कच्ची उम्र का प्यार (भाग-16)
कच्ची उम्र का प्यार (भाग-16)
घर आने के बाद मैंने जल्दी से कपड़े चेंज कर आरामदायक कपड़ों में बेड पर बैठकर लेटर को खोलने से पहले किस किया और खोलकर पढ़ना शुरू किया...
"सच बताऊँ हमें उम्मीद थी कि आप कभी न कभी जरूर मिलोगे और मैं इंतजार भी करती थी। जब भी मैं कभी रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन पर होती या कभी एग्जाम देने जाती तो यही सोचती की आप मिल जाओ। और उस दिन आपको एग्जाम हाल में देखकर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। ऐसा लगा मेरी जिंदगी जिसमें घोर अंधेरा छा गया है आप एक उम्मीद की किरण हो। पता नहीं आप क्या सोचेंगे लेकिन सच बताऊँ तो मेरे दिल में आपकी अभी भी वही जगह है जो पहले थी। अब मैं आपसे दूर होने के बाद की अपनी सारी कहानी आपको बताती हूं।
उस दिन आपके रुम से घर जाने के बाद भैया ने घर में काफी बेइज़्ज़ती की। मेरा मोबाइल हमसे ले लिया गया और कोचिंग/कॉलेज जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई। आप तो जानते ही है मैं पढ़ाई में कितनी कमजोर थी, ऊपर से कॉलेज और कोचिंग छूट गया और आपसे दूर भी हो गई और पढ़ाई से मेरा मन बिल्कुल हट गया। मैं कैसे जी रही थी मुझे ही पता है...बहुत मुश्किल था..फाइनल एग्जाम तो मैंने दिया लेकिन कोर्स पूरा ना कर पाने के कारण मैं फेल हो गई। वहां दुबारा एडमिशन भी नहीं हो पाया क्योंकि पापा का ट्रांसफर उत्तराखंड में हो गया और सब वही शिफ्ट हो गए। उत्तराखंड से ही मैंने इंटरमीडिएट किया और ग्रेजुएशन में एडमिशन ली। सबको मेरे शादी की जल्दी थी और ग्रेजुएशन प्रथम वर्ष में ही बिना मुझसे पूछे मेरी शादी तय कर दी गई हालांकि अब मेरा ग्रेजुएशन पूरा हो चुका है। इन कठिन वर्षों में ना तो मेरे पास आप थे, ना मोबाइल था ना कोई दोस्त था। अपनी शादी में मैं अपने दोस्तों को भी ना बुला सकी। शादी के बाद कुछ दिन इनके गांव रहकर मैं वाराणसी आ गई। मैं इतनी जल्दी शादी के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और ना ही मैं इनको एक्सेप्ट कर पा रही थी। फिर भी मैं अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। अपने इन हालातों से मैं पहले ही बहुत परेशान थी फिर भी मैं खुद से समझौता कर चुकी थी कि यही मेरी जिंदगी है। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी परेशानी असीम हो गई। एक दिन मेरा मोबाइल स्विच ऑफ था और मेरे पापा का इनके मोबाइल पर कॉल आया। मैं कभी इनका मोबाइल प्रयोग नहीं करती थी। ना ही मैं उनके मोबाइल पे उतना ध्यान देती थी। लेकिन उस दिन उनके मोबाइल से पापा से बात करने के दौरान व्हाट्सप्प पे लगातार नोटिफिकेशन्स आ रहे थे, शायद गलती से वे डेटा ऑफ करना भूल गए थे। काल के दौरान उनका ध्यान मोबाइल पे था कि जल्दी से बात खत्म हो और वो मोबाइल ले ले। मुझे कुछ शक हुआ और मैंने बहाना बनाया की आवाज प्रॉपर नहीं आ रही, छत पे जाके बात करती हूँ। छत पे जाकर मैंने वो नोटिफिकेशन चेक किया।
मैं हिल गई। मेरी लाइफ तो पहले से ही नर्क बनी हुई थी... और अब इनके मोबाइल में किसी लड़की के न्यूड फोटोज, गंदे चैट्स, और उससे इनकी प्यार भरी बातों ने मुझे झकझोर के रख दिया। चैट से पता चला कि ये दोनों अक्सर मिलते भी है और वो सब करते है जो बेहद आपत्तिजनक था। मैं चैट पढ़ रही थी और मेरा शरीर कांप रहा था। जैसे तैसे खुद को संभालते हुए मैं नीचे आई और कांपते होंठों से मैंने इनसे पूछा ये सब क्या है?.... ये सब के सब बाद भी उनके चेहरे पर शिकन नाम की कोई चीज़ नहीं थी। मोबाइल छीन कर ले लिए और कड़क शब्दों में बोले...
