Ragini Pathak

Inspirational

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Ragini Pathak

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जो जैसा बोएगा,वो वैसा ही कटेगा

जो जैसा बोएगा,वो वैसा ही कटेगा

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"राजू भैया!! आपको पता है आज" पापा के जन्मदिन की पार्टी में राजेश मामा भी आएंगे। 7 साल की सनाया ने अपने बुआ के लड़के राजू से कहा। राजू की उम्र 10 साल थी।

"कौन? वो जो चिम्पैंजी के जैसे दिखते हैं?" राजू ने कहा।

"अरे! भाई जो पापा के कजिन हैं।"

'हाँ हाँ !पता है, पापा उनको चिम्पैंजी या फिर आदिमानव बुलाते हैं।" फिर राजू ने कहा।

तभी राजू की मामी सुप्रिया ने कहा "राजू ये गलत बात है, बेटा ऐसा बड़ो के लिए नहीं बोलते।"

"अच्छा मामी।"

तभी उसकी नजर नानी पर पड़ती है उनको देख के राजू कहता है अब!! आप भी मत शुरू हो जाना मामी की तरह।

राधेकृष्णा...दादी!!! सनाया ने कहा

सनाया एक बात बता क्या मामी तुझे भी हमेशा प्रवचन सुनाती रहती है?

प्रवचन मतलब!!सनाया ने कहा।

पता नही! मम्मी कहती है दादी को ज्यादा प्रवचन देने की जरूरत नही। तो दादी चुप हो जाती है।

ये बात सावित्री जी के कानों में पड़ गयी। अब उनका पूरा ध्यान दोनो बच्चों की बातों पर चला गया। वो ध्यान से उनकी बातें सुनने लगी।इधर राजू की मम्मी सुमन और पापा रमन दोनो राहुल(सनाया के पापा) से रात की पार्टी के बारे में बात करने में बिजी थे।और सब साथ बैठ कर दोपहर का खाना खा रहे थे कि तभी सनाया ने राजू से पूछा "राजू भैया दो दिन बाद तो बुआ का भी जन्मदिन है तो आप उनको क्या गिफ्ट दोगे?""

राजू ने उत्तर में कहा "",कुछ भी नही"'

सनाया-""क्यों?"

राजू-"क्योंकि मैं अभी छोटा हूं।"

सनाया-"लेकिन मैं तो कार्ड बना के देती हूँ मम्मी पापा और दादी दादा को भी उनके जन्मदिन और सालगिरह पर""

ह्म्म्म!! खिलौनों से खेलते हुए राजू ने कहा

तभी सुमन ने कहा"भाभी बेटियां कितनी समझदार होती है।सनाया को देखिए कितनी समझदारी भरी बातें कर रही हैं।"

"नहीं सुमन ! ऐसा कुछ भी नहीं है.ये सब बच्चों की सही परवरिश का नतीजा होता है। लड़का या लड़की से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिस भी बच्चे की परवरिश अच्छी होगी। वो अच्छा ही होगा फिर चाहें वो लड़का हो या लड़की।"गुस्से को दबाये हुए सुप्रिया ने कहा।

तभी सनाया ने अगला सवाल किया "अच्छा बड़े हो के...जब नौकरी करोगे तब क्या दोगे? बुआ को गिफ्ट उनके जन्मदिन पर।"

तब भी कुछ नहीं!!तब उनका जन्मदिन मनाऊंगा ही नही। बुढ़िया का जन्मदिन थोड़ी ना मनाते है।"

"अपने साले का जन्मदिन मनाऊंगा" क्योंकि सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ….राजू ने कहाइतना सुनते वहाँ सबके चेहरे के रंग उड़ गए सब निरुत्तर थे।

तभी सावित्री जी ने कहा "राजू बेटा !!ऐसा नहीं कहते "आप ऐसा क्यों कह रहे हो।।किसने कहा आपसे ये और आपकी दादी का बर्थडे तो पापा मनाते है ना!!!"

