PANKAJ GUPTA

Romance

4.2  

PANKAJ GUPTA

Romance

कच्ची उम्र का प्यार (भाग-17)

कच्ची उम्र का प्यार (भाग-17)

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आरती की ऐसी कहानी पढ़कर दिल का बेहद दुःखी होना एवम आँखों मे नमी आना स्वाभाविक था। लेकिन उस पत्र ने मेरा एक असमंजस दूर कर दिया। अब आरती के करीब जाना, उससे बाते करना बिल्कुल गलत नही था। उसे मेरी जरूरत थी और शायद मुझे भी उसकी और सबसे बड़ी बात हमदोनो एक दूसरे को अभी भी काफी हद तक चाहते थे। अब मेरा कर्तव्य था आरती का भरपूर साथ देने की ताकि वो इस जंजाल से बाहर निकल सके और फिर से खुश रह सके। अब मैंने इसके लिए तरीके सोचने शुरू किए। माथे पर काफी जोर दिया। उस रात सोया नही..पूरा समय सोच विचार में व्यतीत किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि आरती ने जो सोचा है बिल्कुल सही है लेकिन आई०ए०एस० बनने तक इस तरह विजय को झेलना हमें उचित नही लगा क्योंकि ये आरती के लिए बिल्कुल सही नही था। मैंने सोचा तलाक जितना जल्द हो सही है और तलाक प्रॉसेस अभी से शुरू होना चाहिए। तलाक प्रॉसेस के दौरान आरती अपने पापा के घर रह कर भी अपनी तैयारी जारी रख सकती है। मैंने यहां तक सोच लिया कि तलाक बाद हम दोनों के पैरेंट्स राजी हुए तो हम दोनों सदा के लिए एक बंधन में बंध जायेंगे और इसके लिए भरपूर कोशिश करेंगे और इस बीच अपनी पढ़ाई भी जारी रखेंगे। मैंने अगले दोपहर ऑफिस से बाहर निकलकर पार्क में बैठ कर आरती को काल किया और अपनी बातों एवम सोच से अवगत कराया। आरती काफी खुश हुई उसे मेरा आईडिया ज्यादा सही लगा लेकिन ये सब चीज़े आसान नहीं थी, बेहद मुश्किल था। तलाक के लिए सबसे जरूरी आरती के पैरेंट्स को कनविंस करना था और दूसरी सबसे जरूरी चीज़ विजय को गलत ठहराना था जिसको आधार बनाकर कोर्ट आरती के तलाक का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर सके।


यानी अब जो जरूरी चीज था वो था सबूत जुटाना। हम दोनों इस निर्णय पर पहुँच चुके थे कि अब तलाक प्रॉसेस शुरू करना है। मैंने विजय के अवैध संबंध के सबूत जुटाने के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया और कुछ दिनों की मेहनत के बाद आखिर मुझे सफलता मिल ही गई और अब मेरे पास विजय के अवैध संबंध के कई सारे सबूत हो गए। 


कुछ दिनों में आरती अपने पैरेंट्स के पास गई और उन्हें अपनी पूरी आपबीती सुनाई। आपबीती सुनकर घर का माहौल गमगीन हो गया उसने पुख्ता सबूत भी दिखाए। कुछ दिनों के आपसी विचार के बाद आरती के मम्मी, पापा, और भाई सब तलाक की बात पर राजी हो गए। अब विजय से आरती के पापा ने बात की। काफी हॉट टॉक हुए और आरती के पापा ने आरती को विजय के पास भेजने के लिए साफ साफ मना कर दिए। मामला गंभीर हो गया। दोनों पक्षों में काफी कहा सुनी हुई और तलाक के लिए मामला कोर्ट में चला गया। विजय आरती से तलाक नही चाहता था लेकिन सबूतों के आधार पर कोर्ट ने विजय के अवैध संबंध को आधार मानते हुए आरती के तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया। वह दिन हमदोनो के लिए ऐतिहासिक था। 

उस दिन आरती के तलाक की अर्जी मंजूर हो गई और प्री का रिजल्ट भी आया जिसमे हमदोनो पास थे। 

विजय को पता चला कि उसकी शादी तोड़ने में मैंने अहम भूमिका निभाई है और वो मेरा शत्रु बन गया लेकिन मैंने उसकी परवाह नही की।आरती से व्हाट्सप्प पे ज्यादा बात होती थी, काल पे कम क्योंकि उसके घर पे सब होते थे बात करना मुश्किल होता था।


