बेरोजगारी
बेरोजगारी
"मां इस बार भी मेरा चयन प्रशासनिक सेवा में नहीं हुआ",नव्या अपने हाथों में अखबार ले हौले हौले से घर के आंगन में गुमसुम सी आकर बैठ गई।
"मां देखो ना मैंने कितनी रातें बिन सोये निकाल रात दिन एक कर दिया, पर परिणाम कुल मिलाकर जीरो ही रहा। कब तक ऐसे ही बेरोजगार बैठी रहूंगी, तुम पर बोझ बन कर।"
मां नव्या की बात सुन कर बोली,"बेटी उदास मत हो, और मेहनत करके परीक्षा दे, अब की बार अवश्य चयन होगा।
"नहीं मां नहीं होगा।हम लोग सवर्ण है।नव्या कुछ सोच कर मां से बोली,"मां मेरा विवाह किसी भी आदिवासी से करवा दो,कम से कम मेरा चयन तो हो जायेगा।"यह बोलते बोलते उसकी आंखों में आंसू निकल पड़े। आज लगा बेरोजगारी मिटाने के लिए कौन जिम्मेदार है।
बेरोजगारी की वजह से युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है।