ख़ामोश इबारत
ख़ामोश इबारत
उसके दिमाग में कल शाम से ही अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट सायं सायं कर रही थी।दिल कुछ कह रहा था और दिमाग कुछ।
क्या कहे दिल? क्या करे दिल? उसकी उलझन बढ़ते ही जा रही थी।हॉस्पिटल जाते हुए उसने बड़े बड़े अक्षरों में दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ा था।"बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ"
कभी कभी जिंदगी भी अजीब खेल दिखाती है।जिंदगी देनेवाली माँ आज एक जिंदगी ख़त्म करके लौट रही थी।
दीवार पर लिखी इबारत जैसे उसका पीछा कर रही थी और वह चले जा रही थी बिल्कुल खामोश और बेआवाज ...