चौपाल
चौपाल
आज गांव में चौपाल लगेगी,यह सुनकर सभी आश्चर्य चकित भी थे, और सोच रहे थे कि अचानक चौपाल बिठाने का जयंती ने क्यों सोचा ।
सभी नियत समय पर चौपाल में उपस्थित हो गये।एक तरफ महिलाओं का झुरमुट जो कानाफूसी में व्यस्त था। तों दूसरी ओर पुरुष वर्ग जो मूंछो पर ताव दे अपनी मर्दानगी दिखा रहा था।
तभी जयंती ने बड़ी शालीनता के साथ प्रवेश किया। और सबको अभिवादन करते हुए मंच पर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया।
"गांव वालों आज के ही दिन चार साल पहले जब मैंने इस चौपाल पर महिला सशक्तिकरण के बारे में अपनी आवाज बुल
ंद करने की कोशिश की थी, तो मुझे अपमानित करके गांव से निकल जाने का आदेश दे दिया गया था। मैं सक्षम न होने के कारण उस अपमान के घूंट को पी गई थी।
आज मैं शिक्षित हो इस गांव में विकास अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया है।"
यह सुनकर गांव के पंचों के कान खूले के खूले रह गए। कुछ बोल ही नहीं सकें। और जयंती की शक्ल देखने लगें।
जयंती भी अपने जोश में आ सभी महिलाओं को परिवार, समाज में मान-सम्मान मिलेगा, जोर से बोल पड़ी,
"नारी हूं पर कमजोर नहीं, मैं शक्ति पूंज हूं,
अबला कहना छोड़ दो, मैं शक्ति रूप हूं।