Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Horror Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Horror Inspirational

जानी दुश्मन-भावनाओं के

जानी दुश्मन-भावनाओं के

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"हम में से अधिकांश लोगों का मानना है कि जीवन में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए फिर भी आए दिन हिंसा की अनेकानेक घटनाएं सुनने में आती है। वस्तुतः सबके बस की बात नहीं। अहिंसा के लिए आपका मानसिक रूप से बहुत अधिक शक्तिशाली होना सबसे पहली शर्त है। लोग हिंसा का सहारा तब लेते हैं जब उनके मन में किसी प्रकार का भय या असुरक्षा की भावना सिर उठाने लगती है। किसी व्यक्ति के हिंसक होने का सीधा अर्थ है कि उसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपने मन में आए भय से मुक्ति पाने के लिए अहिंसा छोड़ कर उसे हिंसा का सहारा लेना पड़ा।"-परम श्रृद्धेय स्वामी विश्वेश्वर आनंद जी ने अपने सम्मुख बैठे अपने शिष्यों को समझाते हुए कहा।

" इसका स्पष्ट अर्थ यही है,स्वामी जी, किसी के हिंसक होने का अर्थ यह है कि वह अपनी अच्छी मानवीय भावनाओं को छोड़कर बुरी भावनाओं के प्रभाव में आ गया। वह स्व नियंत्रण खो चुका है। उसका मन मस्तिष्क किसी बुरी आत्मा के नियंत्रण में आ गया जो उसने अपनी मानवीय भावनाओं को त्याग कर हिंसक अमानवीय कृत्य अपने को भय मुक्त और सुरक्षित करने के लिए किया।"-स्वामी जी के सम्मुख बैठे शिष्यों में से उनके सबसे अधिक प्रिय में से एक रामानंद जी ने स्वामी जी की शिक्षा 'अहिंसा और भय 'को बड़े ध्यान से समझ कर स्वामी जी की विचारधारा का समर्थन करते हुए स्वामीजी के प्रति नत मस्तक

होते हुए कहा।

"कई बार व्यक्ति अपने आपको इस प्रकार असुरक्षित और असहाय महसूस करता है कि वह अपना आपा खोकर पूरी तरीके से हिंसक हो उठता है। मानसिक सिधीरे-धीरे इस प्रकार की उत्तेजना और भावना उसके स्वभाव का एक हिस्सा बन जाता है तो इस प्रकार की ऐसी सभी घटनाएं जो उसके में ,घर के बाहर ,अपने ऑफिस में अगर होती हैं तो इसका मुख्य कारण भी उसके मन में भय की है। मन में इस प्रकार भय का जन्म लेने वाली भावना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।" -स्वामी जी ने के दूसरे शिष्य शिवानंद जी ने अपनी वाकपटसे में कुछ छूट हुई बातों को सम्मिलित करने का प्रयास किया।

स्वामी ने सभी शिष्यों को बताया, "” ऐसी हिंसक घटनाओं में जान गवाने वाले लोग बहुत ज्यादा नहीं है हर किसी के मन में ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच में संवाद करते हुए आपस में मनमुटाव को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। लोगों की इन हिंसक घटनाओं में अगर कोई व्यक्ति अपनी जान गवा देता है तो उसकी अतृप्त आत्मा इधर-उधर भटकती रहती है। जो औऱों अपने साथ की गई नाइंसाफी के लिए वह राह चलते लोगों को दंडित करती हैं। बहुत से फिल्म निर्माताओं, धारावाहिक निर्माताओं और नुक्कड़ नाटक के निर्माताओं को ऐसी दुर्घटनाएं प्रेरित करती है। "

"अभी तक जितनी भी हारर मूवीज या है उसमें व्यक्ति की असमय मृत्यु के बाद उसकी अतृप्त आत्मा आत्मा इधर-उधर भटकती है। समाज के कल्याण की भावना रखने वाले लोगों से बात करती है।ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार जिस प्रकार शेक्सपियर के दुखांत नाटक 'हेमलेट' का नायक हैमलेट अपने मृत पिता की आत्मा से बात करता है और उनकी असमय मृत्यु का कारण जान पाता है। अपने पिता की असमय मृत्यु का कारण जानने के क्रम में उसे पता चलता है कि उसके अपने चाचा ही उसके पिता की मृत्यु का जिम्मेदार है। उसकी अपनी मां और चाचा द्वारा रचे गए रहस्य का पर्दाफाश करता है किंतु दुर्भाग्यवश वह अपनी प्रेमिका के साथ नाटक के अंत में मृत्यु को प्राप्त होता है जो इसे एक अविस्मरणीय दुखांत नाटक बनाता है। भयावह कहानियां अधिकांश ऐसे लोगों के द्वारा बताइए सुनाई जाती हैं जो हमेशा किसी स्थान की सैर करके आते हैं।हर कोई अपने संस्मरणों को आध्यात्मिकता का पुट देते हुए सुनाते हैं।"-स्वामी जी ने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा।

