स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस

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शांतनु आज पुरी रात सो नहीं पाया। कल स्वतंत्रता दिवस जो था। उसको तो इस दिन का विद्यालय खुलते ही इंतजार रहता था ‌

सुबह सुबह वो जल्दी उठ गया। उसकी मां उसको जल्दी उठकर तैयार होने पर पूछ बैठी,"अरे! इतना जल्दी तैयार हो गया। ""हां, मां, आज मैं सभी आस पास के विद्यालयों में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने जाऊंगा। "

"पर बेटा तू चल चल कर थक जाएगा, तेरे ही विद्यालय में जाकर आ जाना। " "नहीं मां मैं तो सभी विद्यालयों में जाऊंगा।।" मां को आश्चर्य हुआ कि ऐसा भी क्या है। जो शांतनु सब विद्यालयों में जाने की जिद कर रहा है।

मां से रहा नहीं गया, मां ने शांतनु से पूछ ही लिया। शांतनु का जवाब सुनकर मां की आंखों से आंसू आने लगे। जब मां ने शांतनु से पूछा तो उसने जवाब दिया,"मां पता है, आज के दिन सभी विद्यालयों में बूंदी के लड्डू मिलते हैं और वो तुझे बहुत पसंद हैं। हम इतने गरीब है कि लाकर तो खा नहीं सकते। "

तो मैं तेरे लिए हर विद्यालय में चल कर जाऊंगा और तुम्हेंयह कहते कहते उसकी आंखों से भी नीर बहने लगा।

मां ने प्यार से उसका माथा चूम लिया और गले लगा लिया।


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