बच्चों की नादानियां
बच्चों की नादानियां
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हमारे विद्यालय में अंग्रेजी के अध्यापक भटनागर सर धे।वो हम लड़कियों से बात करने में शरमाते थे।उन्हें हम पिन्टू जी सर बोलते थे ।
जब वो श्यानपट्ट पर कुछ लिखते तब मैं और मेरी सहेली दोनों खाना खाया करते थे ।एक दिन सर बोले,"अचार की खुशबू आ रही है, कौन कक्षा में खाना खा रहा है ।"
हम बोलते सर टिफ़िन में से तेल निकल गया है उसकी गंध है ये।और ऐसे करके सारा खाना खा जाते।और तो और उनके कपड़ों पर स्याही अलग छिड़क देते थे।बचपन तो मस्ती की पाठशाला का दूसरा नाम है ।