"फिल्म इंडस्ट्री ने अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग समय पर हॉरर फिल्में फिल्में और टी वी सीरियल बनाए हैं। वर्ष 1979 में भारतीय हिंदी भाषा की हॉरर फिल्म 'जानी दुश्मन' जो राजकुमार कोहली द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म शंकर मूवी बैनर के तले बनाई गई थी। इस फिल्म में सुनील दत्त ,राजकुमार ,जीतेंद्र ,शत्रुघ्न सिन्हा ,विनोद मेहरा ,रेखा ,नीतू सिंह और रीना राय ने मुख्य भूमिका निभाई थी ।इस फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था।यह बॉक्स ऑफिस पर एक सफल फिल्म साबित हुई थी।हकीम लता ने इसकी कहानी लिखी थी और इंदर राज आनंद ने इसके संवाद लिखे थे 153 मिनट की इस फिल्म में दिखाया जाता है कि ज्वाला प्रसाद की अपनी स्वप्न सुंदरी से शादी होती है। शादी वाले दिन ही पूरे लाल कपड़े पहने हुए उनकी पत्नी उनके दूध में मिलाकर उन्हें जहर दे देती है। ज्वाला प्रसाद एक शैतान बन जाता है और उस क्षेत्र में अपना आतंक मचाता है। वह लाल जोड़े में जोड़ा धारण की हुई दुल्हनों को पकड़ लेता है और उन्हें मार देता है। जब उनका दूल्हा शैतान को मारता है तो शैतान ज्वाला प्रसाद का शरीर छोड़कर दूल्हे के शरीर में प्रवेश कर जाता है। दुल्हन को मारते समय शैतान का रूप बहुत ही विकराल और भयावह होता है जिसको देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शैतान दुल्हन की जिस प्रकार निर्मम हत्या करता है वह दृश्य बहुत ही वीभत्स होता है। इस इस प्रकार शैतान का खूनी खेल चलता रहता है और अंत में शैतान मारा जाता है मरते समय शैतान हुए यह वादा करता है कि आगे से किसी दुल्हन को नहीं मारेगा।"-बॉलीवुड में बनी फिल्म 'जानी दुश्मन' को संक्षिप्त शब्दों में व्यक्त करते हुए शिवानंद ने कहा।

"फिल्म कोई चाहे जैसी हो उसकी कहानी काल्पनिक होती है लेकिन उसमें वास्तविक जिंदगी के कुछ तथ्यों वरन उन्हें "सार्वभौमिक सत्य "कहेंगे उनको एक किनारे करके फिल्म तैयार नहीं की जा सकती फिल्म बनाने के लिए बस एकता में उस काल्पनिक दृश्य काल्पनिक संवाद काल और अपने पात्रों को शामिल कर लिया जाता है जिस तरीके से कॉमेडी फिल्में भरपूर मनोरंजन करती है उसके बाद में भी शिक्षा देती हैं। किस प्रकार की हॉरर फिल्में हैं वह दर्शकों की रूचि के अनुसार उनकी पसंद या नापसंद होती है लेकिन दूसरी किसी भी फिल्म की तरह हॉरर फिल्में भी शिक्षाप्रद होती हैं इनके मूल में एक शिक्षित छुपी रहती है जिसकी मदद से मनुष्य अपना वर्तमान भरपूर व्यतीत करता है ,द शिक्षा प्राप्त करता है। इस जीवन में जो भी नजर आता है उसे एक दृष्टा की भांति देखना चाहिए।उसने हमारी आसक्ति नहीं होनी चाहिए आसक्त का अर्थ है किसी चीज से बहुत ज्यादा लगाव होना इतना अनेक लगाव होना कि हम उस चीज के बिना हमें रहना बहुत ही खराब लगता है। विभिन्न प्रकार की घटनाओं से लोगों की जिंदगियों पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि जीवन की वास्तविकता कल्पना से परे होती है उसमें कल्पनाशीलता का मिश्रण करके उस कल्पना को और ज्यादा प्रखर बनाया जाता है।


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