Nandita Tanuja

Drama Inspirational

3  

Nandita Tanuja

Drama Inspirational

ज़िंदगी का सफर ......2021!!

ज़िंदगी का सफर ......2021!!

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  एक लम्बे समय से साक्षी और संदीप को समस्या साथ साथ चली आ रही थी। एक दिन अचानक से साक्षी ने अपनी सहेली पूजा को कॉल किया। साक्षी ने पूजा से कहा कि वो वन वीक की लीव लेकर उसके पास दिल्ली आ रही, पूजा ये सुन के बहुत खुश हुई और योर वेलकम कह कर दोनों ने कॉल कट किया। 

तभी आन स्क्रीन संदीप का मेसेज था, कि वो साक्षी से मिलकर बात खत्म करना चाहता है, और रिश्ते को नया मोड़ देना चाहता है।

 लेकिन साक्षी ने रिप्लाई में कहा वो आज रात दिल्ली जा रही, लौट कर आएगी तो बताएगी। 

 तभी संदीप का दूसरा मेसेज कि अचानक क्यों?

 फिर साक्षी रिप्लाई देती है कि अर्जेंट है, बाद में बात करती हूँ, पैकिंग करना है।

संदीप हम्म का मेसेज देता है जिसका साक्षी कोई रिप्लाई नहीं देती है।

 

 शाम के साथ 7 बजे कि संदीप ने साक्षी को कॉल किया, साक्षी रेडी होने जा रही थी तो उसने संदीप के कॉल को इग्नोर किया, लेकिन संदीप ने जब दुबारा किया तो साक्षी ने कॉल उठाया, साक्षी बोली - हेलो संदीप, बोलो क्या हुआ ? साक्षी क्या कर रही हो ? तुम रेडी हो गयी? कितने बजे तक निकलोगी ? एक के बाद एक सवाल उसने साक्षी से कर लिया और साक्षी को कोई एक्सक्यूज़ का मौका नहीं दिया। साक्षी ने संदीप को सारी डिटेल दी और ये भी बोली कि एक घंटे में वो स्टेशन के लिए निकल लेगी।

   संदीप ने कहा कि साक्षी न्यू ईयर पर तुम दिल्ली रहोगी ? आओगी नहीं वापस पहले आ जाओ ना तो हम साथ में न्यू ईयर सेलिब्रेट करेंगे। साक्षी एकदम से बोली नहीं, आ पाऊँगी और तुम इजी रहो मेरे बिना भी तुम और लोगो के साथ भी खुश रह लेते हो तो फिर हम कहने की अब कोई जरूरत नहीं। तू पागल है साक्षी, तेरे दिमाग में क्या चलता रहता है, तेरे बिना नहीं रह सकता। मुझे भी यही लगता था संदीप लेकिन तुमने अपने आदतों और जो मेरे साथ तुम्हारा रवैया है ना मुझे पता लग चूका है मैं कहाँ-तुम कहाँ और तुम्हारा हम कहाँ है ? प्लीज मैं इन बातों के लिए तुमसे लड़ना भी नहीं चाहती क्यूंकि

सही कहा तुमने - मैं पागल हूँ, मुझमें कमी है और मुझसे दूर रहो।


 संदीप बोला- साक्षी तुम अपने ज़िद्द से हमारे सपने जला रही हो, बिना किसी बात को तूल दिए मैं फिर से कोशिश कर रहा तेरी बेइज्जती सह रहा। साक्षी को और ज्यादा गुस्सा आ गया - बोली ओह जलील कर रही, तो रखो ना कॉल और हां अगर मैं होती तो तुम मुझ तक होते, तुम्हारे प्लान में अगर हमारा फ्यूचर होता तो तुम किसी और के साथ ऐश नहीं कर रहे होते और न उन जैसों की नज़र में हमारा रिश्ते को गिराते, तुमने मुझे कभी प्यार किया ही नहीं, और मैं कॉल कट कर रही, मुझे निकलना है और संदीप की बिना सुने कॉल कट कर देती है।

संदीप का मेसेज आया - ठीक है जाओ, नहीं करूंगा मै भी बात, तुम चाहती हो ना तो जा रहा हूँ उसी के पास तुम रहो खुश मुझसे दूर रह कर तुम ठीक हो। भाग्य में मेरे प्यार है नहीं, हर किसी ने मुझे ठुकराया और अब तुम भी।

साक्षी सारे मेसेज पढ़ी वो संदीप के हर बात से वाकिफ़ थी, उसे देर हो रही थी वो रेडी होने के चली गयी।

  साक्षी रेडी होक स्टेशन के लिए निकल जाती है, ऑटो में बैठी हुई मोबाइल पर्स निकाली तो संदीप का मेसेज था, कि ठीक से जाना स्टेशन पहुंच जाना तो मेसेज देना। साक्षी हम्म का रिप्लाई दे दी। तभी पूजा का कॉल आया कि साक्षी स्टेशन पहुंची या नहीं ? पूजा बीएस 10 मिंट में स्टेशन ट्रैन राइट टाइम है, तुम्हारे पास सुबह 8 बजे तक घर रहूंगी, और पूजा ने कॉल कट कर दिया। दोनों खुश है क्योकि दोनों एक साल बाद मिलने जा रही और ऐसे तो बराबर दोनों कॉल पर बात करती है लेकिन मिलना अलग बात है।

साक्षी स्टेशन पहुँच गयी, कुछ मिनट बाद वो ट्रैन में अपनी रिज़र्व सीट पर बैठ गयी, और मोबाइल निकाल पूजा को कॉल कर बोली - हेलो पूजा ट्रैन मिल गयी, तुम अब रेस्ट करो हम सुबह में मिलते है, पूजा ने ओके कहा और कॉल कट हो गया।

तभी संदीप का कॉल आया, साक्षी ने कॉल रिसीव किया - बोली क्या हुआ ?

संदीप - ट्रैन में बैठ गयी ?

साक्षी - हाँ, क्यों ?

संदीप- तुमने बताया नहीं ?

साक्षी - मुझे नहीं लगा कुछ बताने वाली बात है हर बात तो पता है जब दिल्ली जा रही हूँ तो ट्रैन में ही होऊंगी, इसमें छुपाने वाली कोई बात नहीं, तुम तो जानते हो।

संदीप- समझ गया साक्षी के कहने का अंदाज़ हो गया ? बोल ली कितना और कब तक बोलोगी ?

साक्षी - मैं तो कुछ कहना नहीं चाह रही, पता नहीं क्यों कॉल कर रहे हो ? जाओ न अभी जो मेसेज दिया था, फिर यहां क्या कर रहे हो ?

संदीप- हंसने लगा, तुझे क्या दिक्कत चला जाऊँगा, अभी तेरे पास हूँ

साक्षी - नहीं, मुझे कोई चिंता नहीं, पहले भी जाते थे छुप कर अब तो सामने से जाने को कह रही।

संदीप - माँ के जाने के बाद हमने अपनी दुनिया बसानी थी, क्या और क्यों कर रही हो तुम ? क्यों हमारे भाग्य में आयी ख़ुशी तुमसे सहन नहीं हो रही ?

साक्षी - संदीप ये घर तुम जलाये हुए हो, क्योंकि दूसरे घर में घुसकर मुझे जला रहे थे तुम मेरा तमाशा बनते हुए देख रहे थे, मेरे विश्वास की लोग धज्जिया उड़ा रहे थे, तुम उनके लिए अच्छे बने हुए थे, बस संदीप अब और नहीं, तुम सबके हो, लेकिन मेरे नहीं। संदीप - साक्षी मैंने जब गलत किया तब मेरे साथ थी, आज जब आँखों से पट्टी हटी तुम नहीं हो ?

क्यों मुझे तब छोड़ने नहीं दिया, जब मै जाना चाहता था ?

साक्षी - फट पड़ी थी, सुनो गर हम होते ना, तुम मुझ तक होते, मेरे समर्पण के साथ होते, मैंने जब खुद को मारना शुरू किया, तुम्हें तो इसका अंदाज़ा भी नहीं होगा कि मैंने हम को कब खत्म किया और तुमको हम का आभास तक नहीं रहा, ये सब जो भी हुआ ना, इसके ज़िम्मेरदार तुम हो, क्योंकि कंफ्यूज तुम थे ? मैंने हर बार तुम्हारे बहाने को सुना, और बहुत कुछ देखा।

तुम्हें अगर मुझसे शादी करनी होती तो तुम ये सब नहीं करते।

संदीप - ठीक है, अभी तुम शांत हो जाओ और रेस्ट करो, दिल्ली पहुँच कर कॉल करना।

 फिर बिना कुछ बोले इस बार भी साक्षी ने कॉल कट क्र दिया। और उसके आँखों से आँसू बहने लगे जो और लोगो से छुपा तो लिया लेकिन अब वो शांत चुपचाप सफर में थी और उन बीते सालो में अपने और संदीप के साथ गुज़ारे दिनों का मूल्यांकन कर रही थी अपने आने वाले कल का जिसका संदीप बार- बार ज़ोर देकर कह रहा है कि सपने टूट रहे। क्या उसे नहीं पता था विश्वास टूटने पर कुछ नहीं बचता।

कब वो सोचते- सोचते सो गयी और सुबह छ: बजे उसकी आँख खुली तो अगला स्टेशन दिल्ली था, वो रेडी हो गयी तभी पूजा का कॉल आया वो स्टेशन पर है उसको रिसीव करने आयी है। संदीप का भी मेसेज और कॉल था, जिसका उसने सुबह- सुबह कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा।


  तब तक दिल्ली स्टेशन आ गया, जैसे ही ट्रैन से बाहर निकल कर आयी सामने पूजा मुस्कुराते हुए मिली। फिर क्या दोनों एक दूसरे के गले लग अपनी ख़ुशी ज़ाहिर कर स्टेशन से बाहर आकर अपनी गाड़ी से घर के लिए निकली। अभी दोनों कुछ इजी होकर बात शुरू करती कि संदीप ने फिर कॉल किया। अब वो कॉल कट भी नहीं कर सकती थी क्योकि पूजा को उसने अभी संदीप और अपनी समस्या नहीं बताई थी। कॉल रिसीव किया। संदीप - कहाँ हो तुम? मेसेज भी नहीं दी, पहुंची कि नहीं ? साक्षी - इजी, होकर बोली - हां दिल्ली पहुंच गयी, पूजा लेने आयी है घर जा रहे है, मेसेज नहीं कर पायी क्यूंकि सो कर लेट उठी और स्टेशन आने वाला था तो सोची कि पहुंचकर तुमको बता दूंगी।

संदीप समझ रहा था सब कि साक्षी इस तरह से जवाब सिर्फ पूजा साथ में है मिला। खेर वो भी खुश था क्योंकि साक्षी ने सीधे से कभी बात नहीं की थी, फिर वो कुछ और बोलता तो बोली संदीप अब फ़ोन रखो, मैं फ्री होकर मिलती हूँ अब ज़रा पूजा के साथ रहने दो। उधर से संदीप ने हम्म कहकर कॉल कट कर दिया।


  लगातार पूजा साक्षी को देखे जा रही थी, जब वो संदीप से बात कर रही थी, उसके चेहरे पर वो ख़ुशी नहीं थी जब साक्षी संदीप का नाम लेती या उसकी कोई बात वो पूजा से बता रही होती लेकिन पूजा उस समय कुछ नहीं बोली। साक्षी ने पूछा क्या हुआ देवी? तुम क्यों कुछ नहीं बोल रही, ये संदीप ना हर समय पीछे लगा रहता है जब कही बाहर जाओ, वरना पास में रहते हुए कोई चिंता नहीं होती कह कर हँसने लगी। पूजा भी साक्षी की हंसी में शामिल हो गयी, कि इधर-उधर की बाते करते कब घर आ गया पता नहीं चला। घर में माँ और पूजा रहती है तो माँ दोनों का इंतज़ार कर रही थी, बेल बजता उससे पहले ना ने दरवाजा खोल दिया। फिर साक्षी माँ का पैर छू कर उनके गले लगती है। माँ ने हाल-चाल लिया और बोली जाओ जल्दी से फ्रेश होकर आओ पहले चाय पीयो तब आराम से बाते करना। साक्षी का सामान रूम में रखवा कर हाथ -मुँह धुलकर दोनों चाय पीने के लिए आते है।

माँ ने पूछा साक्षी घर पे सब कैसे है ?

साक्षी - सब ठीक है माँ, काम करते थक गयी थी तो सोचा थोड़े दिन पूजा और आपके साथ रह कर वापस अपने काम पे लग जाऊंगी

अच्छा किया माँ ने बोला। चाय पीने के बाद दोनों ने घूमने का प्लान बनाया, नहाकर ब्रेकफास्ट कर के वो अपने और दोस्तों से मिलने चली गयी, दोपहर का लंच बाहर लेंगी को माँ बता दिया था।

घूम-घाम कर दोनों एक रेस्टुरेंट गए लंच के लिए आर्डर दिया फिर दोनों बात करना शुरू किया जिन दोस्तों से मिली उनके विषय में फिर बात ही बात में पूजा बोली अच्छा बता और तूने और संदीप ने शादी के लिए क्या सोचा?