अब जो सबसे जरूरी था वह था हमदोनो की शादी।

हमदोनो ने हिम्मत करके अपने अपने पेरेंट्स को मनाने की कोशिश की। लेकिन अब तक के संघर्ष की कहानी में यह काम सबसे ज्यादा कठिन था। कुछ दिनों की जहोंजहद के बाद आरती के पैरेंट्स तो मान गए लेकिन मेरे पैरेंट्स बिल्कुल भी राजी नही थे। वे इस बात पे अड़े थे कि मेरी शादी किसी तलाकशुदा लड़की से बिल्कुल भी नही हो सकती। लेकिन मेरे पास कोई ऑप्शन नही था मैं बीच रास्ते मे आरती को इस तरह नही छोड़ सकता था। मैंने उसे भरोसा दिलाया कुछ समय लग रहा है लेकिन मैं पैरेंट्स को मना लूंगा। मैंने उसे मेंस पर फ़ोकस करने को कहा। इस जहोंजहद के बीच मैंने मेंस की अपनी पढ़ाई जारी रखी। दोनों ने यू०पी०एस०सी०(मेंस) का एग्जाम दिया। मेंस के एग्जाम के बाद मैंने हार नही मानी और अपने मम्मी-पापा को मानने की कोशिशो को और भी तेज कर दिया। काफी जहोंजहद हुई। लेकिन अंत भला तो सब भला। आखिर मम्मी पापा मान गए। आरती को बताए तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। दोनों पक्ष के पैरेंट्स एक दूसरे से मिले और हम दोनों की खुशी के लिए सहमत हो गए। शादी की डेट निश्चित हो गई। हम दोनों रोज शादी के बाद के सपने देखने लगे। शादी का दिन नजदीक आने लगा। दोनों पक्ष शादी की तैयारियों में लग गए। शादी का दिन भी आ गया। लखनऊ के एक होटल में शादी सम्पन्न होनी थी। उस दिन शादी के सुर्ख़ लाल जोड़े में आरती की सुंदरता शादी के उस खूबसूरत माहौल में चार चाँद लगा रही थी। सब हमदोनों के जोड़ी की तारीफ कर रहे थे। शादी सकुशल और बेहद सुंदर तरीके से सम्पन्न हुई। नई बहू का मेरे घर मे स्वागत घर के रीति रिवाजों से सम्पन्न हुआ। शादी के बाद की पहली रात हम दोंनो ने बातो में गुजार दी। एक दूजे को इतने करीब पाकर इतने वर्षों की अनकही सारी बाते एक दूजे की शेयर की गई। 

अगले दो दिन बाद हम दोनों हनीमून के लिए जो पहले से ही नियोजित था, मसूरी गए। मसूरी की खूबसूरत वादियों में पहुँचकर हमने पहले से बुक होटल में एंट्री ली। हम करीब सुबह 8:00 बजे मसूरी पहुच चुके थे। कुछ देर आराम कर हमने मसूरी के खूबसूरत वादियों की सैर की और खूब एन्जॉय किये। पूरे दिन की मस्ती के बाद रात्रि का खाना खा कर हम दोनों 9:30 बजे रात्रि में होटल वापस लौटे। होटल रुम में प्रवेश करने के बाद रुम का नज़ारा ही बदल चुका था। हल्की ब्लू लाइट, गुलाब की पंखुड़ियों से सजा बेड, लाइट और धीमी आवाज में गूंजता संगीत और विभिन्न प्रकार के खूबसूरत चीज़ों से सजा कमरा मुझे मदहोश कर रहा था। हमने आरती ने कोई सवाल नही किया क्योंकि हमें समझते देर नही लगी कि ये सब आरती का प्लान है। मैं बाथरूम गया कपड़े चेंज किये और बेड पर आकर बैठ गया। अब बाथरूम जाने की बारे आरती की थी, उसने काफी इंतजार कराया। करीब 25 मिनट के इंतजार के बाद आरती बाथरूम से निकली, मेरे होश उड़ गए। माहौल तो पहले से ही बना था, ऊपर से आरती का हॉट नाईट ड्रेस, जो की रेड कलर का था, आरती के खूबसूरत जिम्र पर ठीक वैसे ही जच रहा था जैसे सायं के समय समुंदर के उस पार सूर्य की लालिमा दिखती है।

