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Krishan Dutt

Abstract Drama Inspirational

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Krishan Dutt

Abstract Drama Inspirational

जीवन संयोग है

जीवन संयोग है

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अधिकार छीनने से महाभारत का युद्ध पैदा हुआ। अधिकार छोड़ने से रामायण का युद्ध पैदा हुआ। इन दोनों स्थितियों में मन अलग अलग नेगेटिव आयामों में काम करता है। जैसे :- ईर्ष्या द्वेष छल कपट इत्यादि। सृष्टि चक्र की अनादि बनावट में चलते चलते अनेकों बार अनेकों के जीवन में ऐसी नेगेटिव मानसिक स्थितियां बनती हैं। ज्ञानीजन एक तीसरी स्थिति में रहते हैं। जो ज्ञानी ना तो छीनता है और ना ही छोड़ता है वह अनासक्त योगी है। वह तो कहता है कि मैं छीनने को और छोड़ने को, छीनने या छोड़ने की तरह देखता (समझता) ही नहीं हूं। यह छीनना है और वह छोड़ना है, यह गलत है या वह गलत है, यह निर्णय मैं करता ही नहीं। वह सम्पूर्ण सृष्टि अथवा जीवन ड्रामा को समग्रता (In Totality) में देखता है। जो होता है वह मात्र एक संयोग होता है। संयोग समझकर वह आगे बढ़ता जाता है। वह अपने स्वयं में - मैं तो जो हूं जैसा हूं वैसा ही तटस्थ बना रहता हूं। नेगेटिव वर्तुल को तोड़ने का और जीवन में सुख शांति से जीने का ज्ञानियों का यही नजरिया होता है।



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