  कब कर रहे हो शादी ? जब तक साक्षी कुछ कहती लंच टेबल पर सज गया, साक्षी ने कहा बताती हूँ पहले लंच करे भूख लगी है खाना ठंडा हो जाएगा, और पूजा ने हां क्यों नहीं, चल कर लेते है। लंच जैसे खत्म हुआ साक्षी का फ़ोन बजने लगा, उसने देखा उठा कर तो संदीप था, बिना देर किये साक्षी ने - हेलो कहा ! संदीप - तुम दिल्ली जाकर भूल गयी कि मैं भी हूँ इंतज़ार कर रहा होऊंगा। साक्षी ने हम्म का जवाब दिया।

संदीप बोला- कहाँ हो? लंच हुआ कि नहीं ? साक्षी - हां जस्ट खत्म हुआ लंच और तुम्हारा कॉल आया। मै और पूजा अपने दोस्तों से मिलने बाहर आये थे, अब कुछ खरीदारी करेंगे फिर घर। संदीप- अच्छा, ठीक है पूजा से बात कराओगी ?

  साक्षी बोली - ठीक है घर पहुंचकर बात कराती हूँ। फिर कॉल कट कर दी।


फिर दोनों रेस्टुरेंट से निकल कनॉट प्लेस घूमी शाम को सात बजे वो घर पहुंची।

माँ ने घर में पकोड़े चाय रेडी कर रखा था, सब साथ में गप्पे साथ चाय पकोड़े का लुफ्त ले रहे थे, तभी साक्षी के मोबाइल पर मेसेज आया संदीप का - कहाँ हो ? उसने बात ही बात में अपने मोबाइल से रिप्लाई दिया घर आ गयी हूँ अभी माँ के साथ हूँ नो मेसेज। संदीप - ओके।

सब साथ रहे फिर रात में डिनर के बाद अपने रूम में माँ गयी और साक्षी और पूजा अपने रूम में, बहुत थकी थी दोनों तो बहुत खास बाते नहीं की थोड़ी देर में सो गयी। सुबह दोनों की आँख खुली माँ के कॉल से पूजा उठो, दस बजने जा रहा। आओ फ्रेश होकर दोनों चाय रेडी कर रही हूँ। पूजा - ओके माँ आते है हम। अभी कॉल कट हुआ था कि साक्षी का कॉल बज उठा और वो कोई नहीं संदीप का है, साक्षी ने साइलेंट कर दिया मोबाइल को फ्रेश होने चली गयी। साक्षी फ्रेश होकर आयी मेसेज दी- गुड मॉर्निंग चाय पीने जा रही, फ्री होकर बात करती हूँ। और वो पूजा के साथ माँ के पास आ गयी सब साथ चाय पीते है। 


  सब काम से फ्री होकर पूजा और साक्षी कही नहीं जाने का प्लान बनायीं की वो घर पर साथ रहेंगी और माँ को किसी के साथ कही जाना है तो वो रेडी होकर गाड़ी से चली गयी। अब घर में पूजा और साक्षी साथ थे। फिर दोनों सब बंद कर के अपने रूम में चली गयी। तब पूजा ने कहा फ़ोन लगा संदीप को मुझे बात करनी है। साक्षी संदीप से तुझे क्या बात करनी है। पूजा - तुम कुछ बताओगी नहीं संदीप कम से कम बताएगा की क्या चल रहा है तुम दोनों में, मैं देख रही हूँ तुम्हें। अभी कुछ बोल पाती संदीप का कॉल आ गया और पूजा ने तुरंत कॉल रिसीव कर लिया।

पूजा - हेलो संदीप कैसे हो आप ?

संदीप - ठीक हो पूजा जी, आप कैसी है ?

पूजा - बिल्कुल अच्छी हूँ, लेकिन साक्षी ठीक नहीं लग रही है। क्या आप दोनों में कुछ हुआ है क्या ?

संदीप - नहीं, कुछ नहीं हुआ, वो थोड़ा नाराज़ है मनाने की कोशिश में लगा हुआ है पर वो कुछ सुनकर भी अनसुना कर रही। देख लो अपनी दोस्त को कितना भाव खा रही।

पूजा - ओह, ये बात है कोई नहीं, अभी साक्षी से मेरी बात हुई है है समझाती हूँ उसे, और सब ठीक है ना ?

