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SPK Sachin Lodhi

Horror Romance Thriller

4  

SPK Sachin Lodhi

Horror Romance Thriller

अमावस की रात-1 अनजान चेहरा

अमावस की रात-1 अनजान चेहरा

5 mins
430

बात उस समय की है, जब हम पिकनिक मनाने के लिए एक रहस्यमयी जंगल में स्थित एक मंदिर घूमने गए थे। वहां का वातावरण सबको अचंभित करने वाला था, घने जंगल के बीच में स्थित मंदिर में एकदम शांति थी, जबकि जंगल के प्रत्येक हिस्से से पेड़-पौधों और हवा के झोंकों की तीव्र ध्वनि आ रही थी।

मंदिर का यहीं रहस्य को जानने के लिए हम लोग मंदिर गए थे, परंतु किसी के घर वालों को यह नहीं पता था, कि हम लोग खतरनाक जंगल में बसे रहस्यमयी मंदिर जा रहे हैं। उनको तो हम यह बता कर आए थे, कि यहां से पास में ही स्थित वाटरफॉल देखने जा रहे हैं और वहीं से हनुमान टेकरी मंदिर भी देखते आएंगे।

मेरे साथ मेरे कालेज के 3 फ्रेंड विशाल, सोमेंद्र और प्रिया भी साथ में आए थे, जिसमें से प्रिया उस समय वास्तु शास्त्र पर रिसर्च कर रही थी। जंगल में चारों तरफ धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था। रात्रि के आगमन के साथ जंगल में भी शांति प्रतीत होने लगी थी। अब केवल जंगल के जानवरों की आवाजें आ रहीं थी। जानवरों की यह आवाजें मंदिर के बाहर तक ही सीमित थी। अंदर एकदम शांति का माहौल था, वहां पर स्वयं की धड़कनों को भी महसूस किया जा सकता था। धीरे-धीरे शाम का पहर निकल गया और चारों तरफ अंधकार छा गया।

प्रिया तो अपने कार्य में व्यस्त थी, परंतु सोमेंद्र काफी डरा हुआ लग रहा था, क्योंकि वह घर से पहली बार ऐसी खतरनाक जगह पिकनिक मनाने के लिए आया था। उसको अंधेरे से भी बहुत डर लगता था। शाम के पहर बारिश होने के कारण वातावरण एकदम ठंडा-ठंडा था, तो हम लोगों ने वहां पर लकड़ियां इकट्ठी करके आग जलाई और हम उसके चारों तरफ बैठ गए। क्योंकि रात का समय था, तो सिर्फ मंदिर और उसके आसपास ही उजाला हो रहा था। इसके अलावा चारों तरफ घोर अंधेरा छाया हुआ था। चूँकि हम प्लान बना कर आए थे कि एक रात्रि वहीं रहेंगे, तो हम लोग अपनी व्यवस्था के साथ यहाँ पर आए थे। उजाले के लिए बैटरी और लालटेन साथ में रख कर लाए थे। जिससे अंधेरे में हम लोगों को कोई दिक्कत ना हो।

ऐसे ही हम लोग बातें करते-करते वहीं पर बैठे रहे, तभी विशाल बोला "चलो यार कोई हॉरर स्टोरी हो जाए।" तभी प्रिया झट से बोलती है, "हाँ यार विशाल हॉरर स्टोरी तो मुझे भी बहुत पसंद है।" इसके आगे प्रिया कुछ बोलती कि बीच में बात को काटते हुए सोमेंद्र बोला, "नहीं! मुझे कोई हॉरर स्टोरी नहीं सुनना है।" तभी मैंने कहा तुम लोगों को पता है ना सोमेंद्र को हॉरर स्टोरी और अंधेरे से डर लगता है, तो क्यों ऐसा टॉपिक निकाल रहे हो। चलो खाने का टाइम हो गया है, पहले खाना खा लेते हैं। फिर बाकी बातें बाद में करेंगे।

सोमेंद्र बोला ठीक है, मैं हमारे बेग से खाना लेकर आता हूं, तब तक तुम लोग यहीं बैठो। सोमेंद्र मंदिर के अंदर चला जाता है। चूँकि मंदिर बड़ा और बहुत पुराना था, तो बहुत सी जगह से मंदिर टूट चुका था। मंदिर के अंदर जहां पर हम लोगों ने सामान रखा था, वहीं पर लालटेन जलाकर रख दिया था। क्योंकि कब क्या जरूरत पड़ जाए.? तो जरूरत का सामान निकालने के लिए वहां पर उजाला रहना बहुत जरूरी था। और बाहर तो वैसे भी हम लोगों ने आग जला रखी थी, तो आग से चारों तरफ उजाला हो रहा था और बैटरी भी हमारे साथ थी।