आरती का शार्ट ड्रेस कट बाजू का एवम लंबाई नी से ऊपर था। आरती के गोरे बदन और फिश शेप जैसी काया पर वह रेड ड्रेस,ऊपर से आरती की कातिल मुस्कान उस रोमांटिक माहौल में आग में घी डालने का कार्य कर रहे थे। मेरा बेसब्र होना जायज था लेकिन शादी के बाद का यह पहला रोमांचित पल मैं भी यादगार बनाना चाहता था। आरती ने जैसे ही धीरे धीरे क़दमो से मेरी तरफ आना शुरू किया, मेरी धड़कने तेज होने लगी। मैंने आरती का हाथ पकड़कर उसका स्वागत किया। आरती को बिना बेड पे बिठाए मैंने प्यार की शुरुआत कर दी। प्यार की शुरुआत आरती के हाथों पर चुम्बन से शुरू हुई। हम दोनों खड़े थे। हाथों पे चुम्बन के बाद मेरे अधर आरती के फोरहेड पे गए। फिर बारी आई आरती के नम्र गुलाबी रुखसारो की। उसके बाद हम दोनों की आँखें बंद थी। हम दोनों के अधर एक दूजे के अधरों का रसपान कर रहे थे। आरती के अधर किसी नम्र गुलाबजामुन से कम नही थे। इस किस के दौरान हमदोनो एक दूजे की गर्म साँसों को अच्छे से फील कर सकते थे। इतना सब होने के बाद कुछ ज्यादा होना अब कहा रुकने वाला था। आरती के ग्रीवा पर चुम्बन से आरती को होने वाली मदहोशी मुझे और पागल किये जा रही थी। मेरे हाथ आरती के बदन के रोमांचित हो उठे रोम रोम को छू रहे थे। एक दूजे में इस कदर समाहित हो गए कि पता ही नही चला कि कब ऊपरी बदन से कपड़े उतर गए और हमदोनो टॉपलेस हो गए। बिना कपड़ों में एक दूजे का आलिंगन, एक दूजे का प्यार भरा टच, एक दूजे के बदन पर अधरों का कोमल स्पर्श एक गज़ब का स्पेशल अनुभव था। इस असीम प्यार के दौरान अब हम दोनों गुलाबी बेड पर थे। गुलाब की सुगंध और आरती के बदन की खुश्बू दोनों मिलकर मुझे पागल कर रही थी। हम दोनों ने एक दूजे को बहुत प्यार किया। एक दूजे में इस क़दर डूबे मानो हमारा आखिरी दिन हो।


"कुछ इस क़दर उलझे हमदोनो

 एक दूजे से गोया

वक्त की सारी परेशानियां खुद-ब-खुद

सुलझती चली गई"


प्यार के पहले धड़कनो की जो रफ्तार थी प्यार के बाद और बढ़ गई। उस ठंड के माहौल में भी दोनों के बदन पसीने से लतपथ थे। फिर हमदोनो एक दूजे की बाहों में सुकून की नींद सो गए।

सुबह उठने में हमे 10 बजे गए लेकिन उठते ही आरती के चेहरे पर मेरी नजर गई जो सोफे पे बैठ कर अखबार पढ़ रही थी। आज आरती के चेहरे पर गजब का निखार था। आखों में थोड़ी शर्म और अधरों पर मनमोहक मुस्कान ने मेरे सुबह को भी रात की तरह यादगार बना दिया। 

उस दिन भी हम दोनों मसूरी, शिमला की बाकी जगहों पर घूमने गए। एक हफ़्ते के यादगार टूर के बाद हमदोनो वाराणसी आ गए।अब हमदोनों बेहद खुश थी। साथ पढ़ते साथ खाते साथ सोते और हां झगड़ा भी खूब करते है। हमदोनो के मिलन की आरजू पूरी हो चुकी है अब बस एक ही सपना है दोनों का आई०ए०एस० बनना। अब इंतजार है मेंस के रिजल्ट का। उम्मीद है दोनों का ये वाला सपना भी पूरा होगा। 


तो यही है आरती और अमित की कहानी। जिसकी शुरुआत कच्ची उम्र से शुरू हुई और एक दूजे को पाने की आरजू नौजवानी में पूरी हुई। इस सफर में दोनों ने काफी संघर्ष भी किये लेकिन अंत भला तो सब भला।



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