सब पूछते रहते हैं
सब पूछते रहते हैं
सब पूछते रहते हैं,
मुझसे मेरी दीदी
कितनी है....
मैं सबसे कहता हूँ मुझे खुद नहीं पता
मेरी दीदियाँ कितनी है....
सब बोलते हैं गुस्से में "हार्दिक"
और कितनी दीदी बनायेगा....
उम्र बढ़ते जा रही हैं....
और तुझे बस दीदी बनाने की पड़ी हैं......
शादी के लायक हों गया गधे
तेरे लिए अब लड़की देखने जाना हैं.......
वहाँ भी शादी को छोड़ दीदी बनायेगा क्या.?
"हार्दिक" अरे .... मुझें शादी नहीं करनी
जब तक मुझ जैसी कोई मुझें
मिल नहीं जाती. ....
ओह.... अच्छा तो फिर क्या ज़िन्दगी भर
कुँवारा रहेगा ..... "हार्दिक"
"हाँ"..... मन तो यही कहता हैं....
सारी उम्र कुँवारा रहूँ .....
लाखों दीदियाँ भी बन जाये तो क्या.....???
बस अपनी ज़िंदगी को ऐसे ही दीदियों के साथ मैं
हँसतें मुस्कुराते निकालूं .....
चाहे मुझें शादी करनी ना पड़े.....
नेकी औऱ पूछ पूछ....?
जब देखों जब मुजोरी करता हैं.....
सारी जिंदगी कुँवारा बैठेगा क्या.....?
अरे....कुछ तो सोच भविष्य में अपना तू .....
"हार्दिक" जब तक साधारण सुंदर सुशील कन्या नहीं मिल
जाती तब तक "हां".....
मैं शादी ही ना करूँ......
