कच्ची उम्र का प्यार (भाग-13)
कच्ची उम्र का प्यार (भाग-13)
आरती की सहेली स्वाति भी कुछ दिनों तक कोचिंग नही आई। लेकिन जब हफ़्तों के बाद कोचिंग मे स्वाति के दर्शन हुए तो उससे पता चला जोंटी ने आरती से कॉलेज ही छुड़वा दिया है..मोबाइल भी नही है आरती के पास...और जोंटी ने घर मे आरती की काफी इन्सल्ट भी की है।
मैंने स्वाति से कहा
"क्या तुम आरती से बात कर सकती हो"
स्वाति- "नही सर...पता चल जायेगा जोंटी को तो मेरा भी कॉलेज और कोचिंग दोनो छूट जायेगा..जोंटी ने मुझे भी मना किया है आरती से मिलने के लिए"
स्वाति की बाते सुनकर मेरी परेशानियाँ और भी बढ़ गई।
फिर एक दिन पता चला आरती के पापा की पोस्टिंग उत्तराखंड मे हो चुकी है और आरती सहित घर के पूरे सदस्य वही शिफ़्ट हो चुके है।
उस घटना के 5 महीने बीत गये। मैं हर रोज इंतजार करता था की आज आरती का काल आयेगा लेकिन हर दिन निराशा हाथ लगती थी...जब भी किसी अनजान नम्बर से कॉल आता मैं जल्दी से उठाता था लेकिन जब पता चलता था की ये आरती का काल न होकर किसी और है..तो मोबाइल पटकने का मन करता था...धीरे-धीरे उंमिदे खत्म हो गई। कॉलेज खत्म होने के बाद मुझे एन०टी०पी०सी०,बिलासपुर,छतीसगढ़ में नौकरी मिल गई...मैंने एक वर्ष के दौरान ही अपनी नौकरी बदल ली और उ०प्र० जल निगम में आ गये। मेरी तैनाती वाराणसी में हुई।
उस दिन ट्रेन के पूरे सफ़र में आरती का चेहरा मेरे सामने घूम रहा था। उस यात्रा का एक मिनट भी ऐसा नही था जिसके ख्यालों मे आरती न हो...अफ़सोस भी हो रहा था कि मुझे देखते ही ख्याल क्यो नही आया की ये आरती है..ठीक उसी समय ख्याल आया होता तो ट्रेन छोड़ देता थोड़ी देर बात करता...उसका हाल चाल लेता...खैर अब पछता के भी क्या मिलता।
दो-तीन दिन तो खूब ख़्याल आया और फिर मैं अपने दैनिक कामो और पढ़ाई मे व्यस्त हो गया
धीरे धीरे आरती का ख़्याल फिर से दिल से निकल गया। मैं अपने दैनिक कामो और पढ़ाई मे व्यस्त हो गया।
(शेष कहानी अगले भाग में.......)