Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Dipesh Kumar

Abstract

4.5  

Dipesh Kumar

Abstract

जब सब थम सा गया (दिन-26)

जब सब थम सा गया (दिन-26)

4 mins
227




प्रिय डायरी,

गर्मी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी लेकिन आज सुबह से ही मौसम बारिश जैसा हो रहा था।मौसम भी अपना अलग रंग दिखा रहा था।सुबह उठने के बाद ऐसा लग रहा था जैसे सब नीरस हो गया हैं।न किसी से मिल पा रहे हैं न किसी से बात कर पा रहे हैं यदि कोई रास्ते जाते ख़ास भी देता है तो लोग अलग नजर से देखने लगता हैं।वास्तव में जिस तरह कोरोना ने अपना भय बनाया हैं इससे ये तो पक्का पता चल गया कि दुनिया में कोई ताकतवर नहीं हैं।योग प्राणायाम के बाद में कुछ देर अपनी पुरानी यादो को ताज़ा करने के लिए बातो को सोचने लगा कि छोटे बच्चे थे तभी सही था।न किसी चीज़ का डर न किसी चीज़ की चिंता।क्यों बड़े हो गये हम?यही सब सोच रहा था ,वैसे भी 17 और 18 अप्रैल को लॉक डाउन पूर्ण रूप से सभी सेवाएं बंद थी।आज बाज़ार खुलना है और नीमच में एक भी पॉजिटिव कोरोना संक्रमित न होने के कारण कलेक्टर द्वारा कुछ रियायत दी जायेगी।सूर्योदय हो चूका था लेकिन बादलों के चलते सूर्य की चमक धीमी थी।कुछ देर के बाद में नीचे आ गया और स्नान करके पूजा पाठ करके मैं नाश्ता करने बैठ गया।नाश्ते के बाद मैं अखबार पढ़ने बैठ गया।अखबार में नीमच खबर के अंतगर्त ये खबर थी की आज इन दूकान और सेवाओं में छूट रहेगी लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना हैं।मास्क लगाना हैं और भीड़ इक्क्ठा नहीं करना है।अखबार पढ़ने के बाद टीवी में समाचार देखने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया।खिड़की से देखा तो सब्जी वाला आवाज़ लगा रहा था।दो दिन के बाद सब्जी वाले कॉलोनी में आये।मै कुर्सी पर जाकर बैठ गया और अपनी बची हुए कहानी लिखने लगा जो की कल अधूरी रह गयी थी।अब पढ़ने का मन नहीं कर रहा था।इसलिए पाठ्यपुस्तकों को एक किनारे अलमारी में रख दिया।गर्मी आज कम थी कहानी लिखने मे ऐसा लीन हुआ की समय का पता ही नहीं चला।लिखते लिखते आँख दर्द होने लगी तो देखा की समय दोपहर के 12:30 हो रहे थे।मैं टेबल पर ही सर रखकर कुछ देर आराम करने लगा।1 बजे जब एक खुली तो नीचे से खाने के लिए बिटिया नायरा आवाज लगा रही थी,"मामा खाना खानो" तुतलाते हुए।दोपहर भोजन के बाद मैं नीचे बैठा हुआ था तभी बहन प्रियांशी और उदित मेरे पास आई और कहने लगी,"भैया आपको मालूम हैं कल क्या हैं?"मैंने कहा,"नहीं याद तो नहीं आ रहा।"तुरंत प्रियांशी बोली," कल चाचा पापा का जन्मदिन हैं"।मैंने कहा,"अरे हाँ",पर केक?बोलकर सोचने लगा,इतने में उदिता बोली," भैया आप कल सामान मंगवा दो,बीना दीदी और हम दोनों मिलकर बनालेंगे।"मैंने कहा ठीक हैं मुझे लिस्ट बना कर दे दो मंगवा लूंगा।"दोनों ख़ुशी से दौड़ते हुए अपने कंरे मे चली गयी।मैं अपने कमरे में आकर कुछ देर लेट गया,और फिर अपनी कहानी लिखने लगा।कहानी लगभग समाप्ति की और थी इसलिए मैंने सोच आज इसको पूरा करके ही उठूंगा।

शाम 6 बजे कहानी पूरी खत्म हुई।मैं नीचे आकर अपने पेड़ पौधों की देख रेख के बाद रेम्बो के साथ टहलने निकल गया।दिन भर कहानी लिखने के बाद सर भारी सा लग रहा था।लेकिन बाहरी वातावरण और खेतों को देखने के बाद मन हल्का और सर भी हल्का महसूस हो रहा था।शाम की आरती के बाद हम लोग कुछ देर के लिए बच्चो के साथ आँगन में खेल रहे थे और बच्चो के साथ साथ रेम्बो भी खेल रहा था।मैं बैठकर यही सोच रहा था कि हम सब फिर से सामान्य जीवन कब जियेंगे।

मैंने इस गर्मियों की छुट्टी में वाराणसी जाने का कार्यक्रम बनाया था।लेकिन इस कोरोना के चलते सारे कार्यक्रम व्यर्थ हो गए।कभी कभी तो चीन को इतनी गालियां देने का मन करता हैं जिसकी कोई हद न हो।लेकिन कुछ कर भी नहीं सकता।रात्रि भोजन के बाद में छत पर टहल रहा था कि सामने एक गोदाम में मेरी नज़र पड़ी।मुझे लगा की कुछ लोग गोदाम की खिड़की में से अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं।अँधेरा था लेकिन चाँद की रोशनी में साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था।मेरे पास उस गोदाम के मालिक का नंबर था मैंने तुरंत उनको फ़ोन लगाया और सूचित किया कि कुछ लोग पीछे की खिड़की से अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं,तो उन्होंने कहा कि,धन्यवाद भाई,चिंता की कोई बात नहीं मैंने ही अपने काम करने वालो को पीछे के रास्ते से गोदाम में जाने को कहा हैं,क्योंकि सामने वाले गेट को आज खोल नहीं सकता इसलिए,"।बात खत्म करने के बाद मैं नीचे अपने कमरे में आया और कुर्सी पर बैठा तो जीवन संगिनी जी का फ़ोन आया,घर का और मेरा हाल चाल लेने के बाद उन्होंने चाचाजी की एक फोटो मुझसे मांगी क्योंकि चाचाजी का कल जन्मदिन हैं।बात खत्म करके मैं कुछ देर कहानी पढ़ने लगा लेकिन आज थोड़ा थकान सा लग रहा था।इसलिए में 11 बजे के लगभग अपनी आज की कहानी लिखते लिखते सो गया।


इस तरह लॉक डाउन का आज का दिन भी समाप्त हो गया।लेकिन कहानी देखिए लॉक डाउन की कब तक चलती है। ये कहानी अभी अगले भाग में जारी है।






Rate this content
Log in

More hindi story from Dipesh Kumar

Similar hindi story from Abstract