजबूती से पकड़ लिया जिसे वो फोटो खिंचवाने के बाद भी पकड़े रहे। और माँ जी के डांटने पर ही हाथ छोड़ा। जिसकी वजह से सुगंधा के गोरे गाल शर्म से गुलाबी हो गये थे।

तब से ये तस्वीर उसके कमरे के एक कोने की जान बन गई थी। और उस फोटो के सामने राघवेंद्र के पसंद के सफेद फूल सजाना उसकी आदत हो गई थी। क्योंकि सारी जिन्दगी दोनों ने एक दूसरे के सपने, भावनाओं, कमियों को कुछ यूँ थामा कि हंसी खुशी से कब जीवन के साठ-पैंसठ वर्ष गुजर गये पता ही नहीं चला। अब तो उनके बच्चे भी बड़े होकर अपनी-अपनी जगह खुश है। वो बहुत कहते है साथ में चलने को पर वो अपना घर अपनी यादों को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते थे।

सुगंधा जी ख्यालों में खोई थी तभी राघवेंद्र जी ने चाय की ट्रे थामें कमरे में प्रवेष किया और सुगंधा के चेहरे के सामने चुटकी बजाते हुये बोले......

"कहाँ खो गई मैडम? इस धुंधली तस्वीर को देखकर कहीं तुम्हें फिर से मेरा डरा हुआ रूप तो यादों में ताजा नहीं हो गया? अगर हां तो मैं फिर से बता देता हूँ, मैं उस समय डर नहीं रहा था बल्कि डरने की एक्टिंग कर रहा था ताकि सभी को लगे कि लड़का कितना सीधा है।"


"हा,हा,हा,हा झूठे...उस समय तुम बिल्कुल सूखे पत्ते की तरह काँप रहे थे।और हाथ तो बर्फ से भी ठंडे थे। अगर मैं आगे बढ़कर थाम न लेती तो शायद तुम बेहोश ही हो जाते। और फिर जो ये तस्वीर जो हमें इतने सालों से खुशी दे रही है ये खिच ही नहीं पाती"


सुगंधा ने हँसते हुये कहा तो राघवेंद्र ने उसे अपनी बाहों के घेरे में लेते हुये कहा...."क्या करता सुग्गु तुम उस समय इतनी सुंदर लग रहीं थी कि जब फोटो वाले ने तुम्हारा हाथ पकड़ने को कहा तो में डर गया। क्योंकि इतनी सुंदर लड़की को तो मैने सपने में भी नहीं देखा था और तुमतो साक्षात मेरे सामने थी। "


"तो अब जो आप मुझे यूँ अपनी बाहों में जकड़े खड़े हो क्या अब आपको मुझसे डर नहीं लग रहा"!


सुगंधा जी ने मुस्कराते हुये कहा तो राघवेंद्र जी ने बड़े ही विश्वास के साथ कहा..."नहीं"


तो सुगंधा जी ने नाराजगी दिखाते हुये चेहरे पर उदसी लाते हुये कहा..." मतलब अब में सुंदर नहीं हूँ?


"नहीं मैने ऐसा कब कहा" राघवेंद्र ने घबराते हुये कहा।


"तुम्ही ने तो कहा कि अब तुम्हें मुझसे डर नहीं लग रहा। "

"हाँ...पर????


राघवेंद्र को अपनी बातों में उलझा देखकर सुगंधा जी खिलखिला कर हँस दी। अपनी पत्नी को हँसता देखकर राघवेंद्र जी के घबराये चेहरे पर शैतानी के भाव उभरे और उन्होंने सुगंधा जी के गालों को चूम लिया।


आज फिर सुगंधा जी के चेहरे पर उसदिन की तरह ही गुलाबी रंगत छा गई। और राघवेंद्र जी उनके कानों में फुसफुसाए....


" तुम तो अब पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई हो"सुगंधा जी ने शरमा कर अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से ढक लिया।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance