कहानी का शीर्षक राधा कृष्ण
कहानी का शीर्षक राधा कृष्ण
राधा :/ मेरी जिंदगी हो तुम कान्हा मेरा समर्पण हो तुम कान्हा मेरी जिंदगी का दर्पण भी हो तुम कान्हा मेरे प्रेम का हर पल हर इक क्षण हो तुम कान्हा
कृष्ण:/ मेरी बासुंरी की धुन हो तुम राधे मेरी जिंदगी की जीत हो तुम राधे मेरी हर सुबह मेरी हर शाम हो तुम राधे मेरे रोम रोम में बसही हो तुम राधे।
राधा:/ त्रेता हो तुम हर युग हो तुम तुमसे मेरी जीत हैं, कान्हा तुमसे मेरी प्रीत हैं, तेरी बाँसुरी की धुन में दौड़ी चली आऊँ कान्हा द्वापर हो तुम कान्हा।
कृष्ण:/ मेरे जीवन की डोर हो तुम राधा प्यारी मेरी रोम रोम में बसी तेरी छवि राधिका न्यारी हर युग हर रूप में मेरे तू बसी राधा हर पल हर भेस में तू राधा।
राधा:/ मेरे शब्दों का अर्थ हो तुम कान्हा मेरे शब्दों का सामर्थ हो तुम कान्हा मेरे प्रेम की जीत हो तुम कान्हा मेरे व्याकुल मन मे आकुल बसे हो तुम कान्हा।
