STORYMIRROR

Nandita Tanuja

Abstract

3  

Nandita Tanuja

Abstract

इंतज़ार !

इंतज़ार !

2 mins
253

जाने कैसे किस्मत की लकीरे तवि के हाथों में थी जहाँ सिर्फ और सिर्फ उसके आँखों में बंद ख्वाहिशें हक़ीक़त होने की जगह दम तोड़ देती थी , और वो हर बार टूटती-बिखरती और खुद अपना हौसला बन आसमां की ओर देख पंख फैला मुस्कुरा देती। ज़िन्दगी को एक नए मोड़ पे लेकर नए दिन से सफर शुरू करती और उम्र के इस पड़ाव पे वो बी पॉजिटिव एक्सपीरियंस के साथ जी रही।

आज तवि का जन्मदिन ३२वे साल में प्रवेश कर रही, जहाँ वो मुश्किलों से निकल कुछ सुधरे मोड़ पे चल रही , उसी राह में उसे शांतनु मिला, जहाँ उसने अपने प्रेम को जीवनसाथी के चुना लेकिन शादी के लिए शांतनु पूरी तरह हाँ नहीं कह पाया था, जबकि वो भी तवि को वरीयता और प्रेम भी करता। कुछ विकट परिस्थितियाँ जहाँ सामंजस्य समय के साथ बैठाना , तवि की एक अनछुई ख्वाहिश हक़ीक़त बयां तो कर रही थी लेकिन उसके हक़ीक़त होने में एक लम्बा सफर बाकी था, जहाँ कुछ भी हो सकता।

उसे शांतनु का प्यार-साथ मिल भी सकता और कहे तो वक़्त का धोखा भी होगा । तवि इस बार खुद को बहुत संभाल रही लेकिन शांतनु और तवि का साथ आधुनिक दुनियाँ के प्रेम-संबंधो में नहीं था, बल्कि एक मर्यादित बंधन में परिपक्वता के साथ समर्पित प्रेम को जी रहे । दर्द तो होगा शायद बहुत क्योंकि जो वो दोनों जी रहे वो व्यक्त नहीं । एक दर तवि जी रही जहाँ उसके ये ख्वाहिश समय की मुट्ठी में क़ैद और सच के धरातल पे एक दिन उभर कर आएगा। तवि अपने हर दिन अपने इस ख्वाहिश के नाम सुबह जगती और रात मुस्कुरा के कल में गुज़ार रही और शांतनु का साथ सच हो वो इस ख्वाहिश का सच होने का इंतज़ार कर रही...

अजीब सी बेचैनी, अजीब सी कशमकश है ….

सनम तुम मेरे, यही बस एक ख्वाहिश है….

नहीं जाना अब दूर मुझे इस ज़िन्दगी से…

दिल की तुम ही दुआ यही फरमाइश है….!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract