इस प्यार को क्या नाम दूँ

इस प्यार को क्या नाम दूँ

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राजन ने कुछ दिन पहले ही राज़ को लंदन के कुछ फोटो भेजे थे ।आज न जाने क्यों उन फोटो को देखकर राज़ राजन की उन हसीन मुलाकातों को याद कर मन ही मन मुस्कराने लगी थी । राजन की यादों में खो थोड़ी सी उदास हो गयी ।।इतने दिन हो गये राजन का ना तो कोई फोन आया न कोई संदेश । इंतजार करें तो भी कितना, राज यह सोचती सोंचती अतीत की यादों में खो गयी ।


   अभी तीन साल पहले ही तो एक कार्यक्रम में राजन से मुलाकात हुई थी । व्यक्तित्व कतृत्व सौम्यता का धनी राजन उसके मन को भा गया । अपने बोलने की कला में माहिर राजन ने " तनाव प्रबंधन " पर सुन्दर वक्तव्य से सभी को प्रभावित किया । वक्तव्य के खत्म होते ही पूरा सभागार तालियों की आवाज से गूंज उठा ।


    जब राज ने अपना वक्तव्य दिया तो एक बार फिर सभागार तालियों की आवाज से गूंज उठा ।


    राज़ राजन का जब आमना-सामना हुआ तो, राजन बोला,' राज़, तुम ने विषय पर बहुत अच्छा बोला, सच कहूँ तो तुम्हारी विषय पर पकड़ अच्छी है ।"------'नहीं नहीं राज़ बोली, सर आप से ज्यादा अच्छी नहीं है ।"


   और फिर कार्यक्रम समाप्त होने पर सब अपने गन्तव्य की ओर चल पड़े ।पर न जाने राजन की ऑखे राज़ से कुछ कहना चाहती थी ।राज़ को न जाने क्यों यह मन ही मन अहसास हो रहा था ।


     तभी राज को मोबाइल पर राजन का संदेश मिला ।राज़ में तुम से मिलना चाहता हूं ।राज़ ने पूछा', क्यों?"बस तुम आ जाओ ।पास में ही काफी कैफे है वहां पर ।ओके मैं आतीं हूँ ।राज़ जल्दी से कार ड्राईव कर राजन से मिलने पहुँच गयी।


   " क्या हुआ, मुझे क्यों बुलाया, " । बस तुम से मिलने की चाह हुई ।इसलिए । राज़ ने राजन की निगाहों में अपने प्रति प्यार का अहसास महसूस किया ।तो एक बार थोथोड़ा सा अजीब लगा उसे ।वो कोई बहाना कर वहां से जाने चाहतीं थी ।पर राजन ने उसक हाथ पकड़ कर उसे बिठा दिया ।




   "राजन तुम को पता है ना मैं विवाहित हूँ ।मेरे दो बेटे हैं" ।हाँ मुझे पता है ।मैं भी शादी शुदा हूँ । " पर क्या वादीशुदा लोग़ आपस मैं प्यार नहीं कर सकते हैं ।.................


 धीरे धीरे दोनों केबीच रिश्ते गहरे होते गये।वे दोनों फोन पर एक एक घंटे बात करते ।कुछ बातें राज़ राजन से सीखती कुछ राजन राज़ से ।दोनों को एक दूसरे से इतना प्यार हो गया की बिना बात किये एक भी दिन नहीं निकलता । दोनों का प्यार पानी की लहरों सा झिलमिलाने लगा । लहरें भी तो सीमाएं तोड़ कर किनारे से मिलने की ख्वाहिश रखतीहैं ।लहरें किनारे को छू कर पुनः समंदर में समाहित हो जाती है पर मर्यादा का ध्यान रखकर ।राज़ और राजन का प्यार भी इन लहरों की तरह ही था ।कभी अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया ।




 राज़न की कोशिश रहती थी कि वह राज़ को कभी भी दुखी न करें । उन दोनोंने अपनी एक अलग ही दुनिया बना ली थी ।दोनों एक दूसरे के सुख दुःख का ध्यान रखते । 


  राजन को जब मलेरिया हो गया था तब राज़ फोन पर उससे हर घंटे में हाल चाल पूछ लेती थी ।राजन की बीवी राजन का बिलकुल ध्यान नहीं रखती थी ।राजन हमेशा राज़ से यही कहता राज़ तुम बहुत अच्छी हो ।अपने घर का और मेरा कितना ध्यान रखती हो ।


 और राज़ राजन को डांटते हुए बोलती, क्या आप भी ।मैं आप की कुछ नहीं लगती ।तुम तो मेरे सबसे अचछे दोस्त हो । और हाँ सुन लो आज कै बाद ऐसा मत बोलना ।राजन फिर बड़े प्यार से बोलता, लव यू ।और राज़ भी लव यू टू कहकर फोन रख देती ।


    ...........तभी फोन की आवाज आई, राज अपने अतीत की यादों से निकल बाहर आई। फोन पर नंबर देखे तो खुशी के मारे उसकी ऑखों से ऑंसू छलकने लगे।..... " कहाँ गये थे इतने दिन तुम, एक भी फोन नहीं किया, न कोई संदेश, मालूम है तुम्हारे बिना मेरा क्या हाल हुआ, न ढंग से सो पाई और न ढंग से खाना खाया ।तुम को पता है ना तुम्हारी राज़ का तुम्हारे बिना मन नहीं लगता है ।आज तो जी कर रहा है की तुम्हारे दोनों कान खींच कर पकड़ू और ............. ।," एक ही सांस में इतना बोल वो रोने लगी ।


" सारी राज़ ,यार मेरे अरूणाचल प्रदेश में सेमिनार था, वहां गया था ।मैंने बहुत कोशिश की तुम से बात करने की, पर नेटवर्क ही नहीं था वहां ।अभी एयरपोर्ट पर हूँ, जैसे हीनेटवर्क आया मैंने तुम को फोन कर दिया ।अब शांत हो जाओ, मेरी राज़ । " और राज़ ऑखों से ऑंसू पोछते हुए बोली, "ओ के हुजूर "।और सुनो कल मुझसे मिलने जरूर आना मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी। " जी"। यह कहकर राज़ ने फोन रख दिया ।


   और सुब्ह राजन से मिलनेजाना है, इसलिए जल्दी ही सो जाती हूँ ।और वो सोने की कोशिश करने लगी ।सुबह जल्दी उठ घर के काम से निवृत्त होकर तैयार हो रही थी कि दूरदर्शन पर हवाई जहाज के क्रैश होने की खबर देखी तो पता चला कि अरूणाचल से दिल्ली वाली फ्लाइट क्रैश हो गयी है । खबर देखतो ही वो अपने आप को संभाल ही नहीं पाई,और थम्म से गिर गई ।लम्हा भर के लिए सांसेंही रूक गयीं । जल्दी से फोन पर राजन के नंबर लगाये, उधर से यही रिप्लाय आ रहा था कि, आप जिस नंबर से बात करना चाहते हैं वो नेटवर्क क्षैत्र से बाहर हैं ।राजन की जिदंगी का नेटवर्क राज़ की जिदंगी से बहुत दूर चला गया था ।


   राज़ राजन के फोटो को देखकर अपने ऑसूओ को रोक नहीं पा रहीं थीं ।.......राजन कहाँ चलें गये तुम, प्लीज एक बार तो अपनी राज़ से लव यू, बोल दो। पक्का आज आप की राज आपसे कहेगी लव यू टू ।और राज़ की ऑखे आँसुओ से भीग गयी बोलो ना राजन .....।हम दोनों के इस पवित्र प्यार को , क्या नाम दूँ ।.......क्या नाम दूँ । तुम्हारी राज़ का क्या होगा सोचा भी नहीं, कैसे वो तुम बिन रह पायेगी । एक तुम ही तो थे राजन ...... जो मुझे समझ पाये थे ।


     हमारा प्यार भी कितना खट्टा कुछ मीठा था ना।हमाररे रूह से रूह का कभी मिलन नहीं हुआ, हुआ तो बस......और सुनो आज राज के सपनों में आकर अपनी राज़ को परेशान मत करना । क्यों कि अब मैं इस प्यार के पवित्र रिश्ते को संभाल ही नहीं पाऊँगी ।और कुछ हो जाए तो फिर ये मत बोलो राज़, इस प्यार को क्या नाम दूँ ।




डॉ राजमती पोखरना सुराना भीलवाड़ा राजस्थान



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