Dipesh Kumar

Abstract

4.7  

Dipesh Kumar

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जब सब थम सा गया (दिन-35)

जब सब थम सा गया (दिन-35)

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प्रिय डायरी,

सुबह आज उठने में देर हो गयी क्योंकि रात में जल्दी सोन जाने से 3 बजे मेरी नींद खुल गयी और दोबारा सोने में मुझे 5 बज गए। 7 बजे के लगभग भाई सावन मेरे पास आरोही को लेकर आया। आरोही बिटिया रोजाना सुबह उठ जाती हैं। वैसे उम्र में तो 10 माह की हैं लेकिन सुबह इतना जल्दी उठ जाती मानो सारा काम आरोही को ही करना होता हैं। मैं सुबह सुबह आरोही के साथ खेलने लगा और कुछ देर बाद उसे छत पर अपने साथ ले गया। हम दोनों छत पर शुद्ध हवा का आनन्द ले रहे थे। मेरी कमर में दर्द के कारण आज योग करना संभव नहीं था। आरोही कुछ देर बाद नीचे जाने का जिद करने लगी क्योंकि अब बिटिया को भूख लगी होगी। गर्मी आज फिर से ज्यादा थी, इसलिए मैंने रेम्बो को नहलाने के लिए उसका शैम्पू और अन्य सामग्री के साथ उसको नहलाने लगा।

नहलाने के बाद उसको अछि तरह पोछकर धुप दिखने लगा। अपने कमरे में आकर स्नान करके मैं पूजा पाठ करने के बाद अपने कमरे में आ गया। आज नास्त नहीं किया क्योंकि 11 बजे से मुझे एक वेबिनार में ऑनलाइन सम्मिलित होने था। इसलिए में फटाफट उसकी तैयारी करने लगा। 10:45 के लगभग मैं उस वेबिनार में पासवर्ड के जरिये सम्मिलित हुआ।

वेबिनार का विषय था-"ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज इन टीचिंग एंड लर्निंग"जिसको श्रीराम पांडेय सर द्वारा बहुत ही सुंदर ढंग से उदाहरण के साथ समझाया गया। लगभग 12 बजे तक चले इस वेबिनार में बहुत कुछ सीखने को मिला। इसके बाद दोपहर का भोजन करके मैं फिर से अपने कमरे में चला गया और जो भी बाते सर ने बताई उसकी रिपोर्ट तैयार करने लगा। रिपोर्ट तैयार करते करते 2 बज गए थे और अब मुझे नींद भी आ रही थी। सब काम बंद करके मैं कुछ देर के लिए सो गया,क्योंकि 5 बजे से फिर एक ऑनलाइन सेशन वर्कशॉप "ऑनलाइन इंटरव्यू"के ऊपर था जो की रविजा श्रीवास्तव मैडम द्वारा बहुत ही प्रैक्टिकल के साथ साथ कई उदाहरण द्वारा समझाया गया। ये साइन शाम के 6:30 तक चला।

शाम हो चुकी थी इसलिए मैं सेशन खत्म होते ही नीचे आया। सावन भाई ने पोधो में पानी डाल दिया था और बच्चे आँगन में खेल रहे थे। लेकिन मैं अब कुछ थका हुआ महसूस कर रहा था इसलिए रेम्बो को लेकर में टहलाने के लिए निकल गया। कुछ दूर टहलने के बाद अब मुझे अच्छा लग रहा था।

शाम की आरती का समय हो गया था। आरती के बाद हम सब कुछ देर बैठ कर बाते करने लगे। मंगलवार का दिन था तो भाई रूपेश और चाचाजी का व्रत रहता हैं,इसलिए वो लोग जल्दी भोजन कर लेते हैं। मैं पिताजी और सावन कुछ देर बाहर ही बैठे रहे। माताजी थोड़ी देर बाद आवाज़ दी की भोजन कर लो आप सभी। हम सब रात्रि भोजन के बाद बैठे थे इतने में बहन प्रियांशी केक लेकर आ गयी।

दरहसल शाम को बीना और प्रियांशी ने मिलकर केक बनाया था। खाने के बाद मीठा मजा आ जाता हैं मुझे। केक वास्तव में स्वादिष्ट बना था। केक खा कर मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया। मोबाइल चलते हुए मेरी नज़र एक मैसेज पर पड़ी जिसमें व्यंग के तौर पर लिखा था कि 3 मई को लॉक डाउन के खत्म होने का नहीं बल्कि अगले लॉक डाउन कितने दिन का होगा पता चलेगा।

मोबाइल में पता चला की कल 3 और वेबिनार हे जो की शिक्षक के साथ साथ विद्यार्थियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इसलिए मैंने कल के तीनों वेबिनार में अपना पंजीयन करवा लिया। लॉक डाउन का असली फायदा अब इस वेबिनार के माध्यम से मिल रहा हैं। लगता हैं अब इस तकनीक से ही भविष्य में बहुत से काम होंगे। यही सब देखते देखते मैं बिस्तर पर आकर लेट गया और गाने सुनते सुनते सोने लगा।

इस तरह लॉक डाउन का आज का दिन भी समाप्त हो गया। लेकिन कहानी अभी अगले भाग में जारी हैं.....


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