खुला आसमान
खुला आसमान
आज किशोर बैठे-बैठे अपने अतीत को याद कर रहा था।
उसे तो पता भी नहीं कि उसके पिता ने कब उसे थोड़े से पैसों में उस बेरहम मालिक के हवाले कर दिया था जो अपने घर नौकर बना कर ले गया।
वहां तो बड़े-बड़े वादे करे होंगे शहर में इसको अच्छा पढ़ाऊंगा अच्छा इंसान बनाऊगा।
मगर हकीकत में उसको बहुत गंदा रखता था बहुत बेरहमी से मारता पीटता और घर के और बाहर के सारे काम करवाता।
मगर एक काम अच्छा कर रखा था कि उसका सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दिया था।
वह भी लोकलाज से करा होगा क्योंकि सोसाइटी में उसकी इज्जत थी।
किसी को पता नहीं था उसका व्यवहार अपने नौकर के प्रति कैसा है। लोगों को तो वह यही कहता था कि यह गांव में मेरा रिश्तेदार है और मैं इसे पढ़ाने शहर लाया हूं ।
उसके मालिक का भी एक बेटा था वह भी उससे अच्छा व्यवहार नहीं करता था ।
मगर फिर भी इतना बुरा नहीं था कभी-कभी इसके साथ दोस्ताना व्यवहार भी कर लेता था।
इसी तरह समय बीतता जा रहा था वह आठवीं में आया होगा।
एक दिन उसने अपने मालिक से कुछ पैसे मांगे तो मालिक ने उसको जूतों से पीटा, और बोला तेरे पिता को बहुत सारे रुपए देकर तेरे कोयहां लाया हूं।
तू भूल जा कि तेरे को मैं पैसे दूंगा तुझे पैसे बिना वैसे ही यहां काम करना है। और थोड़ी पढ़ाई करना है और रहना है।
उस दिन उसको बहुत बुरा लगा उसने उसके लड़के से बात करनी चाहिए अगर लड़के ने भी उसको फटकार दिया।
उसने कुछ निश्चय किया उसके सपने बड़े-बड़े थे।
उसने सोचा एक बार मैं यहां से निकल जाऊं तो खुला आसमान है।
कहीं पर भी आसरा ले लूंगा और अपनी पढ़ाई पूरी करूंगा।
किसी के यहां भी काम कर लूंगा कम से कम ऐसा तो नहीं होगा,
जैसा यह इंसान है ।
और रात को चुपचाप सब कपड़े समेट कर अपने सामान ले वहां से निकल लिया ।
खुले आसमान के नीचे रात बिताई। सुबह जब वह उठा तो बेंच पर उसके पास में कोई बुजुर्ग बैठे थे ।
उन्होंने उसको प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और उससे पूछा तो उसने अपनी रामकहानी उनको सुनाई। उन्होंने बोला अगर तू यहां रहेगा तो तेरा मालिक वापस तेरे को ढूंढ लेगा, और वापस वही अत्याचार करेगा।
मैं तेरे को पैसे देता हूं तो यहां से कहीं दूर चला जा और अपनी पढ़ाई चालू कर काम कर।
उसको तो मानो एक फरिश्ता मिला। जिन्होंने उसको खुले आसमान का सपना दिखा दिया और उसके सपने में पूरे करने में मदद करी वह खुशी से झूम उठा और उसने उनको बहुत ही धन्यवाद दिया और उनका बहुत आदर से उनसे बात की उनसे पैसे लिए और बोला मैं जब भी कुछ बन जाऊंगा तो जरूर आपके पास आऊंगा।
और वह वहां से जिस ट्रेन में बैठा वह नागपुर जा रही थी ।
वह भी नागपुर चला गया।
वहां जाकर किसी होटल में काम करा होटल मालिक अच्छा था।
उसने उसको रहने और पढ़ने में मदद करी।
और आज वह इस स्थिति में है अच्छी पढ़ाई पूरी करके और नौकरी की तलाश में और नौकरी भी मिल गई। और साथ में वह अपने होटल मालिक के वहां काम भी करने लगा अकाउंट संभालने लगा।
अगर उसने हिम्मत नहीं करी होती खुले आसमान को ढूंढने की अपने सपने पूरे करने की तो वह आज भी बंधुआ मजदूर के जैसे अपने मालिक के घर काम कर रहा होता।
जो मालिक कम और शैतान ज्यादा था ।यह सोच सोच कर के एक बार को पसीना आ गया वापस ठंडा हुआ विचारों में कि मैंने बहुत अच्छा किया जो मैं वहां से निकल गया और किस्मत अच्छी थी जो मेरे को अच्छे लोग मिल गए इन्होंने मेरे को इस खुले आसमान में उड़ने में मदद करी अब मुझे उन बुजुर्ग इंसान से भी मिलना चाहिए और उनको बताना चाहिए कि उनकी मदद मेरे कितने काम आए यह सोच कर वह खुश हो जाता है खुले आसमान में उसके सपनों के साथ में उड़ रहा है सच में कहते हैं ना
हिम्मत ए मदद
मदद ए खुदा।
यह बुजुर्ग इंसान तो मेरे लिए खुदा के समान ही थे अब मैं उनसे जरूर मिलूंगा प्रारब्ध और पुरुषार्थ
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती।
