झूठा भरोसा
झूठा भरोसा
रामू एक गरीब लड़का था। घर में उसके साथ उसकी बूढ़ी मां रहती थी, जो हमेशा अस्वास्थ्य होने के कारण बिस्तर पर ही पड़ी रहती थी।
रामू दिन भर खेतों में मेहनत कर शाम को घर आता था,आकर अपनी मां को भोजन अपने हाथों से कराता था। वह अपनी मां के स्वास्थ्य एवं सेवा का बहुत ध्यान रखता था, बस उसको हमेशा यही चिंता लगी रहती थी, कि मां का इलाज कैसे कराऊँ।
एक दिन वह अपने पुराने मित्र के घर गया और उससे पैसे उधार मांगे परंतु उसके मित्र ने पैसे देने की जगह उसे सब्जबाग दिखाने लगा। उसका मित्र बार-बार बोल रहा था कि तुम्हारी मां ठीक हो जाएंगी।
रामू को फिर घर जाना पड़ा, घर जाकर उसने मां को भोजन खिला कर, उसको दवाई दी। वह मित्र के पास तीन-चार बार गया, परंतु उसका मित्र पैसा देने की बजाय झूठी दिलासा देता रहता था।
एक दिन अचानक रामू की मां की तबीयत बहुत ही ज्यादा खराब हो गई और उसकी मां की मृत्यु हो गई। रामू बहुत दुखी था, उसको एहसास हो गया था, कि दुनिया में गरीबी और दुख का साथी कोई नहीं है। ऐसे ही फिर वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा।