संदीप - हाँ जी

पूजा ने साक्षी को फ़ोन दे दिया।

साक्षी - हेलो संदीप बोलो

संदीप - मैंने तुम्हारी शिकायत पूजा से कर दी, अब तुम्हें बताएगी।

साक्षी - इससे अच्छा काम मेरे लिए कर नहीं सकते थे, तो उसकी चिंता मत करो। ये बोलो क्यों कॉल कर रहे हो, क्या तुम्हारे समय है, कोई बहाना नहीं किसी के पास जाने के लिए, अब तो मैं सवाल भी नहीं करती, क्यों आजकल वो फ्री नहीं क्या ? जो मेरे पास अपना समय दे रहे हो ?

संदीप - साक्षी क्या तुम पूजा के सामने भी ये नौटंकी करोगी, क्यों तमाशा बना रही हम का ?

साक्षी - तुम अपना अब हम का ड्रामा बंद कर लो, जो ड्रामा तुमने शुरू किया तमाशा मुझे अपने लोगों के सामने बनाया तो अब मेरी दोस्त क सामने ये बात हो रही है तो तमाशा कैसा ? हम कैसे है उसे भी तो पता चले।

संदीप- गुस्से में बोला, जो करना है करो मैं थक गया हूँ, और कॉल कट कर दिया।

साक्षी - कॉल कट कर रोने लगी और तब पूजा ने उसे अपने गले से लगा कर शांत किया चुप कराई, पानी पीने को दिया। जब साक्षी इजी हुई तब पूजा ने कहा - मुझे अब पूरी बात बता की मैं तुम्हारी हेल्प कर सकूं।

साक्षी ने चार साल के सफर में जो भी चली थी जो भी उसके लिए किया था वो सब पूजा जानती थी, लेकिन उसके बदले संदीप की अच्छाई के साथ जो दूसरा रूप सुना वहाँ पूजा भी संदीप से बिदक गयी। साक्षी ने बताया की संदीप कैसे अपनी पहली गर्लफ्रेंड जिसकी शादी हो गयी अब भी उसके साथ छुप-छुप कर बात करता है।

झूठ बोलता है उसके मेसेज साक्षी ने अपनी आँखों से पढ़े है उसके बाद भी संदीप उसे बात स्वीकार नहीं कर के उल्टा साक्षी के साथ गलत व्यवहार कर रहा और यही बात कभी मान जा रहा और कभी बदले में मुझे साइको कह दे रहा, साक्षी कहते कहते रोने लगी बोली पूजा वो मुझसे हमदर्दी रखता है लेकिन प्यार नहीं करता, अगर करता तो वो हम का जो जाप करता है उसकी इमेज बनाता मेरे लिए मेरे हमारे फेवर की बात करता लेकिन वो अपने गलती को मुझपर थोप रहा ये सब मेरे सपने मैं इसे खत्म कर रही वो ये कह रहा जिसने मुझे धोखा देने से पहले एक बार भी मेरे दर्द के लिए नहीं सोचा कैसे यकीन करूँ तुम ही बोलो। अब जब मैंने खुद को समझा कर इनसे अलग हुई हूँ तो अब इनको मेरी अहमियत पता चल रही, संदीप को सबके साथ साक्षी चाहिए जबकि साक्षी समझ चुकी है जो सबका है वो मेरा कभी हो ही नहीं सकता ये मैं अब संदीप के लिए समझ चुकी हूँ देख चुकी हूँ, मैं लौटी तो फिर वो ऐसा करने लगेगा, जैसे कुछ हुआ ही नहीं और यही उसका हर बार था। अब और नहीं पूजा मैं संदीप पर विश्वास नहीं कर सकती और ना अब अपनी ज़िंदगी किसी को बर्बाद नहीं करने दूंगी। पूजा साक्षी की बात पूरी सुनी और उसे भी लगा संदीप के साथ साक्षी का अलग होना सही निर्णय है। बात करते हुए शाम हो गया साक्षी को दुबारा पानी देकर पूजा चाय बनाने चली गयी ! साल के आखरी दिन था, साक्षी अपने निर्णय से संतुष्ट थी क्योंकि उसने हर कोशिश की थी सब जानते हुए भी निभाने की लेकिन संदीप ने उसकी बात को इम्पोर्टेंस नहीं दिया। उसने संदीप को कॉल किया - संदीप मुझे पता चल गया कि तुम आज भी उसके साथ हो और मैंने तुम्हें व्हाट्सप्प पे पूरे इमेज प्रूफ के साथ भेज दिया और आज के बाद हम और हमारा कोई संबंध नहीं मै तुमसे कोई शिकायत या परेशानी नहीं अब तुम आज़ाद हो।