शैलेंद्र अंदर पहुंचा और बैग खोल कर खाना निकालने लगता है। तभी उसे मंदिर के पिछले हिस्से की तरफ से एक प्रकाश-पुंज दिखाई देता है, तो वह एकदम से वह घबरा जाता है और एकदम शांत हो जाता है, फिर वह हिम्मत करके उस प्रकाश-पुंज की तरफ अपने कदम बढ़ाता है। उसके अंदर एक डर भी था, साथ में उस रोशनी को जानने की लालसा भी मन में उठ रही थी। तो वह धीरे-धीरे हिम्मत जुटाकर उस रोशनी की तरफ बढ़ते जाता है। जैसे ही वह मंदिर के पिछले हिस्से की तरफ से आ रही रोशनी के निकट पहुंचता है, तो वह प्रकाश-पुंज अचानक से विलुप्त हो जाता है। चूँकि वहां पर कोई रोशनी नहीं थी, केवल प्रकाश-पुंज की वजह से वहां पर उजाला हो रहा था।

और प्रकाश-पुंज के विलुप्त होने के साथ वहां पर एकदम घना अंधेरा हो जाता है। तो सोमेंद्र एकदम से चिल्लाता है और बेहोश हो जाता है।

सोमेंद्र की आवाज सुनकर हम लोग अंदर पहुंचे। वहां से लालटेन उठाया और मंदिर के पीछे की तरफ अंदर के रास्ते से जाकर देखा तो सोमेंद्र वहां पर बेहोश पड़ा था। हम सोमेंद्र को उठाकर मंदिर के अंदर लाते हैं जहां पर हम लोगों के बैग रखे हुए थे। वहां पर उसको लिटाया और पानी की कुछ बूंदें उसके ऊपर डाली। जैसे ही पानी की बूंदें उसके ऊपर डाली उसको चेतना आ गई। सोमेंद्र एकदम से उठते हुए चिल्लाया बचाओ.!

तभी मैंने बोला क्या हुआ किससे बचाओ.? अब हम लोग तुम्हारे साथ है, डरने की कोई बात नहीं है। तभी विशाल बोला क्या हुआ था? तुम बेहोश कैसे हो गए? तभी प्रिया बोली हां सोमेंद्र तुम तो खाना लेने आए थे ना यहां से। ऐसा क्या हुआ, कि तुम बेहोश होकर मंदिर के पीछे वाले हिस्से में पड़े थे और मंदिर के पिछले वाले हिस्से में गए ही क्यों थे? तभी सोमेंद्र बोलता "मैं खाना लेने ही यहां आया था। परंतु मंदिर के पीछे से एक रोशनी आ रही थी, जिसको देखने के लिए मैं पीछे गया था और जैसे ही मैं वहां पहुंचा वह रोशनी विलुप्त हो गई। विलुप्त होने के साथ मुझे उस रोशनी में एक डरावना चेहरा नजर आया। जिसको देखकर मैं बेहोश हो गया था।

मैं बोला चलो ठीक है, यह सब छोड़ो पहले खाना खा लेते हैं। फिर आराम से बैठ कर बात करेंगे। अभी इस टॉपिक को भूल जाओ। सोमेंद्र बोला ठीक है मुझे भी बहुत जोरों से भूख लगी है। तो चलो बाहर चलकर पहले खाना खाते हैं। उसके बाद हम लोग जहां पर आग जल रही थी, वहां पहुंचे। और घर वालों ने जो खाना पैक करके भेजा था, उसको खोला। आग थोड़ी कम होने लगी थी, तो लकड़ियां और डालकर आग को तेज किया। उसके बाद हम सब मिलकर आराम से बातचीत करते हुए खाना खाते हैं।

आखिर सोमेंद्र ने रोशनी के विलुप्त होने के साथ चेहरे में ऐसा क्या देखा..?? जिसके कारण वह बेहोश हुआ। जानने के लिए इंतजार करें हमारे मेरे दूसरे भाग का।

धन्यवाद!


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