नहीं दादी का जन्मदिन हम नहीं मनाते। पहले भी नहीं अब भी नहीं जब से हम इस नए शहर मे शिफ्ट हुए तब से पापा कहते हैं मम्मी से.... अच्छा जी मैडम सारी खुदाई एक तरफ और जोरू का भाई एक तरफ!!! हम साले साहब के ही जन्मदिन मनाने चलेंगे।मामा और दादी का जन्मदिन तो एक ही तारीख और महीने में पड़ता है। और हम यहाँ आ जाते है। मम्मी उनके लिए सुबह का खाना ढक देती है।"

सुमन और रमन के चेहरे का रंग उड़ चुका था। आज वो दोनों अपनी ही नजरो में शर्मिदा थे और साथ साथ सभी के सामने शर्मिंदा होना पड़ा।सावित्री जी को इतना सुनते ही गुस्सा आ गया। उन्होंने सुमन से कहा" तुम्हें यही संस्कार दिए थे मैंने..सोचो कि अगर तुम्हारी भाभी भाई भी मेरे साथ ऐसा करें तो

मुझे और तुम्हे कैसा लगेगा? "कल को तुम्हारा बेटा तुम्हारे साथ ऐसा करेगा तो कैसा लगेगा?"बेटा एक बात बता दूँ!! बबूल के पेड़ पर आम नहीं उगते। तो हम जो बोते है हमें वही काटना होता है। जिसकी परवरिश में तुम संस्कारों की कमी कर रही हो वो कल तुम्हारे ऊपर ही भारी पड़ेगा।"

"माँ!मुझे माफ़ कर दो मैं भूल गयी थी कि मुझे भी एक दिन बूढ़ा होना है.मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है. मैं चलती हूं। आप लोग पार्टी मनाओ!!"

सुमन और रमन राजू को साथ लेकर वापिस घर को चल दिये ।रास्ते से उन्होंने केक लिया। गिफ्ट में सास के पसंद की सिल्क की साड़ी ली।

घर पहुंच कर सुमन ने चाबी से दरवाजे को खोला तो उसकी सास विमला जी सामने रखे खाने को देख के मुँह दबा कर रो रही थी उन्होंने जैसे ही एक निवाला तोड़ा ही कि सुमन ने उनके हाथ पकड़ लिए और उनके पैरों में गिर गयी औरअपनी सास से कहा "माँजी मुझे माफ कर दीजिए ।।रमन ने भी कहा" हाँ मां हमारी गलती माफी लायक तो नहीं फिर भी हो सके तो हमें माफ़ कर दीजिये"।।। अब हम कभी भी ऐसी कोई गलती नहीं करेंगे जिससे आप के सम्मान को ठेस पहुंचे।"

फिर रमन ने कहा"मां मैं भूल गए गया था कि हमारा पहला फर्ज आपकी तरफ है। "

विमला जी के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। लेकिन आज ये आँसू खुशी के थे। माँ का दिल मोम का होता है। बच्चो का थोड़ा भी सानिध्य पाकर पिघल जाता है। उन्होंने सुमन औऱ रमन को गले से लगा लिया।तभी राजू ने कहा " हैप्पी बर्थडे दादी"अब चलो !!जल्दी से केक कांटो।"

तभी वहाँ सावित्री जी भी सपरिवार आ गयी । और विमला जी से कहा "समधन जी मुझे माफ़ कर दीजिए। शायद मेरी परवरिश में कोई कमी रह गयी थी जो सुमन ने आप के साथ ऐसा किया। काश! ये बात मुझे पहले पता होती। तो ये सब आपको ना सहना पड़ता। आप ने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? अभी तक तो मैं इसी भ्रम मैं थी कि सब कुछ अच्छा है। और आप सब खुश है।"

विमला जी ने सावित्री जी को गले लगा लिया। और कहा "नहीं आप क्यों माफी मांग रही है। इसमे आप की कोई गलती नहीं। हर बार दोष माँ की परवरिश का ही हो ये जरूरी नहीं .कई बार बच्चे बुरी संगति में भी बिगड़ जाते हैं।छोड़िये अब जाने दीजिए। इनबातो को अंत भला तो सब भला। आप अपने मन पर कोई बोझ मत रखिये।मेरे बेटे बहु मुझे मिल गए ये ही बहुत है मेरे लिए।"

"अरे !दादी जल्दी करो ! केक कब काटोगी।"

और फिर सभी ने साथ मिलकर विमला जी का जन्मदिन मनाया।

तभी राजू ने कहा "दादी ची ईईईई.".... सेल्फी टाइम।"सब लोग आ जाओ।क्लिक राजू ने मोबाइल से फ़ोटो ली।

दोस्तों बच्चों को अच्छा माहौल देना बहुत जरूरी होता है... वो अच्छे संस्कार खुद ब खुद सीख जाएंगे। क्योंकि बच्चों के पहले और सच्चे रोल मॉडल उनके माता-पिता ही होते हैं। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए खुद को बदलना पड़ता है। और माता पिता को अपना व्यवहार सकारात्मक रखना होता है।


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