Sumit Mandhana

Abstract Comedy Drama

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Sumit Mandhana

Abstract Comedy Drama

" जब तांगेवाली मेट "

" जब तांगेवाली मेट "

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दोस्तों हम सभी जानते हैं जब भी मेट मूवी में करीना कपूर ने भटिंडा की सीखनी का बहुत ही दमदार रोल निभाया था । आदित्य हर बार गीत की मदद करता है और वो उसे और प्रॉब्लम में डाल देती है । फिर भी जाने अनजाने में ना चाहते हुए भी उसे गीत से प्यार हो जाता है। दोनों सोचते हैं कि हम लोग भाग कर शादी कर लेते है। यहीं पर मेरी कहानी में ट्विस्ट आता है।   

जब दोनों घर से भाग जाते हैं तो उन्हें रास्ते में बसंती तांगेवाली मिलती है। वह उन्हें पूछती है तुम लोग भाग क्यों रहे हो? तो गीत बताती हैं हम भाग कर शादी करने वाले हैं। बसंती बोलती है- देखिए हमें बेफिजूल बात करने की आदत तो है नहीं आपने बताया इसलिए हम कह रहे हैं । आप भले भाग कर शादी कीजिए, लेकिन उसके लिए आपको भागने की जरूरत नहीं है । आप बसंती के तांगे में बैठ जाइए । जिधर बोलेंगे उधर बसंती आपको छोड़ देंगी ।   

उन्हें बसंती की यह बात पसंद आ जाती है। वे दोनों तांगे में बैठ जाते हैं। बसंती उनसे उनका नाम पूछती है तो गीत अपना नाम अनार कली और आदित्य का अशफाक मियां बताती है। बसंती उनसे कहती है आप लोगों ने मुझसे मेरा नाम नहीं पूछा ? तो गीत बोलती है तुम्हारा नाम क्या है बसंती? बसंती कहती है हमारा नाम बसंती है। आदित्य बोलता है पहली बार सुना है यह नाम।  

फिर बसंती उनसे पूछती है आप लोग कब से एक दूसरे को जानते हो? कब से प्यार करते हो? घर वाले शादी के लिए क्यों नहीं मान रहे हैं? कौन से शहर जा रहे हो? शादी करने के बाद कहां रहने वाले हो? तो गीत बसंती को टोकती है। अरे बस बस , एक ही बार में कितने सारे सवाल पूछोगी थोड़ा रुक तो जाओ जवाब आने के लिए! आदित्य गीत की तरफ देखता है और कहता है पहली बार तुम्हें कोई तुम्हारी टक्कर का मिला है हर बार तुम सवाल पूछ पूछ कर मेरा दिमाग खाती रही आज बसंती तुम्हारा दिमाग खाएगी।   

यह सुनते ही बसंती नाराज हो जाती है और कहती है बसंती सिर्फ चार टाइम खाना खाती है किसी का दिमाग नहीं खाती ,समझ में आया बाबू ! हम तुम शहरी बाबू को बहुत अच्छे से जानते हैं तुम हमें गांव की भोली भाली लड़की समझकर कुछ भी उटपटांग बोलने की हिम्मत मत करना। वरना बसंती तुम्हें गांव के सात चक्कर लगा कर स्टेशन तक छोड़ कर आएगी। तभी गीत कहती है बसंती तांगा रोक दो स्टेशन आ गया है , हम लोग जा रहे हैं । वे लोग उसे पैसा देकर चले जाते हैं। बसंती अपना तांगा मोड़ कर फिर से लौट जाती है।   

जैसे ही बसंती की तांगे में पीछे नजर पड़ती है, तो उसे पता चलता है कि शहरी बाबू अपना बटुआ तांगे में ही भूल आया है । वह अंदर बटुआ लौटाने जाती है तो देखती है कि वे लोग गाड़ी में बैठ कर जा चुके हैं। बसंती अपना तांगा जोर से भगाती है और धन्नो को कहती है , "चल धन्नो आज तेरी बसंती की इमानदारी का सवाल है" । तुझे कैसे भी करके बटुआ बाबू तक पहुंचाना है । ट्रेन के पीछे पीछे बसंती अपने ताँगे को भगाती है ।

कहते हैं ना जहां चाह वहां राह तो आगे किसी आगे किसी कारण से ट्रेन की गति धीमी हो जाती है। बसंती इस मौके का फायदा उठाकर उसका बटवा तांगे से खिड़की में फेंक देती है। गीत और आदित्य बसंती की ईमानदारी देखकर बहुत खुश हो जाते हैं और उसका खूब धन्यवाद करते हैं। 


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