संदीप -साक्षी तुम बहुत आगे चली गयी हूँ मैं चाह कर भी तुमको वापस नहीं ला पा रहा।

साक्षी - तुम ला भी नहीं सकते, तुम बहुत पहले मुझे छोड़ कर आगे निकल गए हो ये तो मैं अब तुम्हारे सच के साथ तुमसे अलग हो रही कि मैं साइको हूँ। अब मुझे कभी कॉल नहीं करना ब्लॉक कर रही हूँ अपने लाइफ से अपने सोशल साइट और नंबर्स से तुमको पसंद था न ब्लॉक -ब्लॉक खेलना।

संदीप - साक्षी मत करो पछताओगी।

साक्षी कुछ कहे बिना कॉल कट और ब्लॉक कर दिया।

पूजा सब बाते सुन रही थी, उसने उसे चाय दिया पीने को और बोली साक्षी तुम गर खुश नहीं तो तुम्हारा यही निर्णय है कम से कम तुम दोनों अपने ज़िंदगी में आगे तो जाओगे।


 साक्षी - पूजा नहीं पता लेकिन चार के सफर मैंने आगे साल में उसके साथ घर बसाने का सपना देखा था लेकिन भाग्य ने साल के आखरी दिन में जो मेरी ज़िन्दगी में उथल-पुथल किया वहाँ कुछ बुरा होने से बच गया। ईश्वर संदीप को सही दिशा दे और मुझे शक्ति कि मैं अपने साथ हुए विश्वासघात के लिए संदीप को माफ़ कर सकूं।

पूजा - जो होता अच्छे के लिए होता है, चल माँ आ गयी है, डिनर के लिए आवाज़ दी है।

साक्षी ने घड़ी देखा तो दोपहर एक बजे से नौ बज चूका था, उसने मुँह धुला फिर माँ के पास आ गयी। पूजा और साक्षी माँ के सामने बहुत खुश थे लेकिन दोनों के मन में अशांति थी लेकिन पूजा साक्षी को समझ पा रही थी शादी के बाद कुछ होता तो साक्षी क्या करती अभी तो सब कुछ सम्भल जाएगा। साक्षी संदीप को मन से अच्छा मानती थी, लेकिन वो भगवान नहीं है इसलिए वो अकेले रहना निर्णय ले चुकी थी। संदीप को अपना हक़ीक़त पता था क्यों और क्या हुआ ? तो संदीप इन सबका ज़िम्मेरदार है या नहीं वो जानता था।

रात के 12 बजे संदीप ने साक्षी के मेसेज का इंतज़ार किया जब दस मिंट बीत गया तब साक्षी के नववर्ष मंगलमय हो मेसेज आया।

साक्षी और पूजा दोनों एक दूसरे विश कर के बात कर रही थी मेसेज आते ही साक्षी ने इग्नोर करना चाहा तब पूजा ने कहा -सुन उसे रिप्लाई दे नववर्ष वो अपनी गलतियों को सुधार सके।

साक्षी ने रिप्लाई दिया आपको भी नव वर्ष मंगलमय हो ईश्वर आपको स्वस्थ एवं खुश रखे।

इसके बाद ना ही कभी संदीप का कॉल आया और ना ही साक्षी ने किया। भाग्य ने उसका निर्णय कर दिया था पूजा ने उसका पूरा साथ दिया वापस दिल्ली लौट कर आने के बाद काम में व्यस्त हो गयी। पता चला संदीप ठीक है और उसने साक्षी को दोषी बनाकर खुद को आज़ाद कर लिया था।

बीता साल तो चला गया और यादें दे गया लेकिन साक्षी अपने भाग्य से खुश थी और अपने ईश्वर से प्रार्थना करती है कि सबका अच्छा हो। प्रेम अधूरा सही मेरा लेकिन मैं सच हूँ ये सोचकर वो प्रेम को पूरा पा गयी।


इति



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