"ज्यादा दिमाग मत लगाओ बाद में बात करेंगे इस मुद्दे पर अभी ऑफिस जा रहे है"
ये सब देखकर और उनकी बातें सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मेरी आँखों के सामने पूरा अंधेरा था। उनके ऑफिस जाने के बाद मेरे दिमाग में बस एक ही ख़्याल आ रहा था कि अब इन दुनिया में जीने का कोई मतलब नहीं। और मैंने जहर खाने का फैसला कर लिया लेकिन अभी भी दिल के किसी कोने में आपको छुपा कर रखी थी। इस दुनिया से अंतिम विदाई से पहले मैं अपनी दुनिया के सबसे हसीन शख्स से यानी आपसे एक दफ़ा रुबरु होना चाहती थी। मैं आपके प्रेम पत्रों को संभाल कर एक बैग में रखी थी। पत्रों को मैंने अखबार के एक पेपर में लपेट कर रखा था। एक पत्र को निकाल पर मैंने सबसे पहले उसे किस किया और पढ़ना शुरू किया। उस पत्र को पढ़कर मेरी अश्
रुधारा और तेज हो गई। हम दोनों का असीम प्रेम, असीम खुशी के बाद ये दुर्दिन मेरे जिंदगी में क्यों आ गए। मेरी आखिरी तमन्ना आपकी बांहों में दम तोड़ने की थी लेकिन वो पूरा होता कहीं कहीं दूर तक नहीं दिख रहा था। पढ़ने के बाद जब मैं पत्र को उसी अखबार के पन्ने में लपेट रही थी, तभी मेरी नजर उस अखबार की एक हेडिंग पर गई जिस पर लिखा था....'आरती ने किया जिले का नाम रोशन'...हेडिंग पढ़ने के बाद मैंने उस न्यूज़ को पढ़ना शुरू किया। दरअसल उस न्यूज़ में एक दूसरी आरती की प्रेरक कहानी थी जो शादी के बाद पति और ससुराल वालों के दुर्व्यवहार, मारपीट, दहेज प्रताड़ना से पीड़ित थी। पेट में पल रहे गर्भ के बावजूद उसे तलाक भी दे दिया गया। इन सब के बाद भी उसने एक कार्य कर दिखाया जो सबके लिए मिसाल बन गया। इतने कठिन दिनों के समय उसने कुछ ऐसा करने का फैसला लिया जो उसे खुद सुकून दे सके और वो सबके लिए प्रेरणा बन सके। तलाक और पेट में 4 महीने का भ्रूण होने के बाद भी उसने अपने पिता के घर पर ही यू०पी०एस०सी० की तैयारी करने का फैसला लिया। शुरुआत में गज़ब का संघर्ष था। बच्चा होने के बाद उसकी देख रेख और घर का सारा काम करने के बाद भी उसने अपनी पढ़ाई को ब्रेक नहीं दिया।
तैयारी में लगभग दो वर्ष का समय लगा। और आखिर उसने यू०पी०एस०सी० क्वालीफाई ही नहीं किया बल्कि महिलाओं में तीसरा रैंक भी प्राप्त किया। उस आरती के संघर्ष की कहानी पढ़कर मेरे सोचने का तरीका बदल गया। मैंने सोचा एक आरती जो हमसे कहीं 100गुना ज़्यादा बुरी स्थिति में थी, फिर भी उसने हिम्मत नही हारा और संघर्ष की एक बेहतरीन मिसाल पेश की। और एक मैं जो संघर्ष से भाग रही हूं। नाम एक ही है दोनों का लेकिन काम में मैं इतना पीछे क्यों??...उस कहानी को पढ़ने के बाद मैंने खुदकुशी का विचार त्याग दिया।
अब मैंने संघर्ष करने का फैसला लिया। मैंने सोच लिया कि अब मुझे भी यू०पी०एस०सी० की तैयारी करनी है और मुझे विजय से तलाक भी लेनी है। लेकिन मैंने दिमाग से काम लिया। मैं तलाक लेकर पापा पर आर्थिक बोझ नहीं बनना चाहती हूं इसीलिए ये सब बातें मैंने अभी घर पर नहीं बताई है। मैंने सोच लिया कि आई०ए०एस०बनने के बाद विजय को तलाक दूंगी। इस बीच मैंने समझदारी से काम लेना उचित समझा। मैंने फिर उनसे कुछ बात नहीं की। कुछ दिनों बाद मैंने उनसे कहा आप जो भी कर रहे है अगर आप सच में उन्हें प्यार करते है तो करिये बस मुझे एक सपोर्ट कर दीजिए। मुझे पढ़ना है और पढ़ाई में मुझे कोई एतराज नहीं चाहिए। हम दोनों के बीच एक डील तय हुआ कि मैं उन्हें रोकूँ टोकूँगी नहीं जिसके एवज में वो हमें पढ़ने से मना नहीं करेंगे।
उसके बाद जब भी वो मेरे बदन को छूते थे मुझे अजीब सा डर लगता था। मैं इन सब से जल्दी से निजात पाना चाहती हूं। ये सब के बाद मैंने पूरी एहतियात बरती है ताकि मैं गर्भवती ना हो पाउ क्योंकि आई०एस०एस० बनने के पहले मैं कोई बच्चा नहीं चाहती और खासकर उस व्यक्ति का अंश अपने कोख में बिल्कुल नहीं पालना चाहती जिसे मैं प्यार नहीं करती। इस मामले में ईश्वर अभी तक मेरे साथ है लेकिन कोई भरोसा नहीं कब क्या हो क्योंकि वो अक्सर रात में वो पी कर आते है और ऐसे में खुद को बचा पाना बेहद मुश्किल है। मैं संघर्ष कर रही हूं लेकिन बीच बीच में टूट जाती हूं। आपकी सख्त जरूरत मुझे महसूस होती है। आपको बहुत मिस करती हूँ। आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। और ये जानकर और भी अच्छा लगा कि आप भी वाराणसी में रहते है और यू०पी०एस०सी० की भी तैयारी करते है। ईश्वर से प्रार्थना करूंगी की हम दोनों का चयन हो जाये। एक और बात मैं उस मामले थोड़ी स्वार्थी बन रही हूं। पता नही मुझे कहना चाहिए या नहीं लेकिन मैं कह देना चाहती हूँ... मैं तो शादी शुदा हूँ। आप हमसे कही बेहतर डिज़र्व करते है और आपको हमसे कई दूना बेहतर मिलेगी भी फिर भी मैं अभी भी आपको पाना चाहती हूं। ये ऐसा ख्वाब है जो पूरा नहीं कर सकती फिर भी आपको बता रही हूं। प्री निकलने के आसार लग रहे है और अब वर्तमान में मुझे आपका साथ चाहिए ताकि मैं यू०पी०एस०सी० की आगे की तैयारी में टूट ना जाऊँ। फ्री समय में दोपहर के समय आप काल करियेगा। 9792XXX555
........ आरती "
(.......शेष कहानी अगले भाग)