रिश्तों की हकीकत
रिश्तों की हकीकत
"मैं जानता हूं रिश्ता कैसा होता है, कैसे रिश्तों को निभाया जाता है, कुछ पल जीवन के रिश्तों के साथ घुलमिलकर रहा जाता हैं,
रिश्ते प्रेम, भाव, और दया से पहचाने जाते हैं".!
"कुछ रिश्ते मतलबी होते है, जो हमेशा रिश्तों को नकार देते हैं, जब जरूरत पड़े रिश्तों की तो धिक्कार देते हैं".!
"आजकल रिश्ते ही रिश्तों को खोखला करते है, सच पूछो तो अब रिश्ते ही रिश्तों को धुंधला करते है" कुछ कलम अधूरी होती है जिन्हें पूरा जीवन भी उकेर दें तो बस एक यही वजह होती हैं"..,,
हां रिश्तों की अहमियत रिश्तों से ना तो वो तोली जाती है,और ना वो किसी रिश्तों से जोड़ी जाती है...,,
आज कल के रिश्तों की हकीकत कहते है अपने रिश्ते अपने होकर भी हमारे पास पैसा नहीं लेकिन सच कहूं तो रिश्तेदारों में दिल ही नहीं हैं..,,
ईर्ष्या, भाव ,और त्याग
वही रिश्ते रिश्तों से ईर्ष्या करते है, जिन रिश्तों को बस अपनी दौलत से प्यार और पैसों से घमंड होता है, असल में रिश्ता तो वो होता है, जिन रिश्तों को हमेशा एक दूसरे के साथ सुख दुःख में निभाना आता हैं,,
"रिश्तों का भाव रिश्तों पर ही निर्भर करता है,जो रिश्ते जीवन में हमेशा काम आते है, और हमेशा साथ निभाते है, भाव और रिश्ता कभी किसी से मेल नहीं खाता हैं...,,"!
उन रिश्तों का त्याग कर देना अच्छा है, जो रिश्ते बस नाम के हो और मतलबी, घमंडी, पैसों के भूखे, और लालची हो..!
जिन रिश्तों में साहस नही उन रिश्तों का कभी कोई मोल नहीं, चाहे फिर वो अपना सगा रिश्ता ही क्यूं ना हो..!
रिश्तों की अहमियत रिश्तों से ही पता चलती है, आज रिश्ता सगा है, तो कल रिश्ता पराया है, रिश्ते परिवार में कुटुम्ब चाहे कितना भी बड़ा हो निजी जीवन में कभी वो कुटुम्ब बड़ा नही जिस कुटुम्ब से कुटुम्ब का टूट कर बिखर जाना हो.!
