दरिंदो की लाश

दरिंदो की लाश

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खुले आसमान में कुछ चील और बाज अपने झुंड में उड़ रहे थे। तभी उनको भूख लगी। नभ में उड़ते हुए उनको धरती पर मानव-शरीर के कुछ लोथड़े टूकड़े दिखाई दिये। वह धीरे-धीरे पंखों को समेटते हुए नीचे जाकर मानव के पड़े टूकड़े के पास गये पर अचानक उन मानव के शरीर को छुएं बिना ही वह सारे वहां से उड़ गये। अरे हमें तो इतनी भूख लग रही थी,' फिर हमने उस मानव अंश को क्यों नहीं खाया।" एक चील ने पूछा।

चील ने कहा, " तुम को पता है ,जब हम उस लोथड़े के समीप पहुँचे तो मुझे अजीब सी बदबू आ रही थी।तुम तो उसके समीप कहाँ गये थे।"

 पर फिर भी साथी चील ने कहा ,"बताओ ना तुम ने ऐसा क्या देखा वहां ।"......सुनो," वह हमारे खाने के लायक नहीं था क्योंकि वह एक बलात्कारी मानव का अंश था ,जिसमें मुझे हैवानियत की बू आ रही थी।"

सभी चील और बाज यह सुन अचम्भित से उस लोथड़े को गगन में उड़ते हुए गिन्नता से देखने लगे। 

तभी एक साथी बाज बोल उठा," नहीं खाना हमें माँस हमें किसी मानव का, चलो हम सब मिलकर मीठे-मीठे फल खाते हैं ।"

और सभी बाज और चील अपने भोजन की तलाश में जंगल की ओर निकल पड़